आलोक श्रीवास्तव और आशुतोष राणा.
- शिव तांडव स्तोत्र रावण द्वारा रचित एक दिव्य स्तुति है.
- आलोक श्रीवास्तव ने इसका हिंदी भावानुवाद किया है.
- आशुतोष राणा ने इस अनुवाद को गाने का कार्य किया है.
- एनडीटीवी क्रिएटर्स मंच पर पहुंचे आलोक श्रीवास्तव ने बताया कि तांडव का हिंदी में अनुवाद कैसे हुआ?
"जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम्.
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं
चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम्"
रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र का जब पाठ होता है तो हर कोई भगवान भोलेनाथ की भक्ति में खो जाते है. रावण रचिव संपूर्ण शिव तांडव संस्कृत में है. इसका पाठ बहुत मुश्किल है. हर कोई तांडव का पाठ नहीं कर पाता. शिव तांडव स्तोत्र के साथ आ रही इस परेशानी को दूर करने की कोशिश भारत के मशहूर कवि आलोक श्रीवास्तव और अभिनेता आशुतोष राणा की पहल पर संभव हो सका है. आलोक श्रीवास्तव ने शिव तांडव स्तोत्र का उसी भाव में हिंदी में अनुवाद किया. फिर आशुतोष राणा ने इसे पूरे भाव से ओजपूर्ण शब्दों में गाया. जो लोगों के दिल के बेहद करीब है.
शिव तांडव स्तोत्र के हिंदी अनुवाद की पूरी कहानी शुक्रवार को एनडीटीवी क्रिएटर्स मंच पर पहुंचे आलोक श्रीवास्तव ने सुनाई. उन्होंने बताया कि तांडव के हिंदी अनुवाद की कल्पना कैसे आई. फिर यह अनुवाद कैसे हुआ.
आलोक श्रीवास्तव ने बताया- कैसे हुआ शिव तांडव का हिंदी अनुवाद
आलोक श्रीवास्तव ने बताया कि आशुतोष राणा इसके निमित बने. विचार उनका ही था. यह इतनी दिव्य स्तुति है. एक दिन हमलोग ऐसे ही विमर्श कर रहे थे, तब उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि शिव तांडव स्तोत्र का हिंदी भावानुवाद करो. मैंने कहा भैया किस जोखिम में डाल रहे हैं. इसे रावण जैसे विद्वान ने रचा है. लेकिन उन्होंने कहा नहीं हो जाएगा.
अच्छी बात यह रही कि तांडव जिस छन्द में रचा गया है वैसे ही छन्द में हिंदी भावानुवाद हुआ. इसके बाद आलोक श्रीवास्तव ने शिव तांडव के हिंदी भावानुवाद को भी सुनाया.
जटाओं से है जिनके जलप्रवाह माते गंग का।
गले में जिनके सज रहा है हार विष भुजंग का।
डमड्ड डमड्ड डमड्ड डमरु कह रहा शिवः शिवम्।
तरल-अनल-गगन-पवन धरा-धरा शिव: शिवम्..
मैंने तांडव का अनुवाद करते समय आशुतोष राणा जी से पूछा आपके लिए शिव क्या है? उन्होंने मुझे समझाया और जो उन्होंने मुझे समझाया उसे मैंने रचा. मालूम हो कि शिव तांडव स्तोत्र (Shiv Tandav StotraM) महादेव के भक्त रावण द्वारा विरचित हैं. जिसका सरल हिन्दी भावानुवाद गीतकार और कवि आलोक श्रीवास्तव द्वारा किया गया है. आशुतोष राणा ने इसे स्वरवद्ध किया गया हैं.
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