क्या देश के लिए सिर्फ़ 'भारत' शब्द का इस्तेमाल किया जाएगा? क्या मोदी सरकार 18 सितंबर से शुरू हो रहे संसद के विशेष सत्र में संविधान से INDIA शब्द को हटाने की योजना बना रही है? ये अटकलें लगनी शुरू हुई हैं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के एक निमंत्रण पत्र और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के एक बयान से. सत्ता के गलियारों में अटकलें तेज हैं. इस बीच विपक्षी दलों की टिप्पणियों पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि संविधान में इंडिया दैट इज भारत का उल्लेख है.
न्यूज एजेंसी एएनआई को दिये इंटरव्यू में एस. जयशंकर ने कहा कि 'भारत' शब्द का अर्थ संविधान में भी परिलक्षित होता है. इंडिया जो भारत है, यह संविधान में लिखा है. कृपया, मैं सभी को इसे पढ़ने के लिए आमंत्रित करूंगा. केंद्रीयय मंत्री से विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया के बारे में पूछा गया था और क्या सरकार जी20 शिखर सम्मेलन के साथ देश को भारत के रूप में प्रतिस्थापित करने जा रही है. एस. जयशंकर ने कहा, "देखिए जब आप भारत कहते हैं, तब उसका एक अर्थ और एक समझ उसके साथ आती है और वह हमारे संविधान में भी प्रतिबिंबित होता है."
विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि सरकार "नाटक" का सहारा सिर्फ इसलिए ले रही है, क्योंकि उन्होंने एकजुट होकर अपने गठबंधन को INDIA कहा है. हालांकि, बीजेपी नेताओं ने सरकार के इस कदम का पुरजोर समर्थन किया है. केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 'एक्स' पर राष्ट्रपति की ओर से रात्रिभोज के निमंत्रण की तस्वीर पोस्ट की और राष्ट्रगान की कुछ पंक्तियां लिखीं. उन्होंने कहा , "यह पहले ही हो जाना चाहिए था. इससे मन को बहुत संतुष्टि मिलती है. 'भारत' हमारा परिचय है. हमें इस पर गर्व है. राष्ट्रपति ने 'भारत' को प्राथमिकता दी है. यह औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर आने वाला सबसे बड़ा बयान है."
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस मुद्दे पर कई पोस्ट किए. उन्होंने लिखा, "तो यह खबर वास्तव में सच है. राष्ट्रपति भवन ने 9 सितंबर को जी20 रात्रिभोज के लिए सामान्य 'भारत के राष्ट्रपति' के बजाय 'भारत के राष्ट्रपति' के नाम पर निमंत्रण भेजा है. अब, संविधान में अनुच्छेद 1 पढ़ सकता है: "भारत, जो भारत था, राज्यों का एक संघ होगा." लेकिन अब इस "राज्यों के संघ" पर भी हमला हो रहा है."
जयशंकर ने देश के विभिन्न हिस्सों में जी20 कार्यक्रम आयोजित करने के सरकार के प्रयासों के बारे में भी बात की और कहा कि यह आवश्यक है कि आज का भारत तीव्र वैश्विक जागरूकता विकसित करे.
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