पंजाब में हार की जिम्‍मेदारी के सवाल पर सोनिया गांधी ने दी थी यह प्रतिक्रिया...

कांग्रेस प्रमुख का यह चौंकाने वाला कदम, अपने बच्‍चों राहुल और प्रियंका पर से 'दोष हटाने' की कोशिश प्रतीत होता है जो राज्‍य में विधानसभा चुनाव से जुड़े अहम फैसलों में शामिल थे.  

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नई दिल्‍ली:

कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी ने एक उच्‍चस्‍तरीय बैठक में पंजाब के विधानसभा चुनाव में पार्टी के बेहद खराब प्रदर्शन की पूरी जिम्‍मेदारी ली थी. बैठक में मौजूद कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने यह जानकारी दी. कांग्रेस प्रमुख का यह चौंकाने वाला कदम, अपने बच्‍चों राहुल और प्रियंका पर से 'दोष हटाने' की कोशिश प्रतीत होता है जो राज्‍य में विधानसभा चुनाव से जुड़े अहम फैसलों में शामिल थे.  गौरतलब है कि आखिरी समय में कैप्‍टन अमरिंदर सिंह की जगह नया सीएम लाने और नवजोत सिंह सिद्धू को राज्‍य पार्टी प्रमुख नियुक्‍त करने जैसे 'आत्‍मघाती' फैसलों के बाद कांग्रेस पार्टी इस बार,पिछले विधानसभा चुनाव की 77 सीटों से गिरकर महज 18 सीटों पर आ गई और उसे राज्‍य की सत्‍ता से बाहर होना पड़ा.

सोनिया की यह टिप्‍पणी पंजाब सहित पांच राज्‍यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन पर चर्चा के लिए कांग्रेस कार्यसमिति की हाल की बैठक में सामने आई थी. बैठक में पार्टी के 60 से अधिक शीर्ष नेताओं ने हिस्‍सा लिया था. जानकारी के अनुसार, बैठक के दौरान वरिष्‍ठ कांग्रेस नेता और असंतुष्‍टों के कथित G-23 ग्रुप के प्रमुख सदस्‍य गुलाम नबी आजाद ने पूछा कि पंजाब में खराब प्रदर्शन के लिए जिम्‍मेदार कौन है? जानकारी के अनुसार, गांधी भाई-बहन (राहुल और प्रियंका, जो खुद बैठक में मौजूद थे) को टारगेट करते हुए आजाद ने पूछा था-चुनाव के महज तीन माह पहले अमरिंदर सिंह को चरणजीत सिंह चन्‍नी से रिप्‍लेस करने का फैसला किसने लिया? नवजोत सिद्धू को राज्‍य कांग्रेस प्रमुख किसने नियुक्‍त किया जो कांग्रेस को लेकर 'लगातार कमेंटरी' करते रहे. 

लेकिन बताया जाता है कि सोनिया गांधी ने गुलाम नबी आजाद के सवालों को दरकिनार कर दिया और उनसे इन सवालों पर आगे नहीं बढ़ने और किसी का नाम नहीं लेने को कहा. सोनिया ने कहा कि उन्‍होंने पंजाब के सारे फैसले लिए और वे इसकी पूरी जिम्‍मेदारी लेती हैं.  कांग्रेस से जुड़े सूत्र ने बताया कि आजाद ने 'जिम्‍मेदारी स्‍वीकारने' के लिए सोनिया को धन्‍यवाद दिया.यह खुलासे कांग्रेस में जारी उथलपुथल को दर्शाते हैं जिसने ताजा चुनावी झटकों के बाद गांधी परिवार के नेतृत्‍व पर दबाव बढ़ा दिया है.  कांग्रेस असंतुष्‍ट ग्रुप के दो सदस्‍यों कपिल सिब्‍बल  और मनीष तिवारी ने हाल ही में इंटरव्‍यू के दौरान, सार्वजनिक तौर पर  पार्टी नेतृत्‍व की आलोचना की है. जहां सिब्‍बल ने कहा था कि गांधी परिवार को कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व से अलग होना चाहिए और किसी अन्य को मौका देना चाहिए.उन्होंने यह भी कहा कि वह ‘घर की कांग्रेस' नहीं, बल्कि ‘सबकी कांग्रेस' चाहते हैं. उन्‍होंने राहुल गांधी की आलोचना करते हुए कहा था, 'वे पार्टी अध्‍यक्ष नहीं हैं लेकिन सारे फैसले लेते हैं.'लेकिन असंतुष्‍ट गुट इस बात पर बंटा हुआ नजर आता है कि बदलाव के लिए किस हद तक दबाव डालना है. गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा जैसे 'पूर्णकालिक' नेता, कांग्रेस में विभाजन नहीं चाहते क्‍योंकि उन्‍हें लगता है कि इससे पार्टी कमजोर होगी और इसके बीजेपी को की मदद मिलेगी. वे पार्टी में आंतरिक सुधार की वकालत कर रहे हैं जिसमें निर्णय, गांधी परिवार के इर्दगिर्द केंद्रित न होकर इसका विकेंद्रीकरण किया जाए यानी अन्‍य लोगों को भी अहम निर्णयों में भूमिका मिले. बताया जाता है कि दूसरी ओर, सिब्‍बल और मनीष तिवारी जैसे नेता, कांग्रेस नेतृत्‍व के प्रतिरोध की स्थिति में जरूरत पड़ने पर कठोर कदम भी उठाने के पक्षधर हैं.

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