शरद पवार ने तय किया अपना उत्तराधिकारी, सुले को कमान

सुप्रिया सुले के लिए राजनीति नई नहीं है. 2006 में उप चुनाव में निर्विरोध चुने जाने के बाद वो राज्यसभा में आई थी तब बाला साहब ठाकरे ने उनके लिए बीजेपी को अपना उम्मीदवार ना खड़ा करने के लिए दबाव बनाया था और सफल रहे थे.

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शरद पवार ने सुप्रिया सुले को पंजाब और हरियाणा के साथ महाराष्ट्र का प्रभारी भी बनाया है. (फाइल)

नई दिल्‍ली:

एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने अपनी पार्टी को लेकर शनिवार को महत्वपूर्ण घोषणा की है, जिसमें सबसे अहम है सुप्रिया सुले को कार्यकारी अध्यक्ष बनाना. हालांकि प्रफुल्ल पटेल को भी कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है, मगर सुप्रिया सुले को यह जिम्मेदारी देकर शरद पवार ने साफ कर दिया है कि एनसीपी का भविष्य कौन है और पार्टी किसके पास रहेगी. शरद पवार के मराठी में अपनी आत्मकथा के विमोचन के वक्त जब जो एनसीपी के अध्यक्ष का पद छोड़ने की बात कही थी और उसके बाद पार्टी में जो भूचाल आया था उसके बाद आज एनसीपी के स्थापना दिवस पर यह घोषणा कर उस बहस पर हमेशा के लिए पर्दा डाल दिया कि सुप्रिया सुले और अजित पवार में एनसीपी की बागडोर किसके हाथ में जाएगी. 

अजित पवार को लेकर कोई घोषणा नहीं की गई है. मगर माना जाता है कि महाराष्ट्र एनसीपी पर उनका दबदबा कायम रहेगा. हालांकि महाराष्ट्र एनसीपी के अध्यक्ष अभी भी जयंत पाटिल हैं जो शरद पवार के बहुत ही करीबी हैं. शरद पवार ने आज जो घोषणा की है उसमें सुप्रिया सुले को पंजाब और हरियाणा के साथ महाराष्ट्र का प्रभारी भी बनाया गया है यानि प्रभारी के तौर पर सुप्रिया सुले की एक नजर हमेशा अजित पवार पर रहेगी. यही नहीं सुप्रिया सुले को केन्द्रीय चुनाव समिति का भी अध्यक्ष बनाया गया है. इसका मतलब हुआ कि जब भी टिकट बांटे जाएंगे सुप्रिया की चलेगी और जब महाराष्ट्र में टिकट बांटने के लिए समिति बनाई जाएगी, उसका गठन भी वही करेगी यानि हर स्तर पर कार्यकारी अध्यक्ष का हाथ रहना जरूरी है.  

ठाकरे ने बनाया था बीजेपी पर दबाव 
सुप्रिया सुले के लिए राजनीति नई नहीं है. 2006 में उप चुनाव में निर्विरोध चुने जाने के बाद वो राज्यसभा में आई थी तब बाला साहब ठाकरे ने उनके लिए बीजेपी को अपना उम्मीदवार ना खड़ा करने के लिए दबाव बनाया था और सफल रहे थे. सुप्रिया लगातार तीसरी बार बारामती से सांसद हैं. 

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चुनौतियों का सामना करने का वक्‍त
अब सुप्रिया सुले के लिए चुनौतियों का सामना करने का वक्त आ गया है. शरद पवार की बढ़ती उम्र के बाद एनसीपी अब उनकी जिम्मेवारी होगी, जहां उन्हें महाराष्ट्र के अंदर कदम-कदम पर अजित पवार के साथ सामंजस्य बैठाना होगा, यही उनकी परीक्षा भी है क्योंकि बीएमसी से लेकर लोकसभा और विधानसभा के तमाम चुनाव अगले साल तक होने हैं. प्रफुल्ल पटेल, अनिल देशमुख, छगन भुजबल, जयंत पाटिल जैसे लोगों का साथ उनका काम आसान करेगा. 

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हर राजनैतिक कदम पर होंगी निगाहें 
राष्ट्रीय राजनीति पर तो उनकी पकड़ है, लेकिन आने वाले दिनों में महाराष्ट्र की राजनीति में भी अपने आप को मजबूत साबित करना या अपनी पकड़ दिखानी पड़ेगी, जिस सहज ढंग से सुप्रिया सुले खास जन से आम लोगों तक पहुंच जाती है और जो ट्रेनिंग उन्हें अपने पिता शरद पवार से मिली है सुप्रिया सुले यह काम भी बखूबी निभा सकती हैं, क्योंकि नई पीढ़ी के नेताओं खासकर उद्धव ठाकरे, राहुल गांधी, अखिलेश यादव और जयंत चौधरी से लेकर तेजस्वी यादव तक उनके हर राजनैतिक कदम पर निगाहें रखेंगे. 

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