शिवराज सिंह ने कहा मंडिया बंद नहीं होंगी, लेकिन 70 फीसदी मंडियों में कारोबार लगभग पूरी तरह ठप

मध्यप्रदेश  कुल 269 मंडियां जबकि 298 उप मंडियां हैं। इन मंडियों में 6500 कर्मचारी कार्यरत हैं, 45,000 रजिस्टर्ड कारोबारी हैं. मं

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मंडी के बाहर सीधे खरीद का प्रावधान किया गया.
भोपाल:

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रीवा में मंच से ज़ोर देकर कहा किसी भी क़ीमत पर मंडी बंद नहीं होगी ये झूठी बात कर रहे हैं ... किसी कीमत पर मंडिया बंद नहीं होंगी चालू रहेंगी, चालू रहेंगी. फिर मध्यप्रदेश में मंडियों में कम कारोबार के सवाल पर लोगों को बताया कि मामा ने 2 रु. की जगह अठन्नी मंडी टैक्स कर दिया, कांग्रेस के नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा खेती किसानी जानते नहीं है, खेती किसानी चालू रहेगी ... मंडी में मुझे आपत्ति नहीं है, किसान जहां चाहे उसकी मर्ज़ी ...दाल भात में मूसलचंद तुम कौन होते हो ...

दरअसल नये कृषि कानूनों को लेकर किसानों के मन में एक आशंका ये है कि मंडियां बंद हो जाएंगी, सरकार समझा रही है कि ऐसा कुछ नहीं होगा आशंकाओं की वजह नहीं है. मध्य प्रदेश में नये कानून लागू होने से पहले मई में ही मॉडल मंडी एक्ट लागू कर दिया गया था. मंडिया बंद तो नहीं हुई लेकिन अगर दस्तावेज खंगाले, मंडियों में बात करें तो पता चल रहा है कि लगभग 70 फीसदी मंडियों में कारोबार लगभग पूरी तरह ठप हो गया है ... हालांकि सरकार कह रही है आंकड़े सही नहीं हैं.

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मुख्यमंत्री जी कह रहे हैं मंडी बंद नहीं होगी, फिर ये भी कह रहे हैं इनकम घटी है क्योंकि उन्होंने टैक्स घटा दिया है. हकीकत क्या है छतरपुर, रीवा, कटनी, खंडवा, अनूपपुर ... मध्यप्रदेश के अलग-अलग संभागों की ये मंडियां हैं कुछ मंडियों में काम काज धीमा हो गया है तो कहीं ठप. मंडी कर्मचारियों की मानें तो ये सब मॉडल मंडी एक्ट की वजह से हुआ जो राज्य में 1 मई से लागू हो गई जिसमें निजी क्षेत्रों में मंडियों की स्थापना हेतु प्रावधान किया गया गोदाम, साइलो, कोल्ड स्टोरेज को भी प्राइवेट मंडी घोषित करने का प्रावधान किया मंडी के बाहर सीधे खरीद का प्रावधान किया गया मंडी शुल्क 1.70 पैसे से घटाकर 50 पैसे प्रति क्विंटल कर दिया.

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मध्य प्रदेश शासन की वेबसाइट ई अनुज्ञा के आंकड़ों की मानें तो, अक्टूबर महीने में राज्य की 259 मंडियों में से लगभग 47 मंडियों में कारोबार पूरी तरह से ठप रहा. अक्टूबर में ही तकरीबन 143 मंडियों के कारोबार में 50 से 60 फीसदी तक गिरावट देखने को मिली. 79 मंडियों में फल-सब्जियों की आवक की वजह से कारोबार हुआ राज्य में 298 उप मंडियों में भी कोई कारोबार नहीं हुआ है.मंडियों में कारोबार घटने से मंडी बोर्ड का टैक्स लगभग 64 फीसद घट गया है. छतरपुर मंडी के मंडी सचिव मंगल सिंह कहते हैं आज की स्थिति में कम से कम 70 फीसद गिरावट हुई है, व्यापारी को मंडी में टैक्स है बाहर नहीं है तो कोई आएगा नहीं.

