शिवसेना नेता ने अपने ही मंत्रियों के खिलाफ खोला मोर्चा, एनसीपी से मिलीभगत का लगाया आरोप

रामदास कदम ने कहा, वह हमेशा शिवसैनिक बने रहेंगे और पार्टी कभी नहीं छोड़ेंगे. 2019 में एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन सरकार बनने के बाद पहली बार उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना में मतभेद खुलकर सामने आए हैं.

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रामदास कदम ने शिवसेना कोटे के मंत्रियों उदय सामंत और अनिल परब पर साधा निशाना
मुंबई:

महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना के अंदर ही खींचतान सामने आ गई है. शिवसेना नेता रामदास कदम ने पार्टी कोटे के मंत्रियों अनिल परब और उदय सामंत पर गंभीर आरोप लगाए हैं. कदम ने कहा कि ये मंत्री एनसीपी के साथ हाथ मिलाकर पार्टी को खत्म करने  में तुले हुए हैं. कदम ने कहा कि वो मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ मुलाकात कर अपने राजनीतिक पर कोई फैसला लेंगे. कदम 2014 से 2019 के बीच देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार में पर्यावरण मंत्री रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों मंत्री उन्हें सियासी तौर पर खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन वह हमेशा शिवसैनिक बने रहेंगे और पार्टी कभी नहीं छोड़ेंगे. 2019 में एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन सरकार बनने के बाद पहली बार उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना में मतभेद खुलकर सामने आए हैं.

कदम ने कहा कि परिवहन मंत्री परब और उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री सामंत एनसीपी के साथ साठगांठ कर रत्नागिरी जिले में शिवसेना को खत्म कर रहे हैं.उन्होंने स्पष्ट किया कि परब के खिलाफ बोलने का मतलब शिवसेना विरोधी रुख नहीं है. परब और सामंत को इसलिये मंत्री बनाया गया था ताकि शिवसेना को मजबूत किया जा सके, न कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को खत्म करने के लिए, जिन्होंने पार्टी को अपना खून-पसीना दिया है.

कदम ने आरोप लगाया कि कोंकण क्षेत्र शिवसेना का गढ़ है, लेकिन दोनों मंत्री वहां पार्टी के अस्तित्व को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं. परब रत्नागिरी जिले के प्रभारी मंत्री हैं, जबकि सामंत सिंधुदुर्ग जिले के प्रभारी मंत्री हैं. कदम को हाल में मुंबई स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र से विधान परिषद चुनाव के लिए शिवसेना ने नामित नहीं किया था. कदम ने कहा कि 2019 में जब महा विकास अघाड़ी सरकार बनी थी, तो उन्होंने ठाकरे को सुझाव दिया था कि उनके जैसे वरिष्ठ नेता, सुभाष देसाई और दिवाकर रावत कैबिनेट में युवा नेताओं को जगह दे सकते हैं. रावते और देसाई राजी हो गए थे, लेकिन देसाई का नाम कैबिनेट की पहली सूची में देखकर मैं हैरान था.

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कदम ने कहा कि वह उद्धव ठाकरे से मिलकर यह जानना चाहते हैं क्या वह परब के विचारों और कार्यशैली से सहमत हैं. कदम ने कहा, बैठक के बाद वो अपने भावी कदम का फैसला करेंगे. मैं शिवसेना कभी नहीं छोड़ूंगा और भले ही मुझे पार्टी से निकाल दिया जाए, मैं शिव सैनिक बना रहूंगा.लेकिन मेरे बच्चे अपना निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं. मैं कभी भगवा झंडा नहीं छोड़ूंगा'

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यह पूछे जाने पर कि क्या वह बीजेपी में शामिल होंगे क्योंकि उसका प्रतीक भी भगवा है, तो उन्होंने कहा कि दोनों दलों (शिवसेना और भाजपा) के बीच अंतर है और वह कभी भी शिवसेना नहीं छोड़ेंगे. कदम पिछले दो वर्षों में ठाकरे के निजी आवास 'मातोश्री' नहीं गए हैं. उन्होंने कहा, 'मैंने पार्टी मामलों के बारे में उद्धव को एक विस्तृत पत्र लिखा है. अगर मुझे बैठक के लिए बुलाया जाता है, तो मैं अपनी स्थिति स्पष्ट करूंगा.'

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उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने के बाद शिवसेना के किसी वरिष्ठ नेता की ओर से यह पहली बगावत है. अतीत में छगन भुजबल, नारायण राणे और राज ठाकरे जैसे कुछ चर्चित नेता पार्टी छोड़ चुके हैं.

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