सामाजिक कार्यकर्ता संतोष दौंडकर ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में एक याचिका दायर कर आरोप लगाया गया था कि शाहरुख खान के घर मन्नत में नवीनीकरण कार्य ने कई नियमों का उल्लंघन किया है. NDTV ने इस मामले को लेकर संतोष दाऊंडकर से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि आखिर उनकी तरफ ये शिकायत क्यों की गई है. संतोष दौंडकर ने कहा जब निर्माण कार्य हो रहा था, तब हमने BMC और MCZMA के अधिकारियों से जानकारी मांगी थी. क्योंकि कंस्ट्रक्शन के दौरान कुछ उल्लंघन हो रहे थे. कोस्टल रेगुलेशन जोन एक्स (CRZ) का मुद्दा उठ रहा है. बीएमसी की बिल्डिंग प्रपोजल (BP) डिपार्टमेंट ने जो परमिशन दी है, वह कैसे दी गई, जबकि यह नया कंस्ट्रक्शन नहीं है, पहले से मौजूद इमारत पर मंजिलें जोड़ी जा रही हैं.
उन्होंने आगे कहा कि मुंबई में आजकल कई जगहों पर पुरानी इमारतों पर नई मंजिलें बनाई जा रही हैं. यह गलत है. परमिशन देने से पहले क्या पुराने परमिशन की जांच की गई थी? जांच जरूरी है कि नई मंजूरी देने से पहले पुराने परमिशन को कंसीडर किया गया या फिर उसमें कोई बदलाव कर परमिशन दी गई? यह शाहरुख खान की गलती नहीं, सिस्टम की गलती है. सभी को नियम नहीं पता होते. सिस्टम के पास जाने पर ही समझ आता है कि काम कैसे करना है. जब हमने CRZ से संपर्क किया तो कोई कार्रवाई नहीं हुई. फिर हमने BMC से बात की, लेकिन वहां से भी कोई ठोस जवाब नहीं मिला. तब हमने NGT (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) में याचिका डाली. केस फिलहाल कोर्ट में है, इसलिए ज्यादा कुछ नहीं कह सकता.
वॉयलेशन हुआ इसलिए कोर्ट का रुख
उन्होंने कहा कि PMC, CRZ और वन विभाग के अधिकारी मन्नत गए, यह मुझे आपके माध्यम से पता चला. अच्छा है कि अब प्रशासन जाग रहा है. CRZ के मुद्दे पर हम कोर्ट गए हैं. BMC को यह देखना चाहिए कि जो CRZ की NOC दी गई है, वह सही है या नहीं. यह बहुत टेक्निकल मुद्दा है और इसकी सही जांच BMC को करनी चाहिए. अधिकारियों ने मुझसे कहा कि दो-चार दिन दीजिए, हम इस पर काम कर रहे हैं. वॉयलेशन हुआ है, इसलिए हमने कोर्ट का रुख किया. अगर वॉयलेशन नहीं होता तो BMC और MCZMA से जवाब मिल गया होता. मेरे कोर्ट जाने के बाद ही अधिकारी जागे.मुझे CRZ और BMC दोनों में से किसी की ओर से समय पर जवाब नहीं मिला, इसलिए कोर्ट जाना पड़ा. मैं केवल शाहरुख खान को टारगेट नहीं कर रहा. मैंने महाराष्ट्र के मंत्री नारायण राणे के बंगले पर भी शिकायत की थी, उन्होंने उसे स्वीकार किया और नियम के अनुसार सुधार भी किया.
काम को नियम के अनुसार करना चाहिए
संतोष दौंडकर ने आगे कहा कि यहां पर शाहरुख की नहीं, प्रशासन की गलती है. यह BMC प्रशासन की चूक है और इसे सुधारा जाना चाहिए. मैं संविधान के भरोसे अदालत गया हूं. कोई भी व्यक्ति शासन के पास प्रस्ताव लेकर जाता है और बाद में उसे पता चलता है कि गलती हो रही है. प्रशासन का काम है कि वह काम को नियम के अनुसार सही करे. सभी के लिए कानून बराबर होना चाहिए, छोटा हो या बड़ा. मुंबई में हजारों अवैध इमारतें हैं. कई मुद्दे कोर्ट में लंबित हैं. बड़े-बड़े निर्माण हो रहे हैं, कैसे और किसके द्वारा हो रहे हैं, सब जानते हैं. कोर्ट भी थक चुका है कि इतने सारे मामलों को एक साथ कैसे निपटाया जाए.
पर्यावरण के लिए नुकसानदेह
संतोष दौंडकर ने कहा जब कोई शिकायत करता है तभी सुनवाई होती है. BMC के पास समय नहीं है कि वह खुद से ऑडिट करे, जबकि यही उसका काम है. शाहरुख खान का जो मूल बंगला था, उसका नाम 'विनय विला' था, जो हेरिटेज में आता है. बाद में 2001 में, उसका नाम बदलकर ‘मन्नत' कर दिया गया. मैंने यह मुद्दा भी उठाया कि नाम कैसे बदला गया, क्योंकि यह हेरिटेज नियमों का उल्लंघन है. प्रशासन से गलती हो रही है, तो प्रशासन को ही सुधार करना चाहिए. हमारा किसी व्यक्ति से निजी विरोध नहीं है, हमें इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि बंगला किसका है. कोस्टल रोड से लेकर समुद्र किनारे बन रहीं इमारतें CRZ नियमों का उल्लंघन कर रही हैं. विकास के नाम पर समुद्र से 50 मीटर दूरी तक निर्माण हो रहा है. पिछले 10 सालों में 500 मीटर से घटाकर 50 मीटर तक निर्माण की गई है, जो पर्यावरण के लिए नुकसानदेह है.