"शिवसेना को बचाए रखने के लिए बेमेल गठबंधन से बाहर आना जरूरी", एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे को दिया जवाब

बागी शिवसेना नेता ने कहा कि पार्टी और शिवसैनिकों को टिकाए रखने के लिए अनैसर्गिक गठबंधन से बाहर निकलना ज़रूरी है. महाराष्ट्र के हित के लिए यह फैसला लेना बेहद जरूरी है.

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एकनाथ शिंदे ने कहा, पिछले ढाई साल में महाविकास आघाडी में शिवसेना को केवल नुकसान हुआ है
गुवाहाटी:

महाराष्‍ट्र में सियासी संकट के बीच बागी शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने फिर कहा है कि शिवसेना के लिए कांग्रेस और एनसीपी का साथ छोड़ना जरूरी है. शिदे ने मराठी भाषा में किए ट्वीट में लिखा, "पिछले ढाई साल में महा विकास आघाडी में फायदा दूसरे दलों को हुआ है और शिवसेना को केवल नुकसान हुआ है. दूसरे दल जहां मजबूत होते गए तो वहीं शिवसेना की ताकत कम होती चली गई." उन्‍होंने कहा कि  पार्टी और शिवसैनिकों को टिकाए रखने के लिए अनैसर्गिक गठबंधन से बाहर निकलना ज़रूरी है. महाराष्ट्र के हित के लिए यह फैसला लेना बेहद जरूरी है.सीएम उद्धव ठाकरे के फेसबुक के जरिये संबोधन के बाद शिंदे की ओर से यह प्रतिक्रिया सामने आई है. 

गौरतलब है कि महाराष्‍ट्र में सियासी संकट गहराने के बीच  एकनाथ शिंदे ने अपने 'धड़े' को वास्‍तविक शिवसेना करार दिया है और 46 विधायकों के समर्थन का दावा किया है. शिंदे के समर्थक विधायकों ने राज्‍यपाल और महाराष्‍ट्र विधानसभा के डिप्‍टी स्‍पीकर का पत्र लिखकर आग्रह किया है कि एकनाथ शिंदे, जिन्‍हें शिवसेना ने वर्ष 2019 में विधायक दल का नेता नियुक्‍त किया था, इस पद पर बने रहेंगे. इनका यह भी कहना है कि भारत गोगावले को पार्टी का चीफ व्हिप नियुक्‍त किया गया है और वे अभी भी शिवसेना में हैं.

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शिंदे की अगुवाई वाले ग्रुप के प्रस्‍ताव में कहा गया है कि वैचारिक रूप से विरोध कांग्रेस पार्टी और शरद पवार की राष्‍ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर पार्टी कैडर में असंतोष व्‍याप्‍त है.शिंदे ग्रुप ने दावा किया कि सरकार में भ्रष्‍टाचार, नवाब मलिक और पूर्व मंत्री अनिल देशमुख के मामले और प्रशासनिक मसलों को लेकर काफी नाराजगी है.मंगलवार तक गुजरात के सूरत में डटे बागी शिंदे और उनके समर्थक विधायक अब असम के गुवाहाटी पहुंच गए हैं. गुवाहाटी एयरपोर्ट से निकलते समय एकनाथ शिंदे ने कहा  कि शिवसेना को छोड़ा नहीं है, बालासाहेब के हिंदुत्व को आगे बढ़ाएंगे. 

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