केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को दावा किया कि कुछ राजनीतिक दल घुसपैठियों को वोट बैंक मानते हैं . उन्होंने सवाल भी किया कि गुजरात और राजस्थान की सीमा से घुसपैठ क्यों नहीं होती है. अमित शाह दैनिक जागरण अखबार के पूर्व प्रधान संपादक नरेंद्र मोहन की स्मृति में आयोजित ‘घुसपैठ, जनसांख्यिकीय परिवर्तन और लोकतंत्र' विषयक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि घुसपैठ कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय मुद्दा है और लोकतंत्र के लिए खतरा है. अमित शाह ने कहा कि विपक्ष का कहना है कि घुसपैठ रोकना केंद्र की जिम्मेदारी है क्योंकि सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) उसके नियंत्रण में है, लेकिन सीमा पर कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां भौगोलिक स्थिति के कारण बाड़ नहीं लगाई जा सकती.
उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र अकेले घुसपैठ नहीं रोक सकता. राज्य सरकारें ऐसे घुसपैठियों को संरक्षण देती हैं, क्योंकि कुछ पार्टियां उनमें वोट बैंक देखती हैं.''
केंद्रीय गृह मंत्री ने सवाल किया कि अगर कोई व्यक्ति अवैध रूप से देश में घुस आता है और जिला प्रशासन उसकी पहचान करने में विफल रहता है, तो घुसपैठ कैसे रोकी जा सकती है? उन्होंने कहा कि जब कोई व्यक्ति शरणार्थी और घुसपैठिए के बीच का अंतर नहीं समझता, तो वह अपनी अंतरात्मा को धोखा दे रहा होता है.
शाह ने कहा कि असम में 2011 की जनगणना के अनुसार मुस्लिम जनसंख्या की दशकीय वृद्धि दर 29.6 प्रतिशत थी. केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा, ‘‘घुसपैठ के बिना यह संभव नहीं है. पश्चिम बंगाल के कई जिलों में यह वृद्धि दर 40 प्रतिशत है और कई सीमावर्ती क्षेत्रों में यह 70 प्रतिशत तक पहुंच गई है. यह स्पष्ट प्रमाण है कि अतीत में घुसपैठ हुई है.''
उन्होंने कहा कि कुछ दलों को घुसपैठ में वोट बैंक दिखने लगा है, इसलिए वे घुसपैठियों को शरण दे रहे हैं. शाह ने कहा, ‘‘हमारे गुजरात की भी सीमा लगती है, राजस्थान की भी लगती है, लेकिन वहां घुसपैठ नहीं होती.''
उन्होंने ने कहा कि झारखंड में जनजातीय समुदायों की जनसंख्या में बहुत बड़ी गिरावट आई है और इसका कारण बांग्लादेश से घुसपैठ है.