शशि थरूर का रुतबा रहेगा बरकरार! सरकार उठाने जा रही ये बड़ा कदम

विदेश मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष शशि थरूर हैं. सरकार के इस कदम का राजनीतिक रूप से महत्व इसलिए भी है क्यों कि थरूर की फिलहाल अपनी पार्टी से पटरी नहीं बैठ पा रही है.

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शशि थरूर को मिल सकती है बड़ी राहत.
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  • सरकार संसद की स्थायी समितियों का कार्यकाल मौजूदा एक वर्ष से बढ़ाकर दो वर्ष करने पर विचार कर रही है.
  • स्थायी समितियों का कार्यकाल बढ़ने से विधेयकों और रिपोर्टों की गहराई से पड़ताल संभव हो सकेगी.
  • विदेश मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष शशि थरूर का कार्यकाल दो वर्ष तक बढ़ सकता है.
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नई दिल्ली:

कांग्रेस सांसद शशि थरूर (Shashi Tharoor) के लिए गुड न्यूज है. सरकार संसद की स्थायी समितियों का कार्यकाल बढ़ाने की तैयारी कर रही है. सरकार समितियों का कार्यकाल मौजूदा एक वर्ष से बढ़ाकर दो वर्ष करने पर विचार किया जा रहा है.ये शशि थरूर के लिए किसी अच्छी खबर से कम नहीं है. दरअसल थरूर की फ़िलहाल अपनी पार्टी से पटरी नहीं बैठ पा रही है. ऐसे में कार्यकाल बढ़ाए जाने पर वह दो साल और स्थायी समिति के अध्यक्ष बने रह सकते हैं.

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बढ़ सकता है शशि थरूर का कार्यकाल

स्थाई समितियों का कार्यकाल बढ़ने का फायदा यह होगा कि अब संसद में बिलों की अब और ज्यादा गहराई से पड़ताल हो सकेगी. दरअसल समितियों का कार्यकाल इस महीने पूरा हो रहा है. समितियों के अध्यक्षों में बदलाव की संभावना कम है लेकिन नए सदस्यों का कार्यकाल एक के बजाए दो साल हो सकता है.

सरकार स्थायी समितियों का कार्यकाल मौजूदा एक साल से बढ़ा कर दो साल कर सकती है. अभी स्थायी समितियों का पुनर्गठन हर साल होता है. नए सदस्य आने से निरंतरता टूटती है. अब जब सदस्यों का कार्यकाल दो साल हो जाएगा तो विधेयकों, रिपोर्टों और विषयों की छानबीन गहराई से की जा सकेगी. बता दें कि समिति के सदस्य संबंधित राजनीतिक दलों से मिले नामों के आधार पर तय किए जाते हैं.

समिति का कार्यकाल बढ़ने से थरूर को फायदा कैसे?

विदेश मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष शशि थरूर हैं. इसीलिए इस कदम का राजनीतिक रूप से महत्व इसलिए भी है क्यों कि थरूर की फिलहाल अपनी पार्टी से पटरी नहीं बैठ पा रही है. कार्यकाल बढ़ाए जाने पर वह दो साल और स्थायी समिति के अध्यक्ष बने रह सकते हैं. बता दें कि उनकी नियुक्ति स्थायी समिति के अध्यक्ष के तौर पर पिछले साल 26 सितंबर को हुई थी.

विपक्ष के सदस्यों की ओर से ही यह मांग आई है कि स्थायी समितियों का कार्यकाल बढ़ाया जाना चाहिए. उनकी दलील है कि इससे विधेयकों, रिपोर्टों और समिति के सामने आने वाले विषयों की गहन पड़ताल हो सकेगी. सूत्रों के अनुसार सरकार इस सुझाव पर गंभीरता से विचार कर रही है. ऐसे में इस साल से समिति का गठन एक के बजाए दो साल के लिए किया जा सकता है .

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संसद की कितनी स्थायी समितियां हैं?

संसद की अभी 24 स्थायी समितियां हैं. प्रत्येक समिति 31 सदस्यों की होती है, इनमें 21 लोकसभा से और 10 राज्यसभा से होते हैं. प्रत्येक समिति किसी विशेष मंत्रालय/विभाग की कार्यवाही, बजट और नीतियों पर निगरानी रखती है. इनके अध्यक्ष और सदस्य लोक सभा अध्यक्ष और राज्य सभा के सभापति मनोनीत करते हैं.

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