यूपी में सपा-बसपा के बीच कोई खिंचड़ी पक रही है? क्या रंग लाएगा आभार-धन्यवाद का सिलसिला

उत्तर प्रदेश में जिस तरह से बसपा प्रमुख मायावती और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव एक दूसरे का आभार जता रहे हैं और धन्यवाद कर रहे हैं, उससे प्रदेश में एक नए समझौते के आकार लेने की उम्मीद पैदा हो रही हैं. आइए जानते हैं कि क्या है इसकी संभावना.

Advertisement
Read Time: 6 mins
नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश की राजनीति में कोई नई खिचड़ी पकती हुई नजर आ रही है. धुर राजनीतिक दुश्मन रहे अखिलेश यादव और मायावती एक दूसरे का धन्यवाद करते हुए और आभार जताते हुए नजर आ रहे हैं. इससे कयास लगाए जाने लगे हैं कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी विधानसभा उपचुनाव से पहले एक बार फिर एक हो सकते हैं. दरअसल हाल ही में बीजेपी के एक विधायक की मायावती पर की गई टिप्पणी की अखिलेश यादव ने कड़ी आलोचना की है. अखिलेश की इस टिप्पणी पर मायावती ने उनका आभार जताया है.

क्या फिर करवट ले रही है यूपी की राजनीति

मायावती की ओर से शनिवार को जताए गए आभार पर अखिलेश यादव ने सोमवार को आभार जताया.उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा,''सच तो ये है कि ये आभार उन लोगों का है जो पिछले दो दिनों से अपने मान-सम्मान की रक्षा के लिए सड़कों पर उतरकर अपना सक्रिय विरोध दर्शा रहे हैं. इस विरोध का मूल कारण है, बीजेपी के एक विधायक की ओर से शोषित-वंचित समाज की एक सम्मानित भूतपूर्व महिला मुख्यमंत्री जी का सरेआम किया गया अपमान.'' 

Advertisement

उन्होंने  लिखा है, ''सदियों से समाज के प्रभुत्ववादियों द्वारा किए जा रहे मानसिक-शारीरिक-आर्थिक-सामाजिक उत्पीड़न के खिलाफ आज उपेक्षित व तिरस्कृत समाज के लोगों में यह जो नई चेतना आई है,उसकी एकता और एकजुटता आने वाले कल का सुनहरी समतावादी-समानतावादी इतिहास लिखेगी.ये एक शुभ संकेत है कि पीडीए समाज अब प्रभुत्ववादी सत्ताधीशों के विभाजनकारी खेल को समझने लगा है. चंद लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर, ये विघटनकारी सत्ताधारी भले कुछ लोगों को हाथ पकड़कर कुछ भी कहने-लिखने पर मजबूर कर लें परंतु मन से वो 'कुछ मजबूर लोग' भी हमारे ही साथ हैं क्योंकि ऐसे मजबूर लोग भी जानते हैं कि ये प्रभुत्ववादी कभी उनके भले के बारे में सोच भी नहीं सकते हैं.सदियों से शोषित-वंचित समाज के 99 फीसदी लोग, अब पीडीए में ही अपना सुनहरा भविष्य देख रहे हैं.

Advertisement

अखिलेश यादव की पीडीए की उम्मीदें

उन्होंने लिखा है, ''90 फीसदी में 99 फीसदी जागरण आ गया है. पीडीए समाज में आया ये जागरण राजनीतिक दलों की सीमाएं तोड़कर मान-सम्मान की लड़ाई लड़ रहे पीडीए से जुड़ गया है, जो जुड़ने शेष हैं, वो भी आने वाले समय में शेष नहीं रहेंगे.समाज की 90 फीसदी जनसंख्या अर्थात पीडीए का आपस में 100 फीसदी जुड़ जाना ही, सामाजिक न्याय की क्रांति होगा. ये एकता, हमख़्याली और इत्तिहाद ही सैकड़ों सालों से चली आ रही नाइंसाफी को खत्म करेगा.पीडीए ही शोषित-वंचित का भविष्य है। हम एक हैं, एक रहेंगे.पीडीए एकता जिंदाबाद!''

Advertisement

धन्यवाद और आभार का सिलसिला

धन्यवाद और आभार जताने का यह सिलसिला शुरू हुआ बीजेपी विधायक राजेश चौधरी की एक टिप्पणी को लेकर.मथुरा जिले की मांट विधानसभा क्षेत्र के विधायक राजेश चौधरी ने एक टीवी चैनल पर कहा था,''मायावती जी चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं हैं. इसमें कोई संदेह नहीं है और पहली बार हमने (बीजेपी) ही (उन्हें मुख्यमंत्री) बनाया था.यह गलती हमने ही की थी.'' उन्होंने यह भी कहा था,''उत्तर प्रदेश में यदि कोई सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री हुआ है तो उनका नाम है मायावती.'' 

