- शिवराज सिंह चौहान ने मनरेगा के स्थान पर जी राम जी योजना को ग्रामीण मजदूरों के लिए महत्वपूर्ण बताया है
- जी राम जी विधेयक में मजदूरों को 125 दिनों तक काम की कानूनी गारंटी और बेरोजगारी भत्ते का प्रावधान शामिल है
- कांग्रेस ने नए विधेयक का विरोध किया है, लेकिन शिवराज सिंह चौहान ने इसे गरीबों और विकास के हित में बताया है
ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को मनरेगा को लेकर विपक्ष पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि मनरेगा के नाम पर फिर एक बार देश को गुमराह करने की साजिश हो रही है. भ्रम फैलाए जा रहे हैं, जबकि सच्चाई यह है कि विकसित भारत: जी राम जी योजना मनरेगा के आगे का कदम है.
नए विधेयक के ग्रामीण मजदूरों के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा, "मजदूर भाइयों, अब 100 नहीं, बल्कि 125 दिनों के काम की कानूनी गारंटी है. काम न मिलने की स्थिति में बेरोजगारी भत्ते के प्रावधान को और सशक्त बनाया गया है. मजदूरी अगर देर से मिली तो अतिरिक्त राशि देने का भी प्रावधान किया गया है. इस योजना के लिए इसी साल ₹1,51,282 करोड़ से अधिक की विशाल धनराशि प्रस्तावित है, ताकि रोजगार देने के लिए पर्याप्त पैसा हो, और उस पैसे से गांव का सम्पूर्ण विकास हो सके."
उन्होंने कहा कि विकसित भारत के लिए विकसित गांव, स्वावलंबी गांव और गरीबी मुक्त - रोजगार युक्त गांव बनाने के लिए जल संरक्षण, गांव में इन्फ्रास्ट्रक्चर के काम, आजीविका मूलक गतिविधियों तथा प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के काम हाथ में लिए जाएंगे.
साल में 60 दिन तक नए "जी राम जी विधेयक" में रोज़गार न देने के प्रस्ताव पर स्पष्टीकरण देते हुए ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा कि ये फैसला कृषि कार्य के समय छोटे किसानों को दिक्कत न हो, इसके लिए किया गया है.
खरगे ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था, "मुंह में राम बगल में छुरी मत रखो! गरीबों के लिए राम राम बोलते रहो, लेकिन उसके आगे से पीछे से छुरी रखे हो. मैं कसम से बोलता हूं. मेरी मां का इन्तेकाल मेरे बचपन में हो गया था, जब मैं 6-7 साल का होउंगा. मैं उनकी कसम खाकर कहता हूं - ये कानून गरीबों के लिए अच्छा नहीं है. मैं अपनी मां की कसम खाकर कहता हूं, भारत मां की कसम खाकर कहता हूं, ये कानून गरीबों के लिए ठीक नहीं है."
लेकिन शिवराज सिंह चौहान ने इन आरोपों को बेबुनियाद करार दिया है. शिवराज ने अपने बयान में कांग्रेस के इन आरोपों पर जवाब देते हुए कहा, "यह कानून गरीब के हक में है, विकास के हक में है और यह कानून मजदूरों को रोजगार देने की पूरी गारंटी है. यह विकसित भारत के निर्माण के लिए विकसित गांव का संकल्प पूरा करता है. इसमें एक विशेष प्रावधान भी किया गया है, प्रशासनिक व्यय 6% से बढ़ाकर 9% कर दिया गया है. अगर प्रस्तावित राशि ₹1,51,282 करोड़ में 9% निकाल लें तो लगभग ₹13,000 करोड़ होता है, इस राशि से काम कराने वाले हमारे साथी - पंचायत सचिव, रोजगार सहायक सहित टेक्निकल स्टाफ को समय पर पर्याप्त वेतन मिलेगा, ताकि वे पूरी क्षमता से कार्य करा सकें."
ग्रामीण विकास और पंचायती राज मामलों पर संसदीय समिति के अध्यक्ष और कांग्रेस सांसद सप्तगिरि शंकर उलाका ने 29 दिसम्बर को ग्रामीण विकास विभाग (ग्रामीण विकास मंत्रालय) के प्रतिनिधियों को 'रोजगार और आजीविका मिशन-ग्रामीण (VB G RAM G) विधेयक के लिए विकसित भारत गारंटी' विषय पर ब्रीफिंग के लिए बुलाया है. बैठक में नए विधेयक की तुलना MGNREGS से की जाएगी.













