'देशद्रोही कहलाने की बदनामी बर्दाश्त नहीं कर सकता…', वकील ने लिखा सुसाइड नोट और ले ली जान

सुसाइड नोट में वकील ने अपनी पुरानी सेवाओं का भी जिक्र दिया. उन्होंने लिखा कि 1984 भोपाल गैस त्रासदी के दौरान उन्होंने सैकड़ों मृतकों का अंतिम संस्कार कराया था. वर्मा अब तक करीब 50 बार रक्तदान कर कई लोगों की जान बचा चुके थे.

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  • भोपाल के वरिष्ठ वकील शिवकुमार वर्मा ने साइबर ठगों की धमकियों से डरकर अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली
  • वर्मा पर पहलगाम आतंकी हमले की फंडिंग से जोड़ने और देशद्रोही कहने की झूठी धमकियां दी गईं थीं
  • सुसाइड नोट में वर्मा ने अपने मानसिक तनाव और फर्जी बैंक अकाउंट बनाए जाने की बात बताई थी
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मध्य प्रदेश:

भोपाल की कानूनी बिरादरी को झकझोर देने वाली एक संवेदनशील घटना सामने आई है. जहांगीराबाद थाना इलाके में 62 साल के वरिष्ठ वकील शिवकुमार वर्मा ने अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. शुरुआती जांच में सामने आया है कि वर्मा साइबर ठगों की उन झूठी धमकियों से डर गए थे, जिसमें उन्हें पहलगाम आतंकी हमले की फंडिंग से जोड़कर 'देशद्रोही' घोषित करने की बात कही गई थी. भोपाल में डिजिटल अरेस्ट के कारण हुई आत्महत्या का ये पहला मामला है.

बरखेड़ी इलाके में रहने वाले वर्मा का बेटा पुणे में नौकरी करता है, जबकि उनकी पत्नी और बेटी इलाज के लिए दिल्ली गई हुई थीं. सोमवार शाम से पत्नी लगातार फोन कर रही थीं, पर उन्होंने किसी कॉल का जवाब नहीं दिया.

चिंता बढ़ने पर परिवार ने घर में रहने वाले किरायेदार को भेजा. किरायेदार ने कमरा खोला तो वर्मा फंदे पर लटके मिले. सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची, दरवाजा तोड़कर शव नीचे उतारा और जांच शुरू की.

कमरे से मिले सुसाइड नोट में वर्मा ने अपने टूटे हुए मन और भय का जिक्र किया है. उन्होंने लिखा, “मैं अपनी इच्छा से जान दे रहा हूं. किसी ने मेरा नाम पहलगाम हमले की फंडिंग से जोड़ दिया है. मेरे नाम से फर्जी बैंक अकाउंट खोल दिया गया है. देशद्रोही कहलाने की बदनामी मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता. अपने बच्चों की खुशहाली की दुआ करते हुए लिखा, “भगवान भोलेनाथ मेरे बच्चों की रक्षा करें.”

सुसाइड नोट में वकील ने अपनी पुरानी सेवाओं का भी जिक्र दिया. उन्होंने लिखा कि 1984 भोपाल गैस त्रासदी के दौरान उन्होंने सैकड़ों मृतकों का अंतिम संस्कार कराया था. वर्मा अब तक करीब 50 बार रक्तदान कर कई लोगों की जान बचा चुके थे.

भोपाल पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्र ने इस मामले पर कहा कि डिजिटल अरेस्ट का मामला सामने आया है. पहले इनकी कोई शिकायत नहीं आई थी. एक व्यक्ति को फोन करके कहा गया कि संदिग्ध गतिविधियों में उनके खाते का इस्तेमाल हुआ है, जिससे संभवतः वे डर गए और आत्मघाती कदम उठा लिया.

उन्होंने लोगों को सतर्क करते हुए कहा, “हम बार-बार कह रहे हैं कि ऐसे मामलों में तुरंत पुलिस को सूचना दें. डिजिटल ठगी करने वाले ठग पीड़ित को यह अहसास दिलाने की कोशिश करते हैं कि उन्होंने कोई बड़ी गलती की है. पुलिस इस मामले में आगे की वैधानिक कार्रवाई कर रही है.”

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इससे पहले भी 3 नवंबर को कोहेफिजा में एक अधिवक्ता को पुलवामा फंडिंग के नाम पर धमकाया गया. 20 नवंबर को भोपाल के ही शाहपुरा में डिजिटल अरेस्ट के जरिए सेवानिवृत्त बैंक मैनेजर से 68 लाख ठगे गए. इसी महीने एक पूर्व PSU अधिकारी से ठगों ने कई दिनों तक डिजिटल अरेस्ट में रखकर 65 लाख वसूले.

पुलिस सुसाइड नोट, कॉल रिकॉर्ड्स, बैंक डिटेल और डिजिटल ट्रेस की जांच कर रही है. कोशिश है कि उन साइबर ठगों को बेनकाब किया जाए जिन्होंने एक समाजसेवी अधिवक्ता को मानसिक रूप से इतना तोड़ दिया कि उसने अपनी जान ले ली.

हेल्पलाइन
वंद्रेवाला फाउंडेशन फॉर मेंटल हेल्‍थ 9999666555 या help@vandrevalafoundation.com
TISS iCall 022-25521111 (सोमवार से शनिवार तक उपलब्‍ध - सुबह 8:00 बजे से रात 10:00 बजे तक)
(अगर आपको सहारे की ज़रूरत है या आप किसी ऐसे शख्‍स को जानते हैं, जिसे मदद की दरकार है, तो कृपया अपने नज़दीकी मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञ के पास जाएं)

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