'उथला पानी और चट्टानें की वजह से हुईं ज्यादा मौतें, वरना...' : NDRF अधिकारी

इस रेस्क्यू की अगुवाई कर रहे एनडीआरएफ कमांडेंट वीवीएन प्रशन्ना कुमार ने मंगलवार को एनडीटीवी से कहा कि अगर घटना वाली जगह पर पानी का लेवल थोड़ा ज्यादा होता तो शायद मौत का आंकड़ा  कम हो सकता था.

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नई दिल्ली:

गुजरात में मोरबी पुल हादसे में मरने वाले लोगों की संख्या कम भी हो सकती थी, अगर उस दौरान पुल के नीचे उथला पानी और चट्टाने नहीं होती. ऐसा कहना है एनडीआरएफ अधिकारी का. इस रेस्क्यू की अगुवाई कर रहे एनडीआरएफ कमांडेंट वीवीएन प्रशन्ना कुमार ने मंगलवार को एनडीटीवी से कहा कि अगर घटना वाली जगह पर पानी का लेवल थोड़ा ज्यादा होता तो शायद मौत का आंकड़ा कम हो सकता था. उन्होंने बताया कि नदी के बीच के हिस्से में जहां पानी लगभग रुका हुआ है, जहां कोई बहाव नहीं है, वहां की गहराई 20 फीट के करीब है.

कुमार ने कहा कि ज्‍यादातर शव, टूटे हुए ब्रिज के नीचे पाए गए क्‍योंकि नदी में बहाव नहीं है और पानी इन्‍हें बहाकर दूर नहीं ले जा पाया. उन्‍होंने कहा कि सिविल एडमिनिस्‍ट्रेशन की ओर से लापता लोगों के लिए दिए गए आंकड़ों के आधार पर, अब केवल एक या दो शवों की ही तलाश होना बाकी है. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मोरबी शहर के उस अस्‍पताल का दौरा किया जहां घायलों का इलाज किया जा रहा है. उनकी इस यात्रा से पहले रातों-रात अस्‍पताल की व्‍यवस्‍थाओं में सुधार कर दिया गया. पीएम मोदी के अस्पताल पहुंचने से पहले अस्पताल की सूरत बहुत कम समय में बदल दी गई.

पीएम के विजिट से पहले मोरबी सरकारी अस्पताल में कुछ रोगियों का चयन किया गया, जिन्हें नए सिरे से पेंट किए गए वार्ड में नए बेड पर शिफ्ट किया गया. नए वार्ड में पीने के पानी और साफ-सफाई का खासा ध्यान रखा गया था ताकि प्रधानमंत्री के सामने अस्पताल की बदहाली को कवरअप किया जा सके. गौरतलब है कि रविवार शाम को मोरबी में मच्छु नदी पर हुए केबल पुल हादसे में 125 से अधिक  लोगों की मौत हो गई थी. पुलिस ने इस  घटना के सिलसिले में कुल नौ लोगों को गिरफ्तार किया है.

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गौरतलब है कि पीएम नरेंद्र मोदी मोरबी में पुल हादसे वाली जगह का दौरा किया. घटनास्थल का दौरा करने से पहले उन्होंने इस दुर्घटना को लेकर एक उच्च स्तरीय बैठक भी की. पीएम ने अस्पताल जाकर घायलों से भी मुलाकात किया. बताते चलें कि घटना को लेकर पुलिस का कहना है कि जिस समय यह पुल टूटा था उस समय उसपर 500 से ज्यादा लोग सवार थे. जबकि इस पुल की क्षमता महज 125 लोगों के भार उठाने की थी.

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