"घरों-ऑफिस पर हमले और दूसरी ओर बातचीत का न्योता दे रहे" : शिवसेना के बागी विधायक केसरकर

Maharashtra Crisis : अगर हम बोलेंगे तो आपने देखा किस तरह से करने की कोशिश की? किस तरह से दबाव बनाया गया. किस तरह से लोग रास्ते पे आ गए तो ये सब लोकशाही नहीं है.

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Maharashtra Crisis : महाराष्ट्र में खतरे में सीएम उद्धव ठाकरे की सरकार

नई दिल्ली:

विधायकी जाने के खतरे का सामना कर शिवसेना के 16 एमएलए को सुप्रीम कोर्ट से सोमवार को बड़ी राहत मिली है. शिवसेना के बागी गुट के विधायक दीपक केसरकर ने एनडीटीवी इंडिया से बातचीत में कहा, बिल्कुल बहुत बड़ी राहत है. ये कहा जा रहा था कि जिस तरह से राजनीतिक लंबी रही है, कई ऐसे विधायक वहां पर भी मौजूद हैं. गुवाहाटी में मौजूद कई विधायकों के उद्धव ठाकरे के संपर्क में होने के सवाल पर केसरकर ने कहा, क्या कितनी सच्चाई है, मुझे इसके बारे में इतना ही कहना है कि अगर वो आपके गुट के हैं और वापस आना चाहते हैं तो उनको प्लीज मुझे संपर्क करने के लिए बोलिए. हम बहुत सुरक्षित उनको वापस भेज देंगे. आदित्य ठाकरे कह रहे हैं कि राजनीति नहीं सर्कस हो रहा है, महाराष्ट्र की राजनीति को जिस तरह से आप लोग अपने राज्य को छोड़कर गुवाहाटी में मौजूद हैं, क्या बताएंगे अपने महाराष्ट्र के लोगों को कि क्यों ऐसा करना पड़ रहा है.

इस सवाल पर केसरकर ने कहा, वहां जो प्रवक्ता (संजय राउत) हैं. मिस्टर राउत तो इस तरह का बर्ताव वो कर रहे हैं कि वो शिवसेना को बोलते हैं कि आप रास्ते पे उधर जाओ, आप हम पर हमले करो, हमारे ऑफिस पर हमले करो और दूसरी जगह पर दूसरे दिन बयान देते हैं कि आप यहां आइए हम आपके साथ बात करेंगे, बात करेंगे. मतलब यहां हमारे लोग आपको मारेंगे, पीटेंगे और बोलेंगे कि ये करो तो हम ऐसे दबाव में नहीं आने वाले हैं. बागी विधायक ने कहा, मेरा जो जिला है, उसमें भी ऐसी प्रवृत्ति आती जिसको राउत जी नहीं कर सके. मैंने अपने शांत स्वभाव से और अपने सिद्धांतों से उस डराने-धमकाने की प्रवृत्ति को खत्म कर दिया. मुझे इसका डर नहीं लगता है, लेकिन जो औरतें हैं जो नए वो शायद डर जाएं तो इसीलिए हम लोग यहां पर हैं, क्योंकि हम अपना वोटिंग करना चाहते हैं और आपने आज देखा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी ये जजमेंट दिया है. उनसे सवाल पूछा गया, आपको लगता है एक व्यक्ति बात आप लोग इतनी पुरानी पार्टी को जिससे आप लोग इतने समय से जुड़े रहे, उसको छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं.

बिल्कुल नहीं हम लोग एक डेढ़ साल से साहब (उद्धव ठाकरे) को बोल रहे हैं कि जिनके साथ आपने ये गठबंधन बनाया है ये लोग हार चुके थे. सिर्फ आपकी वजह से ये सत्ता में हैं. फिर भी इनके जो प्रॅापर्टी वो हर एक विधानसभा क्षेत्र में जाते हैं वहां पर अपनी घोषणाएं करते हैं. उनको ये फंड देते हैं और फिर ऐसा है कि जिनकी वजह से आप सत्ता में आ गए. उद्धव साहब को इसके बारे में पूछना चाहिए था. राज्यसभा के इलेक्शन के पास उन्होंने ऐलान किया था. उनको सवाल क्यों नहीं पूछा गया? ऐसी बहुत सारी चीजें हैं और हिंदुत्व का मुद्दा है ही है. हम लोग इकट्ठा गए थे. लोगों के सामने हम किस तरह से देख रहे हैं. आप लोग वापस कब आएंगे और हम बहुत ही जल्दी वापस आएंगे लेकिन बता ही नहीं करना पड़ता है.

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अगर हम बोलेंगे तो आपने देखा किस तरह से करने की कोशिश की? किस तरह से दबाव बनाया गया. किस तरह से लोग रास्ते पे आ गए तो ये सब लोकशाही नहीं है. ये सवाल पूछा गया कि उद्धव ठाकरे अगर मुख्यमंत्री बने दोबारा बीजेपी के साथ आकर तो वो भी आप लोग चाहेंगे कि बीजेपी का मुख्यमंत्री होंगे. देखिये इनकी जो लडाई हुई थी वो इसी पर हुई थी तो साझेदारी पर.  50-50 का. मतलब ढाई साल-ढाई साल तक निकल गए और उद्धव साहब रह चुके हैं तो मुझे नहीं लगता. ऐसे में  दोस्ती का हाथ बढा दें. उस तरफ आगे बढ़ा जा सकता है. एक बार फिर से पुरानी शिवसेना और बीजेपी साथ आकर सरकार बनाए.

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