शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम मजीठिया को NDPS के केस में जमानत मिली

कोर्ट ने टिप्पणी की है कि यह मानने के लिए पर्याप्त आधार है कि याचिकाकर्ता ने अपराध नहीं किया है, और न ही उसके द्वारा जमानत पर इस तरह के अपराध किए जाने की कोई संभावना है

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शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है (फाइल फोटो ).
चंडीगढ़:

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने बुधवार को पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया (Bikram Singh Majithia) को मादक पदार्थ के मामले (NDPS) में जमानत (Bail) दे दी. कोर्ट ने टिप्पणी की है कि यह मानने के लिए पर्याप्त आधार है कि याचिकाकर्ता ने 2021 की एफआईआर संख्या 02 के तहत अपराध नहीं किया है, और न ही उसके द्वारा जमानत पर इस तरह के अपराध किए जाने की कोई संभावना है.

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने मादक पदार्थ मामले में बुधवार को शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को जमानत दे दी. मजीठिया के एक वकील अर्शदीप सिंह क्लेर ने बताया कि न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति सुरेश्वर ठाकुर की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया है.

बिक्रम मजीठिया ने 20 फरवरी को राज्य के विधानसभा चुनाव के बाद आत्मसमर्पण कर दिया था. वह फिलहाल पटियाला जेल में बंद हैं. खंडपीठ ने 29 जुलाई को मजीठिया की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.

मजीठिया ने 23 मई को हाईकोर्ट का रुख करके दिसंबर 2021 में स्वापक औषधि मन: प्रभावी पदार्थ (NDPS) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत अपने खिलाफ दर्ज मामले में जमानत मांगी थी.

पूर्व मंत्री मजीठिया के खिलाफ कांग्रेस सरकार के दौरान पिछले साल 20 दिसंबर को एनडीपीएस अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था.

मजीठिया शिरोमणि अकाली दल (SAD) के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल के साले और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल के भाई हैं. उन्होंने अपनी जमानत याचिका में कहा था कि उन्हें निशाना बनाने की दुर्भावनापूर्ण मंशा से यह एफआईआर दर्ज कराई गई.

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एसएडी नेता ने कहा कि पंजाब की पिछली कांग्रेस सरकार ने 'अपने राजनीतिक विरोधियों से प्रतिशोध लेने के लिए सत्ता का दुरुपयोग करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.'' एसएडी ने मजीठिया के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने को 'राजनीतिक प्रतिशोध' करार दिया था.

राज्य में मादक पदार्थ रैकेट की जांच के बारे में 2018 में एक रिपोर्ट पेश की गई थी, जिसके आधार पर मजीठिया के खिलाफ एनडीपीएस अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था.

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मजीठिया ने 24 फरवरी को मोहाली की एक अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था, जिसके बाद अदालत ने उनकी नियमित जमानत की याचिका खारिज कर दी थी. बिक्रम मजीठिया ने सुप्रीम कोर्ट का भी रुख किया था. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें हाईकोर्ट जाने का निर्देश दिया था.

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