- यूपी के संभल में नवंबर 2024 में हुई हिंसा पर गठित न्यायिक आयोग ने 450 पन्नों की रिपोर्ट शासन को सौंपी है.
- रिपोर्ट में जामा मस्जिद सर्वेक्षण दौरान हुई हिंसा को पूर्व नियोजित बताया गया है, जिसमें नेताओं की भूमिका है.
- आयोग ने संभल में हिंदू-मुस्लिम आबादी के अनुपात में बदलाव का उल्लेख करते हुए मुस्लिम आबादी 85 प्रतिशत बताई है.
Sambhal Violence Report: यूपी के संभल के पिछले साल नवंबर में हुई हिंसा के मामले में योगी सरकार की तरफ से गठित तीन सदस्यीय न्याय आयोग ने शासन को रिपोर्ट सौंप दी है. 450 पन्नों की इस रिपोर्ट में पिछले साल हुए संभल के दंगों के अलावा संभल के इतिहास में आज़ादी के बाद हुए दंगों का ज़िक्र किया गया है. साथ ही विवादित जामा मस्ज़िद के हरिहर मंदिर होने के तथ्यों का भी ज़िक्र इस रिपोर्ट में है. इसमें हिंदुओं की आबादी में बड़ी कमी आने की भी बात बताई गई है. पढ़ें इस जांच रिपोर्ट में क्या कुछ है-
जांच आयोग में कौन-कौन थे
न्यायिक आयोग में शामिल रिटायर्ड IPS एके जैन, रिटायर्ड IAS अमित मोहन प्रसाद और रिटायर्ड जस्टिस डीके अरोड़ा ने गुरुवार को CM को रिपोर्ट सौंपी है. इस रिपोर्ट में संभल हिंसा को लेकर स्थानीय अधिकारियों, हिंदू-मुस्लिम पक्ष और प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों को आधार बनाकर रिपोर्ट तैयार की गई है. साथ ही पुराने दंगों को लेकर दस्तावेज़ों को खंगालकर तथ्य निकाले गए हैं.
नवंबर की हिंसा पूर्व नियोजित थी
पिछले साल 24 नवंबर को जामा मस्ज़िद के सर्वे के दौरान जो हिंसा हुई, उसको लेकर कहा गया है कि ये पूर्व नियोजित था. रिपोर्ट में दावा है कि नमाज़ियों को उकसाने के लिए सांसद ज़ियाउर बर्क ने कहा था कि हम इस देश के मालिक हैं, बाक़ी सब ग़ुलाम. इसमें सांसद ज़िया-उर-रहमान बर्क, स्थानीय सपा विधायक के बेटे सुहैल इक़बाल और इंतेज़ामिया कमेटी के पदाधिकारियों की मुख्य भूमिका बताई गई है. जामा मस्जिद की इंतेज़ामिया कमेटी ने साजिश रची थी.
नेताओं ने भीड़ को उकसाया था
पिछले साल नवंबर में हुई हिंसा को लेकर न्यायिक आयोग का कहना है कि इसमें स्थानीय जनप्रतिनिधियों और नेताओं का बड़ा हाथ था. नवम्बर 2024 को सांसद ज़ियाउर रहमान बर्क ने जी बयान दिया था, उससे लोग उग्र हुए. बर्क़ ने तुर्कों को लेकर कहा था कि "हम इस देश के मालिक हैं". दावा है इसी के बाद पठान भड़क गए और हिंसा हुई. तुर्क और पठानों ने पुरानी रंजिश में दंगों के दौरान एक दूसरे को मारा गया. कन्वर्टेड हिन्दू पठानों ने सांसद बर्क के इस बयान का विरोध किया था.
सांसद बर्क़ के बयानों का ज़िक्र
संभल से समाजवादी पार्टी सांसद ज़ियाउर रहमान बर्क़ ने 22 नवंबर को जो बयान दिया था, उसे लोगों को उकसाने की बड़ी वजह मानी गई है. बर्क़ ने कहा था "मैं खुले रूप से कह रहा हूँ कि, मस्ज़िद थी, मस्ज़िद है, इंशा-अल्ला मस्ज़िद रहेगी कयामत तक. जिस तरह अयोध्या में हमारी मस्जिद ले ली गई, वैसा यहाँ नहीं होने देंगे”. उन्होंने ये भी कहा था कि ये देश तुर्कों का है, तुर्क देश के मालिक हैं और बाक़ी ग़ुलाम.
हिंदू-मुस्लिम की डेमोग्राफी बदल गई
शासन को सौंपी गई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि संभल नगर पालिका क्षेत्र में सिर्फ 15 प्रतिशत हिन्दू बचे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक आज़ादी के वक़्त संभल नगर पालिका क्षेत्र में 55% मुस्लिम और 45% हिंदू आबादी थी. वर्तमान में ये आंकड़ा 85-15 का हो गया है. यानी संभल नगर पालिका क्षेत्र में मुस्लिम आबादी 85 फ़ीसदी और हिंदू मात्र 15 प्रतिशत बचे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक़ दंगों और तुष्टिकरण की राजनीति ने डेमोग्राफी को बदला है.
