'ये याचिका इस तरह दाखिल नहीं होनी चाहिए थी', जस्टिस यशवंत वर्मा की अपील पर सुप्रीम कोर्ट, चल रही जोरदार बहस

जस्टिस वर्मा ने अपनी याचिका में आंतरिक जांच समिति की उस रिपोर्ट को अमान्य घोषित करने की अपील की है, जिसमें उन्हें कैश बरामदगी विवाद में कदाचार का दोषी पाया गया है.

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत की याचिका को अनुचित बताते हुए कहा है कि ये याचिका इस तरह से नहीं आनी चाहिए थी.
  • जस्टिस वर्मा के खिलाफ इन-हाउस कमेटी की रिपोर्ट में कैश छिपाने व न्यायिक मर्यादा उल्लंघन के गंभीर आरोप लगाए गए.
  • जस्टिस वर्मा ने इस रिपोर्ट के साथ-साथ चीफ जस्टिस के महाभियोग प्रस्‍ताव की सिफारिश को खारिज करने की मांग की है.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
नई दिल्‍ली:

कैश बरामदगी मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये याचिका यहां आनी ही नहीं चाहिए थी. जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिसी एजी मसीह की पीठ ने कहा, 'ये याचिका इस तरह दाखिल नहीं होनी चाहिए थी. पीठ ने कहा, 'इस केस में पहला पक्ष सुप्रीम कोर्ट ही है क्योंकि आपकी शिकायत उल्लिखित प्रक्रिया के विरुद्ध है. जस्टिस दत्ता ने आंतरिक समिति की रिपोर्ट की भी मांग की, जिसमें जस्टिस वर्मा को कैश बरामदगी मामले में गंभीर कदाचार का दोषी माना गया था. उन्‍होंने जस्टिस वर्मा के पैरवीकार वरिष्‍ठ वकील कपिल सिब्‍बल से पूछा कि ये रिपोर्ट, रिकॉर्ड पर क्‍यों नहीं है. इस पर कपिल सिब्‍बल का कहना था कि ये रिपोर्ट पब्लिक डोमेन में है. हालांकि जस्टिस दत्ता ने इस बात पर जोर दिया कि रिपोर्ट यहां लगानी चाहिए थी. 

जस्टिस वर्मा की अपील में क्‍या है?

जस्टिस वर्मा ने अपनी याचिका में आंतरिक जांच समिति की उस रिपोर्ट को अमान्य घोषित करने की अपील की है, जिसमें उन्हें कैश बरामदगी विवाद में कदाचार का दोषी पाया गया है. जस्टिस वर्मा ने चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की 8 मई की सिफारिश भी रद्द करने का अनुरोध भी किया है, जिसमें उन्होंने संसद से उनके खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने का आग्रह किया था. 

कपिल सिब्‍बल ने क्‍या तर्क दिए? 

सीनियर वकील कपिल सिब्‍बल ने कहा कि संवैधानिक न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाने का अधिकार संविधान ने संसद को दिया है, जिसके तहत न्यायाधीशों के विरुद्ध आरोपों की गहन सुनवाई की जाती है. इसमें आरोप तय करना, जिरह करना और 'सिद्ध कदाचार' के लिए संदेह से परे सबूत जैसे अंतर्निहित सुरक्षा उपाय शामिल हैं. उन्‍होंने कहा कि ⁠इस प्रकार, जजों को हटाने की सिफारिश करने के लिए आंतरिक प्रक्रिया, जहां तक संसदीय प्रक्रिया का अतिक्रमण करती है, शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का उल्लंघन करती है. 

Advertisement

उन्‍होंने कहा, 'इसके लिए एक प्रक्रिया तय है. ⁠पावर संसद के पास है. ⁠सदन अभी तस्वीर में नहीं आया है. संसद में भी उसकी पूरी प्रक्रिया है. पहले प्रस्ताव आता  है फिर आरोपी जज की सुनवाई और सफाई होती है. सिब्‍बल ने कहा, '⁠न्यायपालिका, न्यायाधीशों को हटाने में विधायिका के लिए आरक्षित भूमिका नहीं निभा सकती.' 

Advertisement

कपिल सिब्‍बल ने कहा, 'टेप जारी करना, वेबसाइट पर डालना, उसके खिलाफ सार्वजनिक आक्रोश, न्यायाधीशों के विरुद्ध मीडिया में आरोप, जनता का निष्कर्ष निकालना, न्यायाधीशों के आचरण पर चर्चा... ये सब संवैधानिक प्रक्रिया में निषिद्ध हैं. यदि प्रक्रिया उन्हें ऐसा करने की अनुमति देती है, तो ये संविधान पीठ के निर्णय का उल्लंघन है.'  

