वक्फ कानून पर आज 'सुप्रीम' सुनवाई, जानें सरकार ने हलफनामे में क्या कहा

उच्चतम न्यायालय की तीन न्यायाधीशों की पीठ सोमवार को पांच याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. याचिकाओं के इस समूह में एआईएमआईएम प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी द्वारा दायर एक याचिका भी शामिल है.

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कई राजनीतिक दलों, मुस्लिम संगठनों और एनजीओ ने अधिनियम की वैधता को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया है.
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट वक्फ संशोधन अधिनियम की वैधता को चुनौती देनेवाली याचिकाओं पर आज सुनवाई करेगा, जिसमें तर्क दिया गया है कि यह असंवैधानिक है. सरकार ने आश्वासन दिया कि किसी भी वक्फ संपत्ति को गैर-अधिसूचित नहीं किया जाएगा और वक्फ बोर्ड में किसी गैर-मुस्लिम को नियुक्त नहीं किया जाएगा. एक अन्य याचिका में अनुच्छेद 14 और 15 के उल्लंघन का हवाला देते हुए पूरे वक्फ अधिनियम को निरस्त करने की मांग की गई है, जिसमें दावा किया गया है कि यह एक समुदाय को अनुचित संपत्ति अधिकार प्रदान करता है.

 हलफनामे में सरकार ने क्या कहा

  • केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर इस कानून की आवश्यकता और औचित्य को स्पष्ट किया है.
  • सरकार ने कहा कि वक्फ कानून में संशोधन का उद्देश्य इसकी आड़ में हो रहे निजी और सरकारी संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकना है.
  • केंद्र सरकार ने कहा कि वक्फ बाय यूजर की व्यवस्था खत्म होने से मुस्लिम समुदाय का वक्फ करने का अधिकार नहीं छीना गया है, बल्कि कानून के दुरुपयोग पर लगाम लगाई गई है.
  • सरकार ने यह भी आरोप लगाया कि इस कानून को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता अदालत को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं.
  • सरकार ने कहा कि प्रमुख राजनीतिक दलों के सदस्यों वाली संसदीय समिति के बहुत व्यापक, गहन और विश्लेषणात्मक अध्ययन करने के बाद ये संशोधन किए गए हैं.

कुछ सप्ताह पहले सरकार ने शीर्ष अदालत के प्रश्नों के मद्देनजर इस विवादास्पद कानून के दो मुख्य बिंदुओं के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी थी. केंद्र ने 17 अप्रैल को न्यायालय को सूचित किया था कि वह मामले की सुनवाई की अगली तारीख पांच मई तक ‘‘वक्फ बाय यूजर'' सहित अन्य वक्फ संपत्तियों को गैर-अधिसूचित नहीं करेगा, न ही केंद्रीय वक्फ परिषद और बोर्ड में कोई नियुक्तियां करेगा. केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ से कहा था कि संसद द्वारा उचित विचार-विमर्श के बाद पारित कानून पर सरकार का पक्ष सुने बिना रोक नहीं लगाई जानी चाहिए.

वक्फ संशोधन कानून  की टाइमलाइन-

8 अगस्त, 2024लोकसभा में बिल पेश किया गया
9  अगस्त, 202431 मेंबर की JPC बनाई गई
30 जनवरी, 2025कमेटी ने लोकसभा अध्यक्ष को रिपोर्ट सौंपी
28 मार्च, 2025अमित शाह ने घोषणा कि दोबारा बिल पेश होगा
2 अप्रैल, 2025बिल लोकसभा में पास हुआ
3 अप्रैल, 2025राज्यसभा में बिल पास हुआ
5 अप्रैल, 2025राष्ट्रपति ने नए वक्फ कानून को मंजूरी दी
8 अप्रैल 2025MHA ने कानून लागू होने का नोटिफिकेशन जारी किया

सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा था कि पहले से पंजीकृत या अधिसूचना के माध्यम से घोषित वक्फ संपत्तियों, जिनमें ‘वक्फ बाय यूजर' भी शामिल है, को अगली सुनवाई की तारीख तक न तो छेड़ा जाएगा और न ही गैर अधिसूचित किया जाएगा. इसके बाद पीठ ने केंद्र को कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर प्रारंभिक जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया और मामले की अगली सुनवाई पांच मई के लिए तय की.

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कई राजनीतिक दलों, मुस्लिम संगठनों और एनजीओ ने अधिनियम की वैधता को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया है.

उच्चतम न्यायालय की तीन न्यायाधीशों की पीठ सोमवार को पांच याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. याचिकाओं के इस समूह में एआईएमआईएम प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी द्वारा दायर एक याचिका भी शामिल है.

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पांच अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिलने के बाद केंद्र ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को पिछले महीने अधिसूचित किया था. वक्फ (संशोधन) विधेयक को लोकसभा ने 288 सदस्यों के समर्थन से पारित किया, जबकि 232 सांसद इसके खिलाफ थे. राज्यसभा में इसके पक्ष में 128 और इसके खिलाफ 95 सदस्यों ने मतदान किया.

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