कोविड से मौत पर मुआवजे को लेकर SC ने गुजरात सरकार को लगाई फटकार, कहा- पीड़ा व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं 

गुजरात के मुख्य सचिव और स्वास्थ्य सचिव को तलब करने की चेतावनी देते हुए कोर्ट ने कहा कि यह उन लोगों के साथ नहीं किया जा सकता है जो पहले से ही इतना पीड़ित है. सरकार को विरोध करने के बजाय मदद का हाथ बढ़ाना चाहिए.

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नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कोविड से हुई मौत (Covid 19 Deaths) पर 50,000 रुपये मुआवजे के मामले पर सुनवाई करते हुए गुजरात सरकार (Gujarat Government) को मुआवजे के दावों को प्रमाणित करने के लिए जांच समिति बनाने के लिए फटकार लगाई है. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि गुजरात सरकार ने कोविड पीड़ितों के परिजनों को मुआवजे के लिए दर-दर भटकने को मजबूर किया है. गुजरात के मुख्य सचिव और स्वास्थ्य सचिव को तलब करने की चेतावनी देते हुए कोर्ट ने कहा कि यह उन लोगों के साथ नहीं किया जा सकता है जो पहले से ही इतना पीड़ित है. सरकार को विरोध करने के बजाय मदद का हाथ बढ़ाना चाहिए. आपके अधिकारी इसे विपरीत तरीके से लेते हैं. लोग अभी भी पीड़ित हैं और यही सच्चाई है. 

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कोर्ट ने कहा कि जांच समिति का कोई सवाल ही नहीं था. अब हम देखते हैं कि लंबी कतारें हैं और मुआवजे के फॉर्म इतने जटिल हैं. ये गरीब लोग हैं, हमारे पास अपनी पीड़ा व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं. आप थोड़े संवेदनशील क्यों नहीं हो सकते. गुजरात सरकार का स्क्रूटनी कमेटी बनाने का फैसला "सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को खत्म करने का प्रयास" है. हमने पहले ही कहा था कि लोगों की शिकायतों के निवारण के लिए समिति बनाने की जरूरत है ना कि जांच के लिए.

जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए गुजरात सरकार से कोविड मुआवजा देने के लिए उठाए गए कदमों पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है. 

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बता दें कि 4 अक्टूबर के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा अनुशंसित कोरोना पीड़ितों के परिजनों के लिए 50,000 रुपये के अनुग्रह मुआवजे को मंजूरी दी थी. इस पर याचिकाकर्ता गौरव बंसल ने कोर्ट को सूचित किया था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले ही घोषित किए जा रहे कोविड मृत्यु प्रमाणपत्र मानदंड के बावजूद, गुजरात सरकार ने प्रमाणपत्रों के संबंध में नया मॉड्यूल बनाया है. गुजरात सरकार ने कोविड मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए एक समिति बनाई है और कोरोना को मृत्यु के कारण के रूप में प्रमाणित करने वाले दस्तावेज़ को प्राप्त करने के लिए समिति के समक्ष एक प्रतिनिधित्व किया जाना होगा.

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याचिकाकर्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने पहले के आदेश में पहले ही कहा था कि निम्न श्रेणी की मौतें मुआवजे के लिए पात्र हैं:

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-RTPCR के माध्यम से 

-चिकित्सकीय रूप से निर्धारित मौतें

-कोविड 19 टेस्ट के बाद  30 दिनों के भीतर होने वाली मौतें 

-कोविड 19 रोगियों द्वारा आत्महत्या

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