"अच्छे पड़ोसी की भावना गायब है तो..." : एस जयशंकर की चीन और पाकिस्तान को खरी-खरी

विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने इस्लामाबाद में एससीओ देशों के शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया और कहा कि आत्मावलोकन करने की आवश्यकता है कि कहीं ‘‘अच्छे पड़ोसी’’ की भावना गायब तो नहीं है.

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
इस्लामाबाद:

विदेश मंत्री एस जयशंकर (S jaishankar) ने पाकिस्तान (Pakistan) को उसी की धरती से परोक्ष संदेश देते हुए बुधवार को कहा कि यदि सीमा पार की गतिविधियां आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद की ‘‘तीन बुराइयों'' पर आधारित होंगी तो व्यापार, ऊर्जा और संपर्क सुविधा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ने की संभावना नहीं है. जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि इस बात पर आत्मावलोकन करने की आवश्यकता है कि कहीं ‘‘अच्छे पड़ोसी'' की भावना गायब तो नहीं है और भरोसे की कमी तो नहीं है.

उन्‍होंने कहा कि व्यापार और संपर्क पहल में क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को मान्यता दी जानी चाहिए और भरोसे की कमी पर ‘‘ईमानदारी से बातचीत'' करना आवश्यक है. 

विदेश मंत्री ने इस्लामाबाद में आयोजित एससीओ देशों के एक शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया. इस सम्मेलन की अध्यक्षता पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने की. सम्मेलन में चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग समेत अन्य नेता भी मौजूद थे.

शहबाज शरीफ ने किया स्‍वागत 

जयशंकर ने ये टिप्पणियां पूर्वी लद्दाख में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच जारी सैन्य गतिरोध और हिंद महासागर एवं अन्य रणनीतिक जलक्षेत्रों में चीन की बढ़ती सैन्य ताकत को लेकर चिंताओं के बीच की.

सम्मेलन से पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शरीफ ने जयशंकर से हाथ मिलाया और शिखर सम्मेलन स्थल ‘जिन्ना कन्वेंशन सेंटर' में उनका और एससीओ के अन्य सदस्य देशों के नेताओं का गर्मजोशी से स्वागत किया. शरीफ और जयशंकर ने कल रात्रिभोज के दौरान भी हाथ मिलाया और संक्षिप्त बातचीत की.

आतंकवाद पर जयशंकर ने जताई चिंता

सम्मेलन में अपने संबोधन में जयशंकर ने आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद की 'तीन बुराइयों' से निपटने सहित कई चुनौतियों पर चिंता जताई.

Advertisement

उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा, ‘‘यदि सीमा पार की गतिविधियां आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद से जुड़ी हैं तो उनके साथ-साथ व्यापार, ऊर्जा प्रवाह, संपर्क और लोगों के बीच आपसी लेन-देन को बढ़ावा मिलने की संभावना नहीं है.''

इस्लामाबाद से रवाना होने से पहले जयशंकर ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में प्रधानमंत्री शरीफ और पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार को धन्यवाद दिया, जिसे पाकिस्तान के वरिष्ठ पदाधिकारियों द्वारा सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है. उन्होंने एससीओ के शासन प्रमुखों की परिषद की बैठक को भी ‘सार्थक' बताया.

Advertisement

जयशंकर ने कहा, ‘‘इस्लामाबाद से प्रस्थान कर रहा हूं. आतिथ्य-सत्कार के लिए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, विदेश मंत्री इशाक डार और पाकिस्तान सरकार को धन्यवाद.''

SCO चार्टर के पालन करने पर दिया जोर 

एक अन्य पोस्ट में, विदेश मंत्री ने सम्मेलन में भारतीय दृष्टिकोण से प्रस्तुत आठ बातों को भी चिह्नित किया, जिसमें एससीओ ढांचे में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) को शामिल करना तथा ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' के विचार पर संवाद विकसित करने का निर्णय है.

Advertisement

मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार निष्पक्ष और संतुलित कनेक्टिविटी परियोजनाओं को बनाए रखना और विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) को केंद्र में रखते हुए नियम-आधारित, गैर-भेदभावपूर्ण, खुली, निष्पक्ष, समावेशी और पारदर्शी बहुपक्षीय व्यापार प्रणालियों पर भी जोर दिया.

विदेश मंत्री ने अपने संबोधन में एससीओ के प्रत्येक सदस्य राष्ट्र द्वारा समूह के चार्टर का सख्ती से पालन किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया तथा आपसी विश्वास, मित्रता और अच्छे पड़ोसी के भाव को मजबूत करने के इसके सार पर प्रकाश डाला.

Advertisement

उन्होंने कहा, ‘‘इसमें क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को मान्यता दी जानी चाहिए. इसे वास्तविक साझेदारी पर आधारित होना चाहिए, न कि एकतरफा एजेंडे पर. अगर हम वैश्विक व्यवस्थाओं, खासकर व्यापार और पारगमन के क्षेत्रों में अपने फायदे के हिसाब से चयन करेंगे तो यह (सहयोग) आगे नहीं बढ़ सकता.''

