चीन-पाकिस्तान का खतरा, परमाणु युद्ध और रूस-भारत की दोस्ती पर विदेश मंत्री जयशंकर का जवाब

India Pakistan War: विदेश मंत्री ने कहा कि 10 मई को भारत और पाकिस्तान तीन दिनों तक सीमा पार संघर्ष के बाद युद्ध विराम पर सहमत हुए. भारत ने 7 मई को पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने के लिए पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ढांचे पर हवाई हमले किए.

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विदेश मंत्री ने सारे भ्रम दुनिया के दूर कर दिए.

India Pakistan Conflict: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान क्या भारत-पाकिस्तान परमाणु युद्ध की कगार पर थे? जर्मनी की एक पत्रकार के सवाल के जवाब में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने पश्चिम की इस धारणा की ओर इशारा करते हुए कहा कि दक्षिण एशिया में जो कुछ भी होता है, उसका सीधा संबंध आप लोग परमाणु संकट से कर देते हैं. जब उनसे पूछा गया कि "परमाणु संघर्ष से दुनिया कितनी दूर है", तो डॉ. जयशंकर ने कहा कि वे इस सवाल से "हैरान" हैं. उन्होंने कहा, "बहुत, बहुत दूर. मैं आपके सवाल से वाकई हैरान हूं. हमारे टारगेट पर आतंकवादी  हैं. हमने बहुत ही सोच-समझकर कदम उठाए थे, ये सावधानी से सोचे गए थे और तनाव बढ़ाने वाले नहीं थे. उसके बाद, पाकिस्तानी सेना ने हम पर गोलीबारी शुरू कर दी. हम उन्हें यह दिखाने में सक्षम थे कि हम उनकी वायु रक्षा प्रणालियों को निष्क्रिय कर सकते हैं. फिर उनके अनुरोध पर गोलीबारी बंद हो गई."

क्या भारत-पाकिस्तान परमाणु युद्ध के करीब

जर्मन अख़बार फ्रैंकफर्टर अलगेमाइन ज़ितुंग के इंटरव्यू लेने वाली पत्रकार से विदेश मंत्री ने कहा, "स्थिति किसी भी समय परमाणु युद्ध के स्तर तक नहीं पहुंची. एक कहानी है कि दुनिया के हमारे हिस्से में जो कुछ भी होता है, वह सीधे परमाणु समस्या की ओर ले जाता है. यह बात मुझे बहुत परेशान करती है, क्योंकि यह आतंकवाद जैसी भयानक गतिविधियों को बढ़ावा देती है. अगर कुछ है, तो वह यह कि दुनिया के आपके हिस्से में परमाणु मुद्दे के साथ और भी बहुत कुछ हो रहा है."

भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर कैसे हुआ

अमेरिकी राष्ट्रपति से मध्यस्तता के दावों को लेकर सवाल और पाकिस्तान की तरह थैंक यू भारत की तरफ से नहीं बोले जाने को लेकर जब पूछा गया तो विदेश मंत्री ने कहा कि 10 मई को भारत और पाकिस्तान तीन दिनों तक सीमा पार संघर्ष के बाद युद्ध विराम पर सहमत हुए. भारत ने 7 मई को पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने के लिए पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ढांचे पर हवाई हमले किए. भारत ने जोर देकर कहा कि ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य आतंकी ठिकानों को नष्ट करना था, लेकिन पाकिस्तान ने भारत के सैन्य प्रतिष्ठानों और नागरिक क्षेत्रों पर सैकड़ों ड्रोन दागकर जवाब दिया. जवाबी कार्रवाई में भारत ने पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया, जिससे भारी नुकसान हुआ. इसके तुरंत बाद, पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों ने अपने भारतीय समकक्षों से संपर्क किया और युद्ध विराम पर सहमति बनी.

अमेरिका को थैंक यू क्यों नहीं

विदेश मंत्री ने आगे कहा कि तो, शत्रुता समाप्त करने के लिए मुझे किसे धन्यवाद देना चाहिए? मैं भारतीय सेना को धन्यवाद देता हूं क्योंकि यह भारतीय सैन्य कार्रवाई ही थी, जिसने पाकिस्तान को यह कहने पर मजबूर कर दिया: हम रुकने के लिए तैयार हैं." अमेरिका सहित कई देशों के साथ उस समय भारत बात कर रहा था और ये हर तनावपूर्ण समय में हर देश करता ही है. एक अलग इंटरव्यू में विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिका के विदेश मंत्री और उपराष्ट्रपति से बात हुई थी, लेकिन उनकी भूमिका चिंता व्यक्त करने तक ही सीमित थी. उन्होंने कहा, "हमने हमसे बात करने वाले सभी लोगों को, न केवल संयुक्त राज्य अमेरिका को बल्कि सभी को एक बात बहुत स्पष्ट रूप से बता दी थी कि अगर पाकिस्तान लड़ाई बंद करना चाहता है, तो उसे हमें बताना होगा. हमें उनसे यह सुनना होगा. उनके जनरल को हमारे जनरल को फोन करके यह कहना होगा. और यही हुआ."

Advertisement

चीन की भारत-पाकिस्तान सीजफायर में भूमिका

जयशंकर से यह भी पूछा गया कि क्या चीन ने इस संघर्ष में कोई भूमिका निभाई है? उन्होंने कहा, "आप जानते हैं कि पाकिस्तान के पास मौजूद कई हथियार प्रणालियां चीन की हैं और दोनों देश बहुत करीब हैं. आप इससे अपने निष्कर्ष निकाल सकते हैं." डॉ. जयशंकर ने इस सवाल पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी कि रूस और यूक्रेन में युद्ध पर भारत और जर्मनी के अलग-अलग रुख क्यों हैं और नई दिल्ली मॉस्को के साथ घनिष्ठ साझेदारी क्यों बनाए हुए है?

Advertisement

यूरोप को जयशंकर का तगड़ा जवाब

विदेश मंत्री ने जवाब दिया, "रिश्ते इसलिए नहीं बनते क्योंकि एक साथी दूसरे की चिंताओं को अपना मान लेता है. रिश्ते बराबर की जमीन तलाशने पर बनते हैं. यूरोप में आपके लिए, एशिया में मेरे लिए अलग-अलग चिंताएं और परेशानियां ज़्यादा महत्वपूर्ण हैं. जब आप संघर्ष के बारे में सोचते हैं, तो आप यूक्रेन के बारे में