Advertisement

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस वर्मा से बड़े सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि वे इन-हाउस कमिटी के सामने क्‍यों पेश नहीं हुए. पीठ ने कपिल सिब्बल से पूछा, 'आप जांच समिति के सामने क्यों नहीं पेश हुए? ⁠क्या आपने पहले वहां से अनुकूल आदेश मिलने की उम्मीद की थी?' 

Advertisement
  • अगर आंतरिक जांच कमेटी आदेश अमान्य है, तो आप पैनल के सामने क्यों पेश हुए?
  • आपको जांच कमेटी द्वारा जारी समन को ही चुनौती देनी चाहिए थी, क्‍यों नहीं दी?
  • आप एक संवैधानिक प्राधिकारी हैं, आप ये नहीं कह सकते कि आपको जानकारी नहीं थी और आपके पास अपील करने का अधिकार नहीं था.
  • अगर आप कमेटी के सामने पेश हुए भी, तो आपने कमेटी के सामने ये बातें क्यों नहीं रखीं?
  • आप अब क्यों आए हैं? जब रिपोर्ट आ चुकी है और अब संसद में प्रस्ताव पर विचार होने वाला है?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'अतीत में ऐसे कई उदाहरण रहे हैं जब जजों ने कमेटी से दूरी बना ली थी.'

  • सिब्बल: पूरा प्रकरण राजनीतिक हो गया है. 
  • कोर्ट: वैसे महाभियोग राजनीतिक विषय ही है. 
  • सिब्बल: लेकिन संसद में आने के बाद, यहां तो पहले ही राजनीतिक बना दिया गया, लोगों ने निर्णय भी दे दिया. घटना स्थल से मिला पैसा कहां गया? 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट की इन हाउस कमिटी के मामले को आप राजनीतिक मानते हैं, तो आप कमेटी के आगे क्यों पेश हुए? इस पर सिब्‍बल ने नियम-कायदों का हवाला दिया.  

इन-हाउस कमिटी की रिपोर्ट में क्‍या?

दिल्‍ली हाईकोर्ट के तत्‍कालीन जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्‍ली स्थित सरकारी आवास में 14 मार्च को आग लगने की खबर सामने आई थी और इस आगजनी में कथित तौर पर भारी मात्रा में जले हुए नोट मिले. उनके आधिकारिक निवास पर एक स्टोर रूम से बड़ी मात्रा में जले हुए नकद की बरामदगी के आरोप हैं. जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने इन-हाउस कमिटी बनाई. कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा के खिलाफ कैश छिपाने और न्यायिक मर्यादा के उल्लंघन की बात कही. हालांकि जस्टिस वर्मा इनकार करते रहे.

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस शील नागू की अध्यक्षता में एक तीन सदस्‍यीय आंतरिक कमिटी ने मामले की जांच की थी. समिति ने करीब 55 गवाहों से पूछताछ की और घटनास्थल का दौरा भी किया था. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जस्टिस वर्मा और उनके परिवार का स्टोर रूम पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष नियंत्रण था. इस मामले को समिति ने 'गंभीर कदाचार' माना और उन्‍हें हटाने की सिफारिश भी की गई. 

संसद में महाभियोग प्रस्‍ताव 

सुप्रीम कोर्ट के तत्‍कालीन चीफ जस्टिस ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग के प्रस्‍ताव की सिफारिश की थी. संसद के मॉनसून सत्र के दौरान ये महाभियोग प्रस्ताव लाया भी गया है. फिर संसद के मॉनसून सत्र से पहले हुई सर्वदलीय बैठक के बाद केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने बताया कि महाभियोग प्रस्‍ताव के लिए पक्ष और विपक्ष के 100 से ज्‍यादा सांसदों ने नोटिस पर हस्‍ताक्षर किए हैं. दूसरी ओर राज्‍यसभा में 50 से ज्‍यादा सदस्‍यों के हस्‍ताक्षर वाले प्रस्‍ताव को तत्‍कालीन सभापति जगदीप धनखड़ (उपराष्‍ट्रपति) ने स्‍वीकार भी कर लिया. हालांकि इसके बाद जगदीप धनखड़ ने उपराष्‍ट्रपति पद से इस्‍तीफा दे दिया और उच्‍च सदन के सभापति भी नहीं रहे. सूत्रों के मुताबिक, राज्‍यसभा में बतौर सभापति जगदीप धनखड़ के स्‍वीकार किए गए प्रस्‍ताव को 'सदन में औपचारिक तौर पर पेश' नहीं मानते हुए खारिज कर दिया जाएगा. हालांकि लोकसभा स्‍पीकर को सौंपा गया प्रस्‍ताव वैध रहेगा. इस बारे में संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने बताया था कि 100 से ज्‍यादा लोकसभा सांसदों ने महाभियोग प्रस्‍ताव पर हस्‍ताक्षर किए हैं. फिलहाल संसद में ये प्रस्‍ताव विचाराधीन है. 

Featured Video Of The Day
Lalan Singh On Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में ललन सिंह का विपक्ष को करारा जवाब