तो गुड बाय... अमेरिका के भारत पर टैरिफ लगाने और ट्रंप के व्यवहार पर शशि थरूर की खरी-खरी

अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के 50 प्रतिशत टैरिफ लगाए जाने के बाद भारत में असंतोष देखने को मिल रहा है. कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी भारत को कड़ा रुख अपनाने की सलाह दी है.

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  • डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के एक्सपोर्ट पर 50 फीसदी टैरिफ लगाया है, जबकि चीन पर 30 फीसदी टैरिफ लगा है.
  • शशि थरूर के अनुसार, अमेरिका की टैरिफ नीति में असमानता है और भारत को अपनी सेल्फ रिस्पेक्ट पर ध्यान देना चाहिए.
  • भारत सरकार को तुरंत कड़ा जवाब नहीं देना चाहिए, लेकिन दोनों देशों के संबंध सम्मान पर आधारित होने चाहिए.
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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार भारत को लेकर सख्त बयान देते जा रहे हैं. पहले 25 फीसदी टैरिफ, फिर इसे बढ़ाकर 50 फीसदी और फिर ये कह देना कि टैरिफ पर विवाद सुलझने तक भारत के साथ कोई व्यापार वार्ता नहीं होगी. इससे नई दिल्ली में काफी सरगर्मी बढ़ गई है. सरकार अपने लेवल पर काफी सक्रिय दिखाई दे रही है. इसी मसले पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विदेश मामलों के बेहद जानकार शशि थरूर ने एनडीटीवी से एक्सक्लूसिव बातचीत की. 

'भारत को विचार करना होगा'

थरूर ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप ट्रांजेक्शन के लिए फेमस हैं. अमेरिका का भारत पर टैरिफ लगाना बिल्कुल गलत है. कारण ये है कि बहुत से देश रूस से तेल खरीद रहे हैं. चीन हमसे ज्यादा तेल और गैस रूस से खरीदता है. मगर चीन को 90 दिनों का समय नेगोशिएट करने को दिया गया है. वहीं हमें महज 21 दिनों का समय दिया गया है. इस तरह 27 अगस्त से हमारे एक्सपोर्ट किए गए सामानों पर अमेरिका में 50 फीसदी टैरिफ लगेगा. वहीं चीन के सामानों पर 30 प्रतिशत टैरिफ लगेगा. तो ट्रंप की प्राथमिकता क्या है? भारत से स्ट्रैटेजिक संबंधों पर क्या होगा? चीन से अमेरिका की प्रतिद्वंद्विता पर क्या सोचा गया है? इन सब बातों पर अब फिर से भारत को विचार करना होगा. हो सकता है ट्रंप ये सब ट्रेड डील को लेकर दबाव बनाने के लिए कर रहे हों. मगर कई बार ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया गया है कि हमें अपनी सेल्फ रिस्पेक्ट को लेकर सोचना होगा. ये बहुत दुखद है. 

हालांकि शशि थरूर ने कहा कि भारत सरकार को अभी बहुत कड़ा जवाब नहीं देना चाहिए, मगर जवाब तो देना ही चाहिए. दोनों देशों के संबंध सम्मान के साथ चलने चाहिए. ये 200 सालों पहले वाला इंपीरियल सिस्टम नहीं चल रहा है. कोई भी रिस्पान्सिबल देश ऐसा नहीं करता. नेगोशिएशन हमेशा लेन-देन से चलता है. कोई भी संबंध एकतरफा नहीं चलते. हमें और मार्केट ढूंढने होंगे.

'अपनी बात मजबूती से रखनी चाहिए'

शशि थरूर ने कहा कि हम दुनिया सबसे बड़ी जनसंख्या वाले देश हैं. हम दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं. हमारे अमेरिका से अच्छे संबंध रहे हैं. मगर, एक अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के कहने से हमारे रिश्ते खराब नहीं होंगे, लेकिन भारत को देशहित में फैसले लेने होंगे. दुनिया के बहुत से देशों के साथ भारत के अच्छे संबंध हैं. ब्राजील जैसे देशों पर भी अमेरिका ने 50 फीसदी टैरिफ लगाया है तो हम भी इस टैरिफ को झेल सकते हैं. ट्रंप नेगोशिएशन टेबल पर नहीं बैठे हैं. वो अपनी बात रख रहे हैं, लेकिन टेबल पर जब बात होगी तो हमारी टीम को प्रेशर को काउंटर करना होगा. जहां बात बन सकती है, वहां बात बनानी चाहिए. मगर, जहां देशहित को नुकसान पहुंचाने वाली अमेरिका की शर्तें हों, वहां अपनी बात मजबूती से रखनी चाहिए. अगर इसके बाद भी व्यापार समझौता नहीं होता है तो हमें गुड बाय कहकर वापस आ जाना चाहिए और अमेरिका से आने वाले सामानों पर भी 50 फीसदी टैरिफ लगा देना चाहिए.

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