उत्तर प्रदेश विधानसभा में सोमवार को प्रदेश के विश्वविद्यालयों में अनियमितता का मामला उठा. सपा सदस्यों ने इस पर चर्चा कराने के लिए नियम 56 के तहत नोटिस दिया था. सपा सदस्यों ने आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों में पीडीए के लोगों के साथ भेदभाव किया जा रहा है. इस विषय पर चर्चा न कराए जाने के बाद सपा सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया. प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री ने सपा के सदस्यों के आरोपों को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि प्रदेश के विश्वविद्यालयों में होने वाली नियुक्तियों में आरक्षण के नियमों का पालन किया जा रहा है.
सपा विधायकों ने क्या आरोप लगाए हैं
विधानसभा में सपा के सचेतक संग्राम यादव और उप मुख्य सचेतक डॉक्टर आरके वर्मा ने नियम 56 के तहत उपवेशन की कार्यवाही स्थगित कर चर्चा कराने की मांग की थी.सपा विधायकों ने नोटिस में आरोप लगाया था कि विश्वविद्यालयों के कार्य परिषद में विश्वविद्यालय के कोर्ट की ओरे से सदस्यों का चुनाव नहीं हो रहा है. सपा सदस्यों ने इसे उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 का उल्लंघन बताया था. सपा विधायकों का कहना है कि इस वजह से विश्वविद्यालयों में होने वाली नियुक्तियों में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ भेदभाव किया जा रहा है. उनका आरोप है कि आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को नाट फाउंड सुटेबल बताकर बाहर कर दिया जा रहा है.
सपा की ओर से नियम 56 के तहत दिया गया नोटिस.
इस नोटिस में सपा विधायकों ने लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. सपा सदस्यों ने आरोप लगाया है कि विश्वविद्यालय में रिक्त पदों पर भर्ती न करके सेवानिवृत्त शिक्षकों से काम कराया जा रहा है.उनका आरोप है कि कुलपति इस तरह से अपने चहेते सेवानिवृत्त शिक्षकों को उपकृत कर रहे हैं. सदन में सपा के संग्राम यादव ने आरोप लगाया कि प्रदेश के 30 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों में 22 एक ही वर्ग के कुलपति हैं. उन्होंने कहा कि अगर यही हाल रहा तो पीडीए समाज के लोग कहां जाएंगे.
सरकार ने आरोपों को किया खारिज
सपा के सदस्य इस आरोप पर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि सपा के सदस्य भ्रमित नजर आ रहे हैं. उन्होंने तीन पुराने विश्वविद्यालयों का उदाहरण देते हुए कहा कि उनमें पीडीए को जगह दी गई है. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार 'सबका साथ, सबका विश्वास, सबका विकास' के आदर्श वाक्य से चल रही है. इसलिए कुलपतियों की नियुक्ति में इस भावना का पालन किया जाता है. उन्होंने कहा कि कुलपतियों का चयन राज्यपाल की ओर से किया जाता है. उन्होंने कहा कि शासन ने विश्वविद्यालयों के कार्य परिषद का चुनाव कराने के आदेश दिए जा चुके हैं. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय एक स्वायत्त संस्थान हैं, ऐसे में उनकी नियुक्तियां भी वही करते हैं. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में होने वाली नियुक्तियों में अनियमितता के आरोपों को वे कुलाधिपति कार्यालय को भेज देंगे. उन्होंने कहा कि सरकार उनसे अनुरोध करेगी कि वो इसकी जांच कराकर निर्णय लें.
ये भी पढ़ें: मैं नाम नहीं बताऊगा लेकिन...यूपी विधानसभा में पान मसाला थूकने वाले विधायक पर जब भड़के स्पीकर