देश के विभिन्न राज्यों में लोगों को डरा धमका कर, प्रलोभन देकर या काला जादू और अंधविश्वास का सहारा लेकर कराए जा रहे धर्मान्तरण को रोकने के लिए याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को स्वत: संज्ञान लिया.
याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय की याचिका को स्वत: संज्ञान में तब्दील किया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने AG आर वेकेंटरमनी को मामले में एमिक्स या किसी भी तरह से सहायता करने को कहा. अब सुप्रीम कोर्ट सात फरवरी को पूरे मामले में सुनवाई करेगा.
साथ ही पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार के वकील को चेताया. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में राजनीति को ना घसीटें. ये सिर्फ एक राज्य का मामला नहीं है. धार्मिक धर्मांतरण एक गंभीर मुद्दा है. हम इस मुद्दे पर विचार करेगा.
बता दें कि पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता बीजेपी नेता (BJP) और वकील अश्विनी उपाध्याय से कहा था कि वो जनहित याचिका में अल्पसंख्यक धर्मों के खिलाफ दिए गए अपमानजनक बयानों को हटा दें. साथ ही ये सुनिश्चित करें कि ऐसी टिप्पणी रिकॉर्ड में न आए.
वहीं, याचिकाकर्ता की ओर से पेश अरविंद दातार ने आश्वासन दिया था कि अगर यह अपमानजनक टिप्पणी या बुरी टिप्पणी है, तो उन्हें हटा दिया जाएगा. इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग कर रहे कुछ ईसाई संगठनों की ओर से पेश दुष्यंत दवे ने पीठ को बताया था कि याचिकाकर्ता ने अन्य धर्मों के खिलाफ बेहद घृणित आरोप लगाए हैं. जबकि याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय खुद हेट स्पीच के मामले का सामना कर रहे हैं.
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