यूपी और बिहार में गंगा में फेंके गए शवों का मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मामले की SIT जांच कराने की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम जनहित याचिका के तौर पर सुनवाई करने को सहमत नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को संबंधित प्राधिकरण जाने को कहा. याचिकाकर्ता प्रदीप यादव ने याचिका में मामले की जांच के लिए SIT के गठन की मांग की गई थी.
बिहार और उत्तर प्रदेश में गंगा नदी में मिले शवों का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर याचिका दाखिल की गई. इसमें बिहार के बक्सर और यूपी के गाजीपुर और उन्नाव में गंगा में मिले शवों के मामलों की जांच विशेष जांच एजेंसी से कराने की मांग की गई थी. साथ ही कहा गया है कि इस मामले की आगे जांच के लिए सभी शवों को निकाला जाए और फिर उनका पोस्टमार्टम कराया जाए.
वकील प्रदीप कुमार यादव ने इस मामले में दोषियों पर कार्यवाही करने में नाकाम प्राधिकारियों पर भी कार्यवाही करने की मांग की थी. प्रदीप और अन्य द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि गंगा नदी में लगभग 100 शवों को बरामद किया गया है. इनमें 71 बिहार के बक्सर में और 30 को यूपी में निकाला गया. शीर्ष अदालत 100 गरीब व्यक्तियों की मृत्यु के लिए जांच का आदेश दे. इसके साथ ही मृत्यु का कारण जानने के लिए शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जाए. याचिका में कहा गया है कि अपने चेहरे को बचाने के लिए प्रशासन ने वास्तविक पोस्टमार्टम किए बिना झूठी कार्रवाई की है, ऐसे में शीर्ष अदालत जांच करने और दोषियों को सजा देने के लिए SIT का गठन करे.