शिमला के आईजीएमसी (IGMC) अस्पताल में डॉक्टर और मरीज के बीच हुई मारपीट का मामला अब एक गंभीर संकट बन चुका है. जो घटना एक वायरल वीडियो से शुरू हुई थी, वह अब डॉक्टरों की हड़ताल तक पहुंच चुकी है.
घटना पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के डॉ. राघव नरूला और मरीज अर्जुन के बीच ब्रॉन्कोस्कोपी के बाद वार्ड में विवाद हुआ. वीडियो में डॉक्टर को मरीज के साथ मारपीट करते देखा गया, जिसके बाद हिमाचल सरकार ने 'रेजिडेंट डॉक्टर पॉलिसी 2025' के तहत डॉ. नरूला की सेवाएं तुरंत समाप्त कर दीं. सरकार का तर्क है कि यह मेडिकल एथिक्स का उल्लंघन है.
मरीज अर्जुन का आरोप है कि ऑक्सीजन मांगने पर डॉक्टर ने बदतमीजी की और उन पर जानलेवा हमला कर ऑक्सीजन मास्क तक हटा दिया. टर्मिनेशन के बाद अर्जुन ने "सत्यमेव जयते" कहते हुए मुख्यमंत्री का धन्यवाद किया और इसे गरीब की जीत बताया. वहीं, डॉ. राघव नरूला का पक्ष बिल्कुल अलग है. एनडीटीवी से बातचीत में उन्होंने बताया कि वीडियो अधूरा है. उनके अनुसार, मरीज ने पहले गाली-गलौज की, उन्हें मुक्के मारे और IV स्टैंड से हमला करने की कोशिश की, जिसके जवाब में उन्होंने आत्मरक्षा की. डॉक्टर ने यह भी खुलासा किया कि घटना के बाद 200-250 लोगों की भीड़ ने अस्पताल में घुसकर उन्हें जान से मारने की धमकी दी.
डॉक्टरों की लामबंदी और हड़ताल की चेतावनी इस कार्रवाई के विरोध में रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (RDA), CSA और FAIMA जैसे संगठन एकजुट हो गए हैं. डॉक्टरों का तर्क है कि बिना निष्पक्ष जांच और केवल वायरल वीडियो के दबाव में करियर खत्म करना गलत है. RDA-CSA ने चेतावनी दी है कि यदि डॉ. राघव का टर्मिनेशन बहाल नहीं हुआ, तो शुक्रवार को डॉक्टर सामूहिक अवकाश पर रहेंगे और शनिवार (27 दिसंबर) सुबह 9:30 बजे से प्रदेश भर में पूर्ण हड़ताल शुरू कर दी जाएगी.