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कटनी मंडी के राम आश्रय गौतम बताते हैं पिछले साल की तुलना में इस साल आधा हो गया है. जब से नया एक्ट लागू हुआ आवक कम हुई बाहर ज्यादा खरीद फरोख्त होता है इससे यहां मजदूर, व्यापारी, मंडी की आय प्रभावित हुई है.

वहीं रीवा में असिस्टेंट मंडी इंस्पेक्टर राजेंद्र सिंह ने कहा 18 मंडियां है सतना, नागौद, रीवा इसके अलावा 15 मंडियों मे जीरो आवक है, जो तीन मंडियों में आ रही है उसमें डेढ़ प्रतिशत को आधा पैसा कर दिया है, 14 नवंबर से जो मंडी फीस जमा की है जनवरी तक करेंगे तो बकाया पट पाएगा. मान कर चलिये सभी मंडियों की जीरो आय है, जो पैसा मिला है वो बिजली पानी के बिल में खत्म हो जाएगा सैलरी के नाम पर एक पैसा नहीं बचेगा. खंडवा उपज मंडी के सचिव जितेंद्र चौधरी ने कहा शासन ने जो नया एक्ट निकाला है व्यापारी बाहर भी खरीद सकता है अंदर भी, इस बार आवक पिछले साल से 25 प्रतिशत कम है. आंकड़े यही कहते हैं, सूनी मंडियां यही कहती हैं, कर्चमारी-कारोबारी यही कहते हैं.. लेकिन मंत्रीजी कहते हैं ये सब झूठ है ... कांग्रेस कहती है सरकार झूठी है. 

कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा पिछली बार 656 करोड़ की आय हुई थी, इस साल 657 करोड़ रु. मिले हैं, एक करोड़ ज्यादा ... ये जानकारी गलत है कि आय घटी है. छोटी मंडियों में काम नहीं हुआ, पहले ही उनमें नहीं होता था चालू ही नहीं हुई है ... आज से नहीं पहले से ही ... मॉडल मंडी एक्ट से कोई फर्क नहीं पड़ा, पोर्टल पर जो जानकारी लगी है वो गलत है. हालांकि कांग्रेस प्रवक्ता नरेन्द्र सलूजा ने कहा राज्य में मई में म़ॉडल एक्ट लागू किया उसके बाद कारोबार 70 फीसद बंद हो गया, एमएसपी मिल नहीं रहा, निजी मंडियों को बढ़ावा मिलेगा ये मप्र के संदर्भ में साबित हो गया.

मध्यप्रदेश  कुल 269 मंडियां जबकि 298 उप मंडियां हैं। इन मंडियों में 6500 कर्मचारी कार्यरत हैं, 45,000 रजिस्टर्ड कारोबारी हैं. मंडी बोर्ड इन कारोबारियों से 1.5 फीसदी टैक्स लेकर 0.5 फीसदी राज्य सरकार को देता है। एक फीसदी से कर्चमारियों को वेतन-पेंशन मिलता है. लेकिन नये कानून से सबकी कमर टूट गई है. नये कृषि कानूनों को लेकर सरकार के अपने दावे हैं, किसानों की अपनी आशंकाएं,  मध्यप्रदेश ने मॉडल मंडी एक्ट लागू कर दिया है अगर इसके बरअक्स नये कानूनों को देखें तो कम से कम मंडियों के संदर्भ में ये आशंकाएं निर्मूल तो नहीं लगती हैं, अक्तूबर में मंडी से जुड़े कर्मचारी, हम्माल, तुलावटी वल्लभ भवन घेरने पहुंचे थे तो पुलिस ने उन्हें खदेड़ दिया था.
 

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