दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बाद स्पाइसजेट ने काल एयरवेज प्राइवेट लिमिटेड को 100 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है. एयरलाइन ने आज एक बयान में इसकी जानकारी दी. 11 सितंबर तक काल एयरवेज को स्पाइसजेट की तरफ से 77.5 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था. मंगलवार को शेष रकम 22.5 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया.
दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को स्पाइसजेट और उसके चेयरमैन और मैनेजिंग डाइरेक्टर (सीएमडी) अजय सिंह को काल एयरवेज की याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार शाम 4 बजे से पहले आरटीजीएस ट्रांसफर करने का निर्देश दिया था. दरअसल, दिल्ली हाई कोर्ट ने काल एयरवेज में याचिका दायर कर कहा था कि उसके दिए आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है. काल एयरवेज़ की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, उन्होंने 8 सितंबर को काल एयरवेज और कलानिधि मारन को केवल 62.5 करोड़ का भुगतान किया था और 37.5 करोड़ की राशि अभी भी शेष है.
इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने स्पाइसजेट को 10 सितंबर तक 100 करोड़ रुपये चुकाने का आदेश दिया था. दिल्ली हाई कोर्ट की खंडपीठ ने मध्यस्थ न्यायाधिकरण के आदेश को बरकरार रखते हुए एकल पीठ के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, जिसमें स्पाइसजेट और उसके अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक को सन ग्रुप के प्रमोटर कलानिधि मारन और काल एयरवेज को 270 करोड़ रुपये से अधिक वापस करने का निर्देश दिया गया था.
खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश को चुनौती देने वाली अपील पर नोटिस भी जारी किया था. न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा और न्यायमूर्ति धर्मेश शर्मा की पीठ ने 31 जुलाई, 2023 को न्यायमूर्ति चंदर धारी सिंह की एकल न्यायाधीश पीठ द्वारा पारित आदेश पर रोक लगाने से इनकार करते हुए अपील पर सन ग्रुप के प्रमोटर और काल एयरवेज को नोटिस जारी किया. स्पाइसजेट और उसके सीएमडी ने दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष एक अपील दायर की थी, जिसमें एकल न्यायाधीश के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें उन्हें कलानिधि मारन और काल एयरवेज को 270 करोड़ रुपये से अधिक वापस करने का निर्देश दिया गया था.
न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह की पीठ ने 31 जुलाई को दोनों पार्टियों द्वारा दायर धारा 34 याचिका में फैसला सुनाते हुए, काल एयरवेज और कलानिधि मारन के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के 3 सेवानिवृत्त न्यायाधीशों वाले एक मध्यस्थ न्यायाधिकरण द्वारा पारित दिनांक 20.07.2018 के मध्यस्थ पुरस्कार की पुष्टि की. मध्यस्थ न्यायाधिकरण ने निर्देश दिया था कि डिक्री धारक काल एयरवेज और कलानिधि मारन वारंट के लिए 308 करोड़ रुपये की वापसी और संचयी प्रतिदेय वरीयता शेयरों (सीआरपीएस) के लिए 270 करोड़ रुपये की राशि के रिफंड के हकदार थे.