जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की तलाक से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उनकी पत्नी पायल अब्दुल्ला को नोटिस जारी किया है. नेशनल कांफ्रेंस के नेता ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें क्रूरता के आधार पर उनकी पत्नी से तलाक की मांग वाली याचिका खारिज कर दी गई थी. न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने याचिका पर पायल अब्दुल्ला से छह सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है.
उमर अब्दुल्ला की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिबा ने अदालत को बताया कि दंपती की शादी "खत्म" हो चुकी है. क्योंकि वे पिछले 15 सालों से अलग-अलग रह रहे हैं. उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत शीर्ष अदालत से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया, जिसका इस्तेमाल पहले भी विवाह को समाप्त करने के लिए किया जाता रहा है.
साल 2023 में जस्टिस संजीव सचदेवा और विकास महाजन की पीठ ने 2016 के पारिवारिक न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा, जिसमें कहा गया था कि पायल अब्दुल्ला के खिलाफ क्रूरता के आरोप अस्पष्ट थे. अदालत ने कहा था कि अब्दुल्ला "क्रूरता" या "परित्याग" के अपने दावों को साबित नहीं कर सके. अपने आदेश में हाईकोर्ट ने कहा था कि उसे फैमिली कोर्ट के आदेश में कोई खामी नहीं मिली और वह उसके फैसले से सहमत है.
फैमिली कोर्ट ने कहा था कि अब्दुल्ला द्वारा पायल अब्दुल्ला के खिलाफ क्रूरता के आरोप अस्पष्ट थे. पीठ ने कहा था कि पायल अब्दुल्ला द्वारा शारीरिक व मानसिक क्रूरता के किसी भी कृत्य को साबित करने में उमर अब्दुल्ला विफल रहे.
वहीं साल पिछले साल दिल्ली हाईकोर्ट ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला को अंतरिम भरण-पोषण के तौर पर अलग रह रही पत्नी को हर महीने 1.5 लाख रुपये देने का निर्देश दिया था. अदालत ने उन्हें अपने दोनों बेटों की शिक्षा के लिए हर महीने 60-60 हजार रुपये का भुगतान करने का भी निर्देश दिया था.
अदालत का आदेश पायल अब्दुल्ला और दंपती के बेटों की 2018 की निचली अदालत के आदेशों के खिलाफ याचिकाओं पर आया था, जिसमें लड़कों के वयस्क होने तक उन्हें क्रमशः 75,000 रुपये और 25,000 रुपये का अंतरिम गुजारा भत्ता दिया गया था.
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