हिंदूओं को निशाना बनाकर मारा गया
न्यायिक आयोग की रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 1947 यानी आज़ादी के बाद से नियोजित दंगों में सिर्फ हिंदुओं को निशाना बनाया गया है. पिछले साल नवंबर महीने में भी हिंदुओं को मारने की तैयारी की गई थी लेकिन हिंदू मुहल्लों में भारी सुरक्षा के इंतज़ामों की वजह से ऐसा नहीं हो सका. दंगा करने के लिए बलवाइयों को बाहर से बुलाया गया था.
संभल में आतंकियों के बड़े समर्थक
रिपोर्ट में संभल में बड़े आतंकी संगठनों से जुड़े लोगों के सम्भाल में सक्रिय होने की बात कही गई है. कहा गया है कि संभल कई सारे आतंकवादी संगठनों का अड्डा बन चुका है. अलकायदा, हरकत उल मुजाहिद्दीन जैसे आतंकवादी संगठन संभल में पैर पसार चुके हैं. अमेरिका ने मौलाना आसिम उर्फ सना उल हक को आतंकवादी घोषित किया था. इसके अलावा यहां अवैध हथियार और नारकोटिक्स गैंग पहले से सक्रिय हैं.
हरिहर मंदिर पर निकले साक्ष्य
तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का दावा है कि ऐतिहासिक दस्तावेज़ों को खंगालने पर पता चलता है कि जिस जगह आज जमा मस्ज़िद है, वहां बाबर से पहले हरिहर मंदिर होने के प्रमाण मिले हैं. दावा है कि एएसआई की सर्वे रिपोर्ट में कुछ ऐसे प्रमाण मिले हैं, जिससे हरिहर मंदिर होने के दावों को नकारा नहीं जा सकता.
संभल ने अबतक कितने दंगे झेले
संभल में आज़ादी के बाद से अब तक कुल 15 दंगों के बारे में बताया गया है. इसमें साल 1947, 1948, 1953, 1958, 1962, 1976, 1978, 1980, 1990, 1992, 1995, 2001 और 2019 में दंगे होने की बात कही गई है. इसमें कहा गया है कि साल 2024 में जो हुआ, वो तुर्कों और पठानों के बीच हुए विवाद से हुआ. भारी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की वजह से हिंदू-मुस्लिम का दंगा होने से बच गया.
संभल ने 73 दिन झेला कर्फ्यू
दंगों को झेलने वाले संभल ने अब तक 73 दिनों तक कर्फ्यू देखा है. साल 1936 से 2019 तक 73 दिन संभल में कर्फ्यू रहा. इसमें 2019 में सीएए उपद्रव के दौरान चार दिन का कर्फ्यू लगा था. 1948 में 20 दिन, 1958 में 2 दिन, 1976 में 7 दिन, 1978 में 30 दिन, 1992 में 8 दिन और 2019 में लगभग 6 दिन बाजार बंद रहे.
रिपोर्ट का आगे क्या होगा
सीएम योगी आदित्यनाथ को न्यायिक आयोग की तरफ़ से सौंपी गई रिपोर्ट की जो बातें निकलकर सामने आयीं हैं, वो सूत्र आधारित हैं. नियमों की बात करें तो सीएम योगी आदित्यनाथ पहले इस रिपोर्ट को ख़ुद पढ़ेंगे. इसके बाद वो अपने कैबिनेट मंत्रियों को इस रिपोर्ट की कॉपी देंगे ताकि वो इसके बारे में जान समझ सकें. इसके बाद सरकार अपने विवाद के आधार पर किसी विधानसभा सत्र में इस रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखकर सार्वजनिक करेगी.
संभल में कब-कब भड़का माहौल, कब-कब हुए दंगे
साल 1953 में हुए शिया-सुन्नी संघर्ष में कई की जान गई. इसके अलावा 1956, 1959 और 1996 में शहर में साम्प्रदायिक दंगे हुए. साथ ही साल 1962 में जनसंघ के पूर्व विधायक महेश गुप्ता पर मुस्लिमों ने चाकू मारकर हमला किया था, जिसमें वो घायल हुए और इसके बाद तत्पश्चात दंगे भड़के.
बात करें साल 1976 की तो मस्ज़िद कमेटी के झगड़े में एक मुस्लिम ने मौलवी को मारा गया और अफवाह उड़ाई कि एक हिंदू राजकुमार सैनी ने मौलवी को मारा. इसके बाद मुस्लिम दंगाइयों ने सूरजकुंड मंदिर व मानस मंदिर तोड़ दिया. इसके बाद दंगे भड़के और शहर संभल में 7 दिन कर्फ्यू लगा. फिर साल 1976 के दंगे में लिप्त करीब 2 दर्जन लोगों को 2006 में सपा शासनकाल में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने तब के आंदोलन (आपातकाल) का लोकतंत्र सेनानी घोषित किया था.
संभल में अवैध अतिक्रमण से मुक्त कराई गई भूमि
- योगी सरकार ने संभल में एक साल के अंदर हटाए हजार से ज्यादा अतिक्रमण
- 68 हेक्टेयर से ज्यादा अतिक्रमित जमीन मुक्त
- मुक्त भूमि में चकमार्ग, बंजर, तालाब और सड़क शामिल
- एक साल में 35 से ज्यादा अवैध धार्मिक स्थल भी हटाए गए, 2 हेक्टेयर से ज्यादा भूमि मुक्त
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