सरबजीत सिंह : 22 साल तक पाकिस्‍तान की जेल में रहे, फिर कैदियों ने कर दी थी हत्‍या

सरबजीत सिंह पर अमीर सरफराज तांबा सहित अन्य कैदियों ने हमला कर दिया था. तांबा कथित तौर पर लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद का करीबी सहयोगी था. 

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
सरबजीत सिंह की जेल में हमले के छह दिन बाद लाहौर के एक अस्पताल में मौत हो गई. (फाइल)
नई दिल्ली :

पाकिस्‍तान (Pakistan) में आतंकवाद का दोषी करार दिए जाने के बाद सरबजीत सिंह (Sarabjit Singh) ने लाहौर की कोट लखपत जेल में करीब 22 साल बिताए और फिर 2013 में कैदियों के हमले में उनकी जान चली गई थी. स्‍थानीय मीडिया ने बताया कि आज उनकी मौत के 11 साल बाद हमलावरों में से एक अमीर सरफराज तांबा (Amir Sarfaraz Tamba) की अज्ञात बाइक सवारों ने लाहौर में गोली मारकर हत्‍या कर दी. खबरों के मुताबिक तांबा कथित तौर पर लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद का करीबी सहयोगी था.  

कौन थे सरबजीत सिंह?

सरबजीत सिंह अटवाल का जन्म पंजाब के तरनतारन जिले में भारत-पाकिस्तान की सीमा पर भिखीविंड में हुआ था. सरबजीत सिंह और उनकी पत्नी सुखप्रीत कौर की दो बेटियां थीं - स्‍वप्‍नदीप और पूनम कौर. बहन दलबीर कौर ने 1991 से 2013 में सरबजीत सिंह की मौत तक उनकी रिहाई के लिए लगातार कोशिश की. 

1990 में लाहौर और फैसलाबाद में सिलसिलेवार बम धमाकों के लिए पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने उन पर मुकदमा चलाया गया था और दोषी ठहराया गया था, जिसमें 14 लोग मारे गए थे. साथ ही सरबजीत सिंह को आतंकवाद और जासूसी का भी दोषी ठहराया गया. हालांकि भारत का कहना था कि सरबजीत सिंह एक किसान थे, जो इन धमाकों के महीनों बाद भटककर पाकिस्तान चले गए थे.  1991 में कोर्ट ने उन्हें मौत की सजा सुनाई. हालांकि पाकिस्तान ने उनकी सजा को कई बार टाला.  

उच्‍च सुरक्षा वाली जेल में हमला 

सरबजीत सिंह 26 अप्रैल 2013 तक उच्च सुरक्षा वाली जेल में बंद रहे, जब उन पर अमीर सरफराज तांबा सहित अन्य कैदियों ने हमला किया. कैदियों के एक समूह ने मैटल की शीट, लोहे की रॉड, ईंटों और टिन के टुकड़ों से उनके सिर पर हमला किया, जिसके बाद उन्हें गंभीर दिमागी चोट आई, रीढ़ की हड्डी टूट गई और वो कोमा में चले गए. उन्हें लाहौर के जिन्ना अस्पताल ले जाया गया. वहीं डॉक्टरों ने चेतावनी दी थी कि उनके ठीक होने की संभावना नहीं है. 

उनकी बहन और पत्नी को अस्पताल में उनसे मिलने की इजाजत दी गई और डॉक्टरों ने कहा कि वे कोमा से बाहर नहीं आ सकेंगे.  

29 अप्रैल, 2013 को भारत ने पाकिस्तान से अपील की कि वह मानवीय आधार पर सिंह को रिहा कर दें या उन्हें चिकित्सा देखभाल के लिए भारत आने दें, लेकिन पाकिस्तान ने बार-बार अनुरोधों को ठुकरा दिया. 

Advertisement

विशेष विमान से भारत लाया गया था शव 

हमले के छह दिन बाद 1 मई 2013 को अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई. उनका शव एक विशेष विमान से भारत लाया गया और भारतीय डॉक्टरों ने अमृतसर के पास पट्टी में उनका दूसरा शव परीक्षण किया. डॉक्टरों ने निष्कर्ष निकाला कि "व्यक्ति को मारने" के इरादे से हमला किया गया था. 

डॉक्टरों ने कहा कि सिंह के हृदय और गुर्दे सहित महत्वपूर्ण अंगों को निकाल लिया गया था और और कहा कि यह पाकिस्तान में पहली शव परीक्षा के हिस्से के रूप में किया गया हो सकता है. 

Advertisement

प्रारंभिक शव परीक्षण रिपोर्ट में कथित तौर पर कहा गया कि सिंह को सिर में चोट लगने के कारण बड़े पैमाने पर आंतरिक रक्तस्राव हुआ. लाहौर में शव परीक्षण करने वाले मेडिकल बोर्ड के एक सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "ऐसा लगता है कि सरबजीत सिंह की खोपड़ी के शीर्ष पर पांच सेमी चौड़ी चोट उनकी मौत का कारण बनी."

कथित तौर पर डॉक्टर ने कहा था कि उनके चेहरे, गर्दन और बांह पर भी कुछ मामूली चोटें हैं. 

ये भी पढ़ें :

* बैसाखी उत्सव में भाग लेने 2,400 भारतीय सिख तीर्थयात्री पाकिस्तान पहुंचे
* पाकिस्तान में जीवन-यापन की लागत पूरे एशिया में सबसे अधिक, महंगाई और बढ़ेगी : एडीबी
* "आतंकवादी नियम नहीं मानते तो उनका जवाब नियमों से कैसे हो सकता है" : एस जयशंकर

Advertisement
Featured Video Of The Day
Top 3 News: Maharashtra में विभागों का बंटवारा | AQI पर हालात खराब | Maha Kumbh की भव्य तैयारियां
Topics mentioned in this article