कोलकाता के आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रमुख संदीप घोष से इस महीने एक जूनियर डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के सिलसिले में सीबीआई ने कड़ी पूछताछ की है. उन पर पिछले साल भ्रष्टाचार और शवों व बायोमेडिकल कचरे की तस्करी का आरोप लगाया गया था. यह आरोप आरजी कर अस्पताल में उप चिकित्सा अधीक्षक रहे अख्तर अली ने लगाए थे. अली अब मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज में इसी पद पर हैं.
अली ने एनडीटीवी को बताया कि उन्होंने सतर्कता आयोग और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में शिकायत दर्ज कराई है. उन्होंने कहा कि उन्होंने पुलिस में मामला दर्ज कराने की भी कोशिश की थी, लेकिन पुलिस ने इनकार कर दिया था.
अली ने बुधवार को एनडीटीवी से कहा, "मेरी शिकायतों में से एक बायोमेडिकल कचरे की तस्करी थी. हम सभी जानते हैं कि इस्तेमाल की गई सिरिंज और उपयोगकर्ता के हाथ के दस्ताने जैसे मेडिकल कचरे का निपटान कीटाणुशोधन मानदंडों के अनुसार किया जाना चाहिए, लेकिन वह (डॉ घोष) इस सामग्री को बांग्लादेशी नागरिकों को बेचते थे. खान नाम का एक सुरक्षा अधिकारी इस तस्करी में शामिल था..."
छात्रों को जानबूझकर फेल करने का आरोप
उन्होंने बताया कि, "..इसके बाद, शवों की अवैध बिक्री. फोरेंसिक मेडिसिन हेड ने शिकायत की थी... परिवार के सदस्यों (जिनके शवों को उसने कथित तौर पर बेचा था) ने भी शिकायत की थी. एक राष्ट्रीय आयोग ने उसे बुलाया था..." अली ने कहा, सम्मन का कोई नतीजा नहीं निकला.
अली ने डॉ घोष पर कार्य आदेश या अनुबंध देने के लिए 20 प्रतिशत की रिश्वत लेने और जानबूझकर छात्रों को फेल करने का भी आरोप लगाया. अली ने पहले कहा, "वह एक माफिया व्यक्ति की तरह था..."
उन्होंने कहा, "मैंने यह सभी आरोप लगाए... लेकिन अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की. कल रात मैं पुलिस स्टेशन गया लेकिन उन्होंने एफआईआर लेने से इनकार कर दिया." उन्होंने कहा कि उन्होंने संदीप घोष के खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट में आपराधिक मामला भी दायर किया है. उन्होंने कहा कि इस मामले की सुनवाई कल हो सकती है.
पिछले सप्ताह समाचार एजेंसी एनएनआई से बात करते हुए अली ने अपने पूर्व बॉस के बारे में कहा था कि, "वह बहुत भ्रष्ट व्यक्ति हैं... घोष के पास बहुत बड़ी सुरक्षा व्यवस्था थी. वह बहुत ताकतवर हैं."
इस्तीफा देने के कुछ ही घंटों बाद नया पद मिला
डॉ घोष अपनी जूनियर सहकर्मी के बलात्कार और हत्या को लेकर विवाद के केंद्र में हैं. शव मिलने के कुछ दिनों बाद ही एक 'अभिभावक' के रूप में नैतिक जिम्मेदारी के आधार पर उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया था, जिसके कुछ ही घंटों बाद उन्हें कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज का प्रमुख बना दिया गया था. हाईकोर्ट ने उनकी नियुक्ति पर सवाल उठाया था और उन्हें "लंबी छुट्टी" पर जाने को कहा था.
चीफ जस्टिस टीएस शिवगनम की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था, "अगर प्रिंसिपल ने 'नैतिक जिम्मेदारी' के कारण पद छोड़ा है, तो यह बहुत गंभीर बात है और इससे गंभीर बात है कि उन्हें 12 घंटे के भीतर ही दूसरी नियुक्ति देकर पुरस्कृत किया जाए..." "उन्हें घर पर रहना चाहिए... कहीं और काम नहीं करना चाहिए." अदालत ने आश्चर्य जताते हुए कहा था कि क्या सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस डॉ घोष को "बचा रही है."
तब से डॉ घोष से सीबीआई द्वारा पूछताछ की जा रही है. सीबीआई ने कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्देश पर केस अपने हाथ में ले लिया है. एजेंसी ने पिछले कुछ दिनों में उनसे 60 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की है.
सुप्रीम कोर्ट ने भी घोष की नियुक्ति पर सवाल उठाया
सुप्रीम कोर्ट ने भी आरजी कर अस्पताल के पद से इस्तीफा देने के तुरंत बाद उनकी पुनर्नियुक्ति पर सवाल उठाया है. कोर्ट ने 9 अगस्त की सुबह युवा महिला चिकित्सक का शव मिलने के बाद पुलिस में मामला दर्ज करने में हुई देरी के लिए भी उनसे और अस्पताल प्रशासन से सवाल किया.
इस बीच, इन आरोपों के बावजूद राज्य सरकार ने उनका समर्थन किया है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार ने दावों की जांच के लिए एक विशेष पुलिस दल को आदेश दिया है.
(इनपुट समाचार एजेंसियों से भी)
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