दमोह से अयोध्या तक 566 किलोमीटर अपनी जटाओं से भगवान राम का रथ खींचकर ले जा रहे संत

संत बद्री 22 जनवरी को होने वाले रामलला के भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए मध्य प्रदेश के दमोह से अयोध्या तक की 566 किलोमीटर लंबी यात्रा कर रहे हैं.

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संत बद्री ने अपनी यात्रा 11 जनवरी को शुरू की थी और वे रोज 50 किलोमीटर सफर करते हैं.
रायबरेली:

जैसे-जैसे अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन की तारीख 22 जनवरी समीप आती जा रही है, श्रद्धालु अलग-अलग तरीकों से भगवान राम के प्रति अपनी श्रद्धा का प्रदर्शन करते दिख रहे हैं. भगवान राम के प्रति असीम श्रद्धा रखने वाले मध्य प्रदेश के दमोह के संत बद्री भगवान राम के रथ के प्रतीक एक वाहन को अपने बालों से बांधकर खींचते हुए अयोध्या तक की यात्रा कर रहे हैं.

संत बद्री 22 जनवरी को होने वाले रामलला के भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए मध्य प्रदेश के दमोह से अयोध्या तक की 566 किलोमीटर लंबी यात्रा कर रहे हैं.उन्होंने 11 जनवरी को अपनी यात्रा शुरू की और वे हर दिन करीब 50 किलोमीटर की दूरी तय कर रहे हैं.

संत बद्री शुक्रवार को देर रात में फतेहपुर से रायबरेली पहुंचे. यहां उन्होंने विश्राम किया. अपने प्रवास के दौरान उन्होंने शहर के कई मंदिरों का दौरा किया. शहर के बेहटा चौराहे पर स्थित हनुमान मंदिर परिसर से उन्होंने अपनी आगे की यात्रा शुरू की.

संत बद्री ने 1992 में प्रण लिया था कि अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर के निर्माण और रामलला की मूर्ति की स्थापना के बाद वे अपनी जटाओं से राम का रथ खींचकर अयोध्या जाएंगे.

संत बद्री ने कहा, "सनातन धर्म है तो सब कुछ है. नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ के बिना राम मंदिर संभव नहीं होता."

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अयोध्या में गुरुवार को राम मंदिर में रामलला की मूर्ति को मंदिर के गर्भगृह में रखा गया. 

रामलला की मूर्ति कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाई है. मूर्ति 51 इंच लंबी है और इसका वजन 1.5 टन है. मूर्ति भगवान राम की पांच साल के बाल रूप की है. उसमें वे पत्थर पर खड़े नजर आ रहे हैं. पूरी मूर्ति एक ही पत्थर से बनी है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'प्राण प्रतिष्ठा' के लिए अनुष्ठान करेंगे. लक्ष्मीकांत दीक्षित के नेतृत्व में पुजारियों की एक टीम मुख्य अनुष्ठान करेगी. समारोह में कई मशहूर हस्तियों को आमंत्रित किया गया है.

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