आशिक अल्लाह दरगाह, और बाबा फ़रीद की चिल्लागाह दरगाह के आसपास ऐतिहासिक संरचना गिराने पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि मौजूदा ढांचे में कोई नया निर्माण या परिवर्तन न किया जाए और जो संरचना वर्तमान में मौजूद है, उसे संरक्षित किया जाए.

विज्ञापन
Read Time: 2 mins
Baba Farid Chillagah Dargah
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • आशिक अल्लाह दरगाह, और बाबा फरीद की चिल्लागाह दरगाह के आसपास ऐतिहासिक संरचना गिराने पर रोक
  • DDA की ओर से कहा गया कि दरगाह नहीं बल्कि उसके आसपास अवैध निर्माण हटाए जा रहे हैं
  • सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि मौजूदा ढांचे में कोई नया निर्माण या परिवर्तन न किया जाए
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए को महरौली के संजय वन इलाके में स्थित आशिक अल्लाह दरगाह, और बाबा फ़रीद की चिल्लागाह  दरगाह के आसपास की 12वीं सदी की बनी ऐतिहासिक सरंचना को गिराए जाने पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने  यह भी कहा कि ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण की आड़ में किसी भी तरह के अवैध निर्माण को संरक्षण नहीं मिलना चाहिए. इन स्मारकों को प्राचीन स्मारक माना जाता है, लेकिन ASI के अंतर्गत यह संरक्षित स्मारक नहीं हैं. हालांकि ASI के मुताबिक ये दिल्ली के महरौली इलाके में स्थित 12वीं सदी का स्मारक हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि DDA,ASI  की निगरानी में ही किसी भी अनधिकृत संरचना को हटा सकता है. ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि ऐतिहासिक संरचनाओं का संरक्षण किया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ASI इन सरंचना की  निगरानी, मरम्मत और रखरखाव की निगरानी करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने महरौली क्षेत्र में सूफी संत की दरगाह सहित धार्मिक ढांचों को गिराने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की.इसमें दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) की कार्रवाई को चुनौती दी गई है

याचिका में कहा गया कि यह दरगाह लगभग 800 साल पुरानी है और 12 वीं सदी की एक ऐतिहासिक धरोहर है, जिसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने भी अपनी रिपोर्ट में प्राचीन स्मारक बताया है. कोर्ट ने सवाल किया कि "आप इसे गिराना क्यों चाहते हैं?"  इस पर DDA की ओर से कहा गया कि दरगाह नहीं  बल्कि उसके आसपास अवैध निर्माण हटाए जा रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि मौजूदा ढांचे में कोई नया निर्माण या परिवर्तन न किया जाए और जो संरचना वर्तमान में मौजूद है, उसे संरक्षित किया जाए. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह मामला धार्मिक समिति के पास नहीं भेजा जा सकता क्योंकि इसमें संरचना का कोई अतिक्रमण नहीं है. साथ ही, ASI को निर्देश दिया गया कि वह इस स्मारक की निगरानी, मरम्मत और रखरखाव की जिम्मेदारी ले. कोर्ट ने सभी अपीलों का निपटारा करते हुए यह भी कहा कि ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण की आड़ में किसी भी तरह के अवैध निर्माण को संरक्षण नहीं मिलना चाहिए

Featured Video Of The Day
Bihar Elections में Tejashwi Yadav के लिए Tej Pratap Yadav होंगे नई चुनौती? | Bihar Politics