''अच्‍छे पड़ोसी की भावना गायब है तो...''

उनकी इस टिप्पणी को व्यापार एवं संपर्क सुविधा जैसे अहम मुद्दों पर चीन के आक्रामक व्यवहार के परोक्ष संदर्भ के रूप में देखा जा रहा है.

जयशंकर ने कहा, ‘‘लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारे प्रयास तभी आगे बढ़ेंगे जब चार्टर के प्रति हमारी प्रतिबद्धता दृढ़ रहेगी. यह स्वत: सिद्ध है कि विकास एवं वृद्धि के लिए शांति एवं स्थिरता अनिवार्य है. जैसा कि चार्टर में स्पष्ट किया गया है, इसका अर्थ है- ‘‘तीन बुराइयों'' का मुकाबला करने में दृढ़ रहना और समझौता नहीं करना.''

जयशंकर ने कहा कि इस बात पर आत्मावलोकन करने की आवश्यकता है कि कहीं ‘‘अच्छे पड़ोसी'' की भावना गायब तो नहीं है और भरोसे की कमी तो नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘‘यदि हम चार्टर के सूत्रपात से लेकर आज तक की स्थिति पर तेजी से नजर डालें तो ये लक्ष्य और ये कार्य और भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं. इसलिए यह आवश्यक है कि हम ईमानदारी से बातचीत करें.''

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘यदि भरोसे की कमी है या पर्याप्त सहयोग नहीं है, यदि मित्रता कम हो गई है और अच्छे पड़ोसी की भावना गायब है तो निश्चित रूप से आत्मावलोकन करने और समाधान खोजने की आवश्यकता है.''

जयशंकर ने गिनाईं चार्टर की तीन चुनौतियां

उन्होंने कहा, ‘‘इसी तरह, यदि हम चार्टर के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पूरी ईमानदारी से पुष्टि करें, तभी हम उस सहयोग और एकीकरण के उन लाभों को पूरी तरह से हासिल कर सकते हैं जिनकी इसमें परिकल्पना की गई है.''

जयशंकर ने कहा कि एससीओ का उद्देश्य आपसी विश्वास, मित्रता और अच्छे पड़ोसी के रूप में संबंधों को मजबूत करना है.

उन्होंने कहा, ‘‘इसका उद्देश्य खासकर क्षेत्रीय प्रकृति का बहुआयामी सहयोग विकसित करना है. इसका मकसद संतुलित विकास, एकीकरण और संघर्ष की रोकथाम के मामले में एक सकारात्मक शक्ति बनना है.''

जयशंकर ने कहा, ‘‘चार्टर में यह भी स्पष्ट था कि मुख्य चुनौतियां क्या थीं. मुख्य रूप से तीन चुनौतियां थीं जिनका मुकाबला करने के लिए एससीओ प्रतिबद्ध था: पहली- आतंकवाद, दूसरी- अलगाववाद और तीसरी चुनौती-उग्रवाद.''

जयशंकर ने ऋण की चुनौती को भी गंभीर चिंता बताया.

विदेश मंत्री ने वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करते हुए कहा कि वैश्विक संस्थाओं को बदलावों के साथ तालमेल बनाए रखने की जरूरत है और उन्होंने ‘‘सुधार के साथ बहुपक्षवाद'' की आवश्यकता को रेखांकित किया.

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी और अस्थायी दोनों श्रेणियों के स्तरों पर व्यापक सुधार की आवश्यकता पर भी बल दिया, ताकि वैश्विक निकाय को अधिक प्रतिनिधित्वपूर्ण, समावेशी, पारदर्शी और कुशल बनाया जा सके.

उन्होंने कहा, ‘‘एससीओ को इस तरह के बदलाव की वकालत करने में पीछे हटने के बजाए सबसे आगे रहना चाहिए.''

जयशंकर ने विभिन्न वैश्विक चुनौतियों का भी उल्लेख किया.

उन्होंने कहा, ‘‘हम ऐसे समय में सम्मेलन कर रहे हैं जब दुनिया कठिनाई के दौर से गुजर रही है. दो बड़े संघर्ष जारी हैं, जिनका पूरे विश्व पर असर पड़ रहा है. कोविड महामारी ने विकासशील देशों में कई लोगों को बुरी तरह तबाह कर दिया है.''

जयशंकर ने कहा, ‘‘जलवायु की चरम परिस्थितियों से लेकर आपूर्ति शृंखला संबंधी अनिश्चितताएं और वित्तीय अस्थिरता तक विभिन्न प्रकार के व्यवधान विकास को प्रभावित कर रहे हैं.''

उन्होंने कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी में बहुत संभावनाएं हैं, लेकिन यह नयी चिंताओं को भी जन्म देती है.''

Featured Video Of The Day
Tigmanshu Dhulia Exclusive Interview: Irfan Khan की मौत ने मेरे काम पर असर डाला : तिग्मांशु धूलिया