चुनाव में अपराधीकरण पर SC का सख्त कदम, 9 पार्ट‍ियां अवमानना की दोषी, 8 पर लगाया जुर्माना

राजनीति और चुनावों में अपराधीकरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सख्त रुख अपनाते हुए बिहार में 9 राजनीतिक दलों को अवमानना का दोषी करार देते हुए जुर्माना लगा दिया.

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नई दिल्ली:

राजनीति और चुनावों में अपराधीकरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सख्त रुख अपनाते हुए बिहार में 9 राजनीतिक दलों को अवमानना का दोषी करार देते हुए 8 दलों पर जुर्माना लगा दिया. बिहार चुनावों में उम्मीदवारों का आपराधिक इतिहास सार्वजनिक करने के आदेश का पालन ना करने पर सुप्रीम कोर्ट ने ये सख्त कदम उठाया है. अदालत ने बीजेपी और कांग्रेस समेत 9 राजनीतिक दलों को अवमानना का दोषी ठहराया है. NCP और CPM पर पांच-पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है जबकि कांग्रेस और बीजेपी पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना अदालत ने लगाया है.

राजद, जनता दल, लोक जनशक्त‍ि पार्टी और CPI पर भी एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने चार हफ्ते के भीतर चुनाव आयोग को जुर्माना जमा कराने को कहा है साथ ही चेतावनी दी कि भविष्य में वो सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करें अन्यथा इसे गंभीरता से लिया जाएगा. वहीं, कोर्ट ने बहुजन समाज पार्टी को चेतावनी देकर छोड़ा है. 

इसके साथ ही राजनीति में अपराधीकरण को रोकने के लिए जारी किए दिशा निर्देश 
- राजनीतिक दलों को अपनी वेबसाइट के होमपेज पर उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास के बारे में जानकारी प्रकाशित करनी होगी और मुखपृष्ठ पर एक कैप्शन हो जिसमें लिखा हो 'पराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार'.
- चुनाव आयोग को एक समर्पित मोबाइल एप्लिकेशन बनाने का निर्देश, जिसमें उम्मीदवारों द्वारा उनके आपराधिक इतिहास के बारे में प्रकाशित जानकारी शामिल हो.
- चुनाव आयोग सभी चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास के बारे में  एक व्यापक जागरूकता अभियान चलाए.
- यह सोशल मीडिया, वेबसाइटों, टीवी विज्ञापनों, प्राइम टाइम डिबेट, पैम्फलेट आदि सहित विभिन्न प्लेटफार्मों पर किया जाएगा 
- चुनाव आयोग सेल बनाए जो ये निगरानी करे कि राजनीतिक पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन किया है या नहीं 
- यदि कोई राजनीतिक दल चुनाव आयोग के पास इस तरह की अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफल रहता है, तो चुनाव आयोग  इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट को देगा 

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साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा, दलों ने कम प्रसार वाले अखबारों में उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास की जानकारी छपवाई, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ज्यादा प्रसार वाले अखबारों और इलेक्ट्रानिक मीडिया में इसका प्रचार करे.

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