विदेशमंत्री एस जयशंकर ने सोलर पावर में भारत के नेतृत्व करने से जुड़े सवाल पर दिया ये जवाब

विदेशमंत्री एस जयशंकर ने कहा कि जलवायु का मुद्दा बदतर होता जा रहा है. यह कोई अलग विभाग नहीं है. जलवायु आपदाएं नियमित रूप से हो रही हैं और एक प्रमुख आर्थिक व्यवधान बन गई हैं. यदि जलवायु परिवर्तन से आपूर्ति श्रृंखला बाधित होती है, पूरी अर्थव्यवस्था ख़तरे में पड़ जाएगी.

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एनडीटीवी के कार्यक्रम में एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया के साथ विदेश मंत्री एस जयशंकर.

नई दिल्ली:

DecodingG20WithNDTV : विदेशमंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भारत को बातचीत से कोई आपत्ति नहीं है. भारत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के अपने प्रयासों में उदाहरण पेश किया है. एनडीटीवी के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया (Sanjay Pugalia) ने विदेशमंत्री एस जयशंकर के साथ विशेष साक्षात्कार में भारत के सोलर पावर के क्षेत्र में नेतृत्व से जुड़ा सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन के मामले में दुनिया के सामने उदाहरण पेश कर रहा है. 

कई पश्चिमी देश बिना यह जाने कि भारत क्या-क्या कदम उठा रहा है जिससे सौर ऊर्जा के क्षेत्र में नंबर एक राष्ट्र बन सके, भारत को लेक्चर देते रहते हैं, इस सवाल पर एस जयशंकर ने कहा कि मैं इस बात से सहमत हूं कि जो लोग उपदेश देते हैं, वे उस पर अमल नहीं करते हैं. हमें अपने कार्यों से दुनिया को दिखाना है. हालांकि, उन्होंने कहा कि वह बातचीत के खिलाफ नहीं हैं क्योंकि बहस और चर्चा ही चीजों को आगे बढ़ाने का तरीका है.

विदेश मंत्री ने कहा, "लेकिन हमें जो करना चाहिए वह अपने कार्यों के माध्यम से और अपने उदाहरण के माध्यम से करना है... जब भारत नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग बढ़ाता है, जब हम प्रदर्शित करते हैं कि एलईडी बल्बों के उपयोग के माध्यम से कितना बड़ा बदलाव हो सकता है, हम विद्युत गतिशीलता के बारे में भी गंभीरता से बात कर रहे हैं. तो हमें अपने कार्यों के माध्यम से दुनिया को दिखाना होगा.”

हालांकि, उन्होंने कहा कि वह बातचीत के खिलाफ नहीं हैं क्योंकि बहस और चर्चा ही चीजों को आगे बढ़ाने का तरीका है.

उन्होंने कहा,  "हमें बहस के मंचों पर बात करनी है, हमें वहां युद्ध का मैदान नहीं बनाना चाहिए. पेरिस में, यह निर्णय लिया गया था कि 100 बिलियन डॉलर की वार्षिक प्रतिबद्धता होगी. ऐसा नहीं हुआ है, लेकिन हमें इसे दोहराते रहना होगा ताकि लोगों को शर्म आए, उनका फर्ज याद दिलाना है . उन्हें बताना होगा कि यह उनका वादा था और उन्होंने इसे पूरा नहीं किया है. इसलिए, हम यहां हैं, हम अकेले नहीं हैं, हमारे साथ 125 देश हैं, जिन्हें हम ग्लोबल साउथ की आवाज कहते हैं."

जयशंकर ने कहा कि भारत एक विकासशील देश है और चूंकि यह जी20 का सदस्य है, इसलिए वैश्विक दक्षिण की आवाज बनना इसकी जिम्मेदारी है.

उन्होंने जोर देकर कहा कि यह कोई जिम्मेदारी नहीं है जो भारत ने खुद को सौंपी है, बल्कि 125 देशों से परामर्श किया है.

उन्होंने कहा कि किसी अन्य ने जी20 अध्यक्ष ने 125 देशों से बात करने और उनसे यह पूछने की कोशिश नहीं की कि उनकी चिंताएं क्या हैं, क्योंकि वे बातचीत की मेज पर नहीं हैं.

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जयशंकर ने कहा, "इसलिए उनकी ओर से मुद्दों को सामने रखना बहुत जरूरी है और खासकर जब जलवायु की बात आती है, क्योंकि जलवायु की स्थिति खराब होती जा रही है. हम इसे अपने देश, अपने पड़ोस, दुनिया भर में देख रहे हैं. यह कोई अलग विभाग नहीं है. हमें याद रखना होगा कि यह एक वैश्वीकृत दुनिया है. आज, जलवायु आपात स्थिति, जलवायु आपदाएं, क्योंकि वे अधिक नियमित रूप से, अधिक भयावह रूप में हो रही हैं, वे एक प्रमुख आर्थिक व्यवधान बन गई हैं.''

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जयशंकर ने कहा, आज वैश्वीकरण जिस तरह से है, उसमें एक समस्या यह है कि चीजों का उत्पादन अलग-अलग स्थानों पर होता है और यदि जलवायु कारकों के कारण आपूर्ति श्रृंखला बाधित होती है, तो जलवायु परिवर्तन से घटनाओं से पूरी अर्थव्यवस्था खतरे में पड़ सकती है.