राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता अजित पवार के नेतृत्व में कई विधायकों ने रविवार को शरद पवार की पार्टी से एक बार फिर विद्रोह कर दिया. विद्रोह के कुछ ही समय बाद उन्हें राज्य का उपमुख्यमंत्री बनाया गया और उनके साथ के कुछ अन्य विधायकों को भी शिंदे सरकार में शामिल किया गया. अजित पवार ने इससे पहले 2019 में भी एनसीपी में विद्रोह किया था. उस दौरान उन्होंने बीजेपी के साथ मिलकर शपथ ली थी. उस सरकार में उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया था हालांकि 80 घंटे बाद ही उन्हें पद छोड़ना पड़ा था जब उन्हें विधायकों का साथ नहीं मिला था.
2019 में शरद पवार ने एनसीपी में टूट को रोक दिया था
महाराष्ट्र की राजनीति में शरद पवार वर्तमान में सबसे अनुभवी नेता माने जाते हैं. कई मौकों पर उन्होंने अपनी राजनीतिक चतुराई से विरोधियों को मात दिया है. 2019 में हुए विद्रोह को भी उन्होंने सफलतापूर्वक सुलझा लिया था. उस समय को याद करते हुए, शरद पवार ने अपने संस्मरण 'लोक माझे संगति' के दूसरे भाग में लिखा है कि "मैं तब चौंक गया था जब मुझे 23 नवंबर, 2019 को सुबह लगभग 6.30 बजे फोन आया कि अजित और कुछ एनसीपी विधायक राजभवन में हैं और अजित, फड़णवीस के साथ शपथ ले रहे हैं.”
शरद पवार ने उद्धव ठाकरे को किया था फोन
शरद पवार ने लिखा है कि जब मैंने राजभवन में मौजूद कुछ विधायकों को फोन किया, तो मुझे पता चला कि केवल 10 विधायक ही वहां पहुंचे हैं और उनमें से एक ने मुझे बताया कि ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि मैं इसका समर्थन करता हूं. लेकिन यह एमवीए (महाराष्ट्र विकास अगाड़ी) के प्लान को नाकाम करने की केंद्रीय भाजपा की एक योजना थी. मैंने तुरंत उद्धव ठाकरे को फोन किया और उन्हें बताया कि अजित ने जो कुछ भी किया है वह गलत है और एनसीपी और मैं उसका समर्थन नहीं करते हैं. एनसीपी विधायकों को राजभवन ले जाने के लिए मेरे नाम का इस्तेमाल किया गया. उनसे सुबह 11 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस में मेरे साथ शामिल होने के लिए कहा."
विपक्षी एकता को लगा है झटका
2023 में एनसीपी प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजित पवार एक बार फिर भाजपा के साथ आ गए हैं. उन्होंने यह कदम उनकी चचेरी बहन सुप्रिया सुले को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नाम के ऐलान के कुछ सप्ताह के बाद उठाया है. यह शरद पवार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. अजित पवार ने यह कदम ऐसे मौके पर उठाया है, जब शरद पवार 2024 के आम चुनाव से पहले संयुक्त विपक्षी मोर्चे के शीर्ष पद के लिए खुद को फ्रंट रनर के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे थे. यह विपक्ष के लिए भी एक झटका है, जो गठबंधन के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है.
क्या इसबार सफल होंगे अजित पवार?
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में अजित पवार उप-मुख्यमंत्री बने हैं. यह भी उम्मीद जताई जा रही है कि अजित पवार एनसीपी विधायकों के एक बड़े हिस्से को एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल कर सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक, अजित पवार के पास 40 से अधिक विधायकों का समर्थन है. ऐसा लग रहा है कि शरद पवार एक बार फिर इस पूरे घटनाक्रम से अनजान बन गए हैं, जैसा साल 2019 में हुआ था जब अजित पवार ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद सरकार बनाने की भाजपा की असफल कोशिश में उनके साथ आ गए थे.
ये भी पढ़ें-