भ्रष्ट लोक सेवकों को सजा दिलाने के लिए ईमानदार प्रयास किए जाने चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

पीठ ने कहा, “यदि शिकायतकर्ता बयान से मुकर जाता है या उसकी मृत्यु हो जाती है या फिर सुनवाई के दौरान वह साक्ष्य पेश करने में असमर्थ रहता है, तो किसी अन्य गवाह के मौखिक या दस्तावेजी सबूत को स्वीकार कर अवैध लाभ की मांग संबंधी अपराध को साबित किया जा सकता है या अभियोजन पक्ष परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर मामला सिद्ध कर सकता है.”

विज्ञापन
Read Time: 24 mins
भ्रष्ट लोक सेवकों के प्रति सुप्रीम कोर्ट सख्त.
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों को न्याय के कठघरे में लाने के लिए ईमानदार प्रयास किये जाने चाहिए. कोर्ट ने कहा कि भ्रष्टाचार के मामले में अवैध लाभ हासिल करने के आरोप में कोई प्रत्यक्ष मौखिक या दस्तावेजी सबूत न होने की सूरत में किसी लोकसेवक को परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर भी दोषी ठहराया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर मृत्यु या किसी अन्य कारण से शिकायतकर्ता का प्रत्यक्ष सबूत नहीं उपलब्ध है, तो भी लोक सेवक को प्रासंगिक प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया जा सकता है.

पीठ ने कहा, “यदि शिकायतकर्ता बयान से मुकर जाता है या उसकी मृत्यु हो जाती है या फिर सुनवाई के दौरान वह साक्ष्य पेश करने में असमर्थ रहता है, तो किसी अन्य गवाह के मौखिक या दस्तावेजी सबूत को स्वीकार कर अवैध लाभ की मांग संबंधी अपराध को साबित किया जा सकता है या अभियोजन पक्ष परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर मामला सिद्ध कर सकता है.” पीठ ने कहा, “मुकदमा कमजोर नहीं पड़ना चाहिए और न ही लोक सेवक के बरी होने के परिणाम के रूप में समाप्त होना चाहिए.”

न्यायमूर्ति एस ए नजीर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि शिकायतकर्ताओं के साथ-साथ अभियोजन पक्ष को भी ईमानदार कोशिश करनी चाहिए, ताकि भ्रष्ट लोक सेवकों को दोषी ठहराकर उन्हें सजा दी जा सके और शासन-प्रशासन को साफ-सुथरा और भ्रष्टाचार मुक्त बनाया जा सके. पीठ ने कहा, “शिकायतकर्ता के सबूत (प्रत्यक्ष या प्राथमिक) के अभाव में, अपराध के संबंध में आनुमानिक निष्कर्ष निकाले जाने की अनुमति है.”

Advertisement

इस पीठ में न्यायमूर्ति बी आर गवाई, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना, न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना भी शामिल थे. शीर्ष अदालत ने इस सवाल पर विचार करते समय यह आदेश दिया कि क्या अवैध लाभ की मांग के संबंध में प्रत्यक्ष या प्राथमिक साक्ष्य के अभाव की सूरत में किसी लोक सेवक के अपराध का आनुमानिक आकलन अन्य सबूतों के आधार पर किया जा सकता है.
 

Advertisement

ये भी पढ़ें:-

गुजरात दंगों के दोषियों की वक्त से पहले रिहाई को चुनौती पर जल्द सुनवाई की मांग SC में नामंज़ूर

Advertisement

जजों की नियुक्ति को लेकर जारी विवाद के बीच कानून मंत्री का सुप्रीम कोर्ट को नया संदेश

पंजाब में नकली और जहरीली शराब की बिक्री के मामले पर SC में हुई सुनवाई, कोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा स्टेटस रिपोर्ट

Advertisement
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
MP बंगलों में ऐसा क्या है, जो परेशान हो गए सांसद? देखिए Exclusive Report | Khabron Ki Khabar
Topics mentioned in this article