अबतक तीन करोड़ हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में गेहूं बुवाई, जलवायु अनुकूल किस्मों को तरजीह

कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, चालू रबी सत्र में 22 दिसंबर तक गेहूं की बुवाई रकबा तीन करोड़ 8.6 लाख हेक्टेयर था. यह एक साल पहले की अवधि के तीन करोड़ 14.4 लाख हेक्टेयर हेक्टेयर के रकबे से थोड़ा कम है.

विज्ञापन
Read Time: 12 mins
यह एक साल पहले की अवधि के तीन करोड़ 14.4 लाख हेक्टेयर हेक्टेयर के रकबे से थोड़ा कम है.
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • गर्मी सहने में सक्षम किस्मों को बोया गया
  • जलवायु अनुकूल गेहूं की किस्मों को बढ़ावा दिया है
  • जलवायु अनुकूल किस्मों को तरजीह
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
नई दिल्ली:

पिछले साल गेहूं पकने के समय लू के कारण नुकसान का सामना करने के बाद, इस बार ज्यादातर किसान जलवायु अनुकूल गेहूं किस्मों की खेती कर रहे हैं. यह नई किस्म बुवाई के कुल रकबे के 60 प्रतिशत से अधिक हिस्से में बोई गई हैं. कृषि आयुक्त पी के सिंह के अनुसार जलवायु अनुकूल गेहूं की बुवाई का रकबा अब तक तीन करोड़ 8.6 लाख हेक्टेयर है. गेहूं रबी (सर्दियों) की मुख्य फसल है, जिसकी बुवाई आम तौर पर नवंबर में शुरू होती है और कटाई मार्च-अप्रैल में की जाती है.

कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, चालू रबी सत्र में 22 दिसंबर तक गेहूं की बुवाई रकबा तीन करोड़ 8.6 लाख हेक्टेयर था. यह एक साल पहले की अवधि के तीन करोड़ 14.4 लाख हेक्टेयर हेक्टेयर के रकबे से थोड़ा कम है.

गेहूं की किस्मों को बढ़ावा दिया
सिंह ने पीटीआई-भाषा से कहा, "ऐसा इसलिए है क्योंकि उन कुछ हिस्सों में गेहूं की बुवाई में देरी हुई है, जहां धान की कटाई में विलम्ब हुआ है. इसको छोड़ दे तो, गेहूं की बुवाई अच्छी चल रही है." उन्होंने कहा कि पिछले साल किसानों को गेहूं पकने के समय औसत तापमान बढ़ने से समस्या का सामना करना पड़ा था. इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस साल जलवायु अनुकूल गेहूं की किस्मों को बढ़ावा दिया है और कुल फसल रकबे के 60 प्रतिशत हिस्से को इसके दायरे में लाने का लक्ष्य रखा है.

गर्मी सहने में सक्षम किस्मों को बोया गया
कृषि आयुक्त ने कहा, "हमने लक्ष्य पार कर लिया है क्योंकि अब तक 60 प्रतिशत से अधिक फसल क्षेत्र में गर्मी सहने में सक्षम किस्मों को बोया गया है. पिछले साल, इन किस्मों को केवल 45 प्रतिशत क्षेत्र में बोया गया था." उन्होंने कहा कि इससे किसानों को गेहूं पकने के समय बढ़ी हुई औसत गर्मी की समस्या का सामना करने में मदद मिलेगी.
उल्लेखनीय है कि मार्च 2022 में भीषण गर्मी ने उत्तर और मध्य भारतीय राज्यों में गेहूं की पैदावार कम कर दी थी.

सरकार ने साप्ताहिक वैज्ञानिक सलाह जारी करना शुरू कर दिया
कृषि आयुक्त ने कहा कि किसानों को गर्मी से निपटने को किसानों को पहले से तैयार करने के लिए सरकार ने साप्ताहिक वैज्ञानिक सलाह जारी करना शुरू कर दिया है. इसमें उन्हें बताया जाएगा कि विकास के विभिन्न चरणों और मौसम की स्थिति में फसल की देखभाल कैसे करें.

22 दिसंबर तक बढ़कर 94.4 लाख हेक्टेयर रहा
उन्होंने कहा, "पहले, हम पाक्षिक आधार पर सलाह जारी करते थे, लेकिन इस साल हम किसानों को पहले से तैयार करने के लिए इस काम को साप्ताहिक आधार पर कर रहे हैं." इससे किसानों के बीच उत्पादन संबंधी चिंताओं को संबोधित करने में मदद मिलेगी. आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में गेहूं की बुवाई का रकबा 2023-24 रबी सत्र में 22 दिसंबर तक बढ़कर 94.4 लाख हेक्टेयर रहा, जो एक साल पहले की अवधि में 92.9 लाख हेक्टेयर था.

हालांकि, मध्य प्रदेश में गेहूं का रकबा थोड़ा कम यानी 81.7 लाख हेक्टेयर रहा, जबकि इससे पिछले साल की उक्त अवधि में 83.9 लाख हेक्टेयर था. पंजाब और हरियाणा में, इस रबी सत्र में 22 दिसंबर तक गेहूं का रकबा पिछले साल के क्रमशः 34.9 लाख हेक्टेयर और 23.1 लाख हेक्टेयर के स्तर पर ही था.

Advertisement

ये भी पढ़ें- "साल 1978 का कदम बगावत नहीं..." : शरद पवार ने अजित पवार पर कसा तंज

ये भी पढ़ें- लोकसभा चुनाव के मद्देनजर गृह मंत्री अमित शाह और BJP अध्यक्ष नड्डा का बंगाल दौरा

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Mayawati ने की CM Yogi की तारीफ, मगर Akhilesh Yadav को खूब सुना दिया | UP News | NDTV India
Topics mentioned in this article