Advertisement

अखिलेश यादव ने की थी बीजेपी विधायक की निंदा

बीजेपी विधायक के इस टिप्पणी पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने घोर निंदनीय बताया. अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा था,''उत्तर प्रदेश के एक भाजपा विधायक द्वारा राज्य की एक पूर्व महिला मुख्यमंत्री जी (मायावती) के प्रति कहे गए अभद्र शब्द दर्शाते हैं कि भाजपा नेताओं के मन में महिलाओं और खासतौर से वंचित-शोषित समाज से संबंध रखने वालों के प्रति कितनी कटुता भरी है.राजनीतिक मतभेद अपनी जगह होते हैं, लेकिन एक महिला के रूप में उनका मान-सम्मान खंडित करने का किसी को भी अधिकार नहीं है.भाजपा नेता कह रहे हैं कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाकर हमने गलती की थी, यह भी लोकतांत्रिक देश में जनमत का अपमान है और बिना किसी आधार के ये आरोप लगाना भी बेहद आपत्तिजनक है कि वह सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री थीं.'' सपा प्रमुख ने मांग की है कि सार्वजनिक रूप से दिए गए इस बयान के लिए भाजपा के विधायक के खिलाफ मानहानि का मुकदमा होना चाहिए. 

अखिलेश यादव के इस ट्वीट पर मायावती ने उनका आभार जताया. उन्होंने एक्स पर लिखा,''सपा मुखिया ने मथुरा जिले के एक भाजपा विधायक को उनके गलत आरोपों का जवाब देकर बसपा प्रमुख के ईमानदार होने के बारे में सच्चाई को माना है.उसके लिए पार्टी आभारी है.'' 

मायावती और अखिलेश में फिर गठबंधन की संभावना

बसपा प्रमुख पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया पर लगातार सक्रिय हैं.वो राजनीतिक समाजिक मसलों पर लगातार टिप्पणियां कर रही है.बसपा उत्तर प्रदेश में अपने घटते जनाधार से परेशान है.अपने खोए जनाधार को वापस पाने के लिए वह नित नए कार्यक्रम कर रही है. मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर और अपने उत्तराधिकारी के पद से हटा दिया था. लेकिन चुनाव में शून्य मिलने के बाद उनके पदों को फिर बहाल कर दिया गया है.आकाश अब फिर पहले जैसे ही सक्रिय हो गए हैं. पिछले कुछ दिनों की गतिविधियों से इस बात के संकेत मिलने लगे हैं कि सपा और बसपा में फिर एक हो सकते हैं. पहली बार जब 1993 में ये दोनों दल एक हुए थे तो उत्तर प्रदेश की राजनीति को बदल दिया था. इसके बाद गेस्ट हाउस कांड की वजह से दोनों की राहें जुदा हो गई थीं.गेस्ट हाउस कांड को भुलाकर दोनों 2019 के लोकसभा में एक साथ आए थे. इससे सपा को बहुत अधिक सफलता नहीं मिली लेकिन बसपा लोकसभा में शून्य से 10 पर पहुंच गई थी. 

उत्तर प्रदेश में पीडीए की सफलता

2022 के विधानसभा चुनाव के बाद अखिलेश यादव ने पीडीए (पिछड़े-दलित-अल्पसंख्यक) का फार्मूला ईजाद किया. इसका असर यह हुआ कि सपा ने इस साल हुए लोकसभा चुनाव में अपना अबतक का सबसे शानदार प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन ने बीजेपी को केंद्र में अपने दम पर सरकार से बनाने से रोक दिया.

संसद भवन परिसर में फैजाबाद से सांसद अवधेश प्रसाद के साथ अखिलेश यादव.

इस प्रदर्शन से अखिलेश यादव उत्साहित हैं. उन्हें लग रहा है कि 2027 के चुनाव से पहले बसपा अगर एक बार फिर उनके साथ आ जाए तो बीजेपी को सत्ता से आसानी से हटाया जा सकता है. दोनों दलों के साथ आने की अटकलें लोकसभा चुनाव के समय से ही लगाई जा रही हैं.किसी वजह से यह समझौता लोकसभा चुनाव में नहीं हो पाया था.यूपी की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव से पहले एक बार फिर दोनों दलों में समझौते की अटकलें हैं. अगर यह समझौता हो जाता है तो बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ जाएंगी, जिसके माथे पर लोकसभा चुनाव के बाद से ही चिंता की लकीरें हैं. 

ये भी पढ़ें: Exclusive: हरियाणा में कांग्रेस इतनी कॉन्फिडेंट क्यों? भूपेंद्र हुड्डा ने पार्टी में गुटबाजी पर भी दिया जवाब

Featured Video Of The Day
America हो या Russia, Israel हो या Palestine सबका सर्वोच्च सम्मान मोदी को मिलने के पीछे क्या है वजह?
Topics mentioned in this article