माफिया से नेता बने मुख्तार अंसारी की बांदा में दिल का दौरा पड़ने से हुई मौत के एक दिन बाद शुक्रवार को उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर चिंता जताते हुए समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ऐसे संदिग्ध मामलों की शीर्ष अदालत के एक न्यायाधीश की निगरानी में जांच की मांग की. वहीं सपा के अन्य नेताओं ने मुख्तार की मौत को संदेह के घेरे में करार देते हुए कहा कि अदालत को इस मामले का स्वतः संज्ञान लेना चाहिए.
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 'एक्स' पर कहा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है. उन्होंने कहा कि किसी भी संदिग्ध स्थिति में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास समाप्त कर देगा.
यादव ने कहा, ''सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वे पूरी तरह गैर कानूनी है. जो हुकूमत जिंदगी की हिफाजत न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक नहीं. उत्तर प्रदेश ‘सरकारी अराजकता' के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. ये उत्तर प्रदेश में ‘कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है.''
उन्होंने कहा है कि मुख्तार अंसारी के बेटे को अपने पिता के जनाजे में शामिल होने के लिए जिलाधिकारी को भी स्वत: संज्ञान लेते हुए उसे पैरोल देनी चाहिए.
सपा के प्रमुख महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव ने 'एक्स' पर चिंता प्रकट करते हुए कहा, ''पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की जिन परिस्थितियों में मृत्यु हुई, वह अत्यधिक चिंताजनक है. उन्होंने (मुख्तार अंसारी) अदालत में अर्जी देकर अपनी हत्या की आशंका व्यक्त की थी.''