समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने शुक्रवार को कहा कि तृणमूल कांग्रेस (TMC) प्रमुख और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के नेतृत्व वाले वैकल्पिक विपक्षी मोर्चे में शामिल होने का विकल्प खुला है. अगले साल होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा को चुनौती देने के लिए एक मंच बनाने में व्यस्त अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टी का "सफाया" हो जाएगा, जैसा कि बंगाल चुनावों में ममता बनर्जी ने उनका सफाया कर दिया था.
यादव ने बुंदेलखंड के झांसी में संवाददाताओं से कहा, "मैं उनका स्वागत करता हूं. जिस तरह से उन्होंने बंगाल में भाजपा का सफाया किया... उत्तर प्रदेश के लोग भी उसी तरह भाजपा का सफाया कर देंगे."
जब रिपोर्टर ने उनसे ममता के वैकल्पिक मोर्चे की बात की तो उन्होंने कहा, "जब सही समय आएगा तब हम इसके बारे में बात करेंगे." यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री ने कांग्रेस को भी खारिज कर दिया और कहा, "जनता उन्हें वोट नहीं देगी... और आगामी चुनावों में उन्हें 0 सीटें मिलेंगी."
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उन्होंने प्रियंका गांधी वाड्रा के कटाक्ष पर भी पलटवार किया. गुरुवार को पश्चिमी यूपी के मुरादाबाद में एक रैली में प्रियंका गांधी ने अखिलेश यादव पर आरोप लगाते हुए कहा था कि जब लखीमपुर खीरी में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे ने किसानों को अपनी गाड़ी के नीचे रौंदा तो यादव कहां गायब थे. मिश्रा के आरोपी बेटे आशीष मिश्रा इस मर्डर केस में कथित रूप से शामिल होने के आरोप में इन दिनों जेल में बंद हैं.
अखिलेश यादव ने इसी महीने एनडीटीवी को बताया था, "उत्तर प्रदेश ने कांग्रेस को खारिज कर दिया है." उन्होंने कहा, "दोनों दलों ने 2017 में एक साथ काम किया था लेकिन हमारा अनुभव अच्छा नहीं रहा."
यादव ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन किए गए पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे को लेकर भी भाजपा पर निशाना साधा. उन्होंने दावा किया कि भाजपा उनकी पार्टी द्वारा शुरू की गई परियोजनाओं का श्रेय ले रही है. उन्होंने कहा, "अगर समाजवादी पार्टी 22 महीने में एक्सप्रेसवे बना सकती है तो बीजेपी को उसी काम को करने में 4.5 साल क्यों लगे? ऐसा इसलिए है क्योंकि वे यूपी में लोगों के कल्याण के लिए काम नहीं करना चाहते हैं."
अखिलेश यादव यूपी चुनाव से पहले राज्य के पूर्वी हिस्से में क्षेत्रीय दलों को आत्मसात कर एक "इंद्रधनुषीय" गठबंधन बनाने की कोशिश कर रहे हैं. इसके अलावा वह पश्चिमी यूपी में किसानों के वोटों पर भी निर्भर हैं.
उनके और तृणमूल कांग्रेस के बीच एक लिंक-अप की चर्चा दोनों दलों द्वारा कांग्रेस पर कटाक्ष किए जाने के बाद जोर पकड़ रही है. कई लोग अंदाजा लगा रहे हैं कि कांग्रेस विपक्षी दल की भूमिका से भी हाथ धो सकती है. समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस ने बंगाल चुनावों में भी मैत्रीपूर्ण टिप्पणियों का आदान-प्रदान किया था, जब यादव ने कहा था कि उनकी पार्टी तृणमूल की ओर से प्रचार करेगी.
बंगाल में भाजपा को हराने के बाद से ममता बनर्जी, जोर-शोर से पार्टी का प्रसार करने में जुटी हैं. इस दौरान कई नेता कांग्रेस छोड़कर TMC में शामिल हो चुके हैं. उन्होंने इसी सप्ताह मुंबई में एनसीपी प्रमुख शरद पवार और महाराष्ट्र के मंत्री आदित्य ठाकरे से भी मुलाकात की थी , जो मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे हैं.
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इस दौरान बनर्जी ने कांग्रेस नीत गठबंधन यूपीए को लेकर बड़ा बयान दिया था. उन्होंने कहा, 'UPA क्या होता है? कोई यूपीए नहीं है." इससे भी बुरी बात यह रही कि पिछले महीने दिल्ली में उन्होंने इस बात का उपहास उड़ाया कि हर बार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से क्यों मिलना चाहिए? कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने यूपीए की "आत्मा" के रूप में पार्टी की स्थिति को रेखांकित करते हुए कहा कि बिना कांग्रेस विपक्ष की कल्पना मुश्किल है. बीजेपी के सत्ता में आने से पहले कांग्रेस दस साल तक केंद्र की सत्ता में थी.