क्या सीनियर सिटीजंस को फिर से मिलेगी रेल किराये में छूट? बुजुर्गों ने की सरकार से ये मांग

भारतीय रेलवे (Indian Railways) ने मार्च 2020 से पहले वरिष्ठ नागरिकों के मामले में महिलाओं को किराये पर 50 फीसदी और पुरुषों को सभी क्लास में रेल सफर करने के लिये 40 फीसदी छूट देता था. रेलवे की तरफ से ये छूट लेने के लिये बुजुर्ग महिलाओं के लिए न्यूनतम आयु सीमा 58 और पुरुषों के लिये 60 वर्ष थी. लेकिन कोरोना काल के बाद इन्हें मिलने वाली सभी तरह की रियतें खत्म कर दी गई है.

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मार्च 2020 से पुरुषों को सभी क्लास में रेल सफर करने के लिये 40 फीसदी छूट मिलती थी.

भोपाल:

बुजुर्गों को रेल यात्रा में अब तक रियायत नहीं मिली है. 2016 में रेलवे ने बुजुर्गों के लिए रियायत को वैकल्पिक बना दिया, लेकिन कोरोना काल में यानी मार्च 2020 से तो उन रियायतों को रोक ही दिया. हर मौकों पर इसे बहाल करने की बात उठती है, लेकिन इसे बहाल नहीं किया गया.  अब पता लगा है कि इस अवधि में रेलवे ने बुजुर्गों से करोड़ों कमाये हैं.

भोपाल में रानी कमलापति स्टेशन पर सीढ़ियां चढ़ते एसके खन्ना ने बताया कि इस उम्र में भी पेट पालने के लिए इंश्योरेंस का काम करते हैं. खुद रिजर्वेशन कराने आए हैं. चाहते हैं इन जैसे बुजुर्गों को रेलवे यात्रा में मिलने वाली रियायत बहाल हो.

टिकट काउंटर पर कई बुजुर्ग खड़े हैं. इनमें से यात्री एक प्रताप मलिक ने कहा, 'मोदी सरकार ने अन्याय का काम किया है. पहले रियायत मिलता था, जिसे कोरोना महामारी के बाद से बंद कर दिया गया है. वरिष्ठ नागरिक वैसे ही कम जाते हैं, ऐसे में सरकार का ज्यादा नुकसान नहीं होता. इसलिए सरकार को इसपर सोचना चाहिए.

बता दें कि अप्रैल 2020 से सितंबर 2022 तक वरिष्ठ नागरिकों में 6.8 करोड़ पुरुषों और 2.54 करोड़ महिलाओं ने रेल यात्रा की. इन बुजुर्ग यात्रियों से रेलवे को क्रमश: 3434 करोड़ रुपये और 2373 करोड़ रुपये की कमाई हुई थी. कोरोना महामारी से पहले 60 साल के ऊपर पुरुषों को 40% और महिलाओं को 50% रियायत मिलती थी. यानी दोनों को मिलाकर रेलवे ने 2560.9 करोड़ रुपये बचा लिये. ये और बात है कि जिस सरकार ने रियायत खत्म की, उसने पिछले 5 सालों में माननीयों की रेल यात्रा पर 62 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किया.

इस मामले में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, 'आपको जानना चाहिए कि इस कैटेगरी में ज़्यादा कमाने वाले लोग नहीं है. गरीब लोग हैं, ट्रेन में जाते थे तो थोड़ा डिस्काउंट मिल जाता था. सब्सिडी मिल जाती थी. मैं रेलवे से विनती करता हूं कि बुजुर्गों को इज्जत दीजिए. सरकार से गुजारिश है कि वो बुजुर्ग यात्रियों को थोड़ी रियायत दे.'

नफा-नुकसान के गणित के बीच आरटीआई से एक और जानकारी मिली कि पिछले 7 महीने में एक्सप्रेस ट्रेनों ने 7148154 मिनट और पैसेंजर ट्रेनों ने 5553506 मिनट की देरी की. यानी कुल योग 1,27,01,660 मिनट. अगर दिन में गुणा गणित बिठाएं तो ये लगभग 24 साल बैठता है.

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50 फीसदी मिलती थी छूट 
भारतीय रेलवे (Indian Railways) ने मार्च 2020 से पहले वरिष्ठ नागरिकों के मामले में महिलाओं को किराये पर 50 फीसदी और पुरुषों को सभी क्लास में रेल सफर करने के लिये 40 फीसदी छूट देता था. रेलवे की तरफ से ये छूट लेने के लिये बुजुर्ग महिलाओं के लिए न्यूनतम आयु सीमा 58 और पुरुषों के लिये 60 वर्ष थी. लेकिन कोरोना काल के बाद इन्हें मिलने वाली सभी तरह की रियतें खत्म कर दी गई है.

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(Except for the headline, this story has not been edited by NDTV staff and is published from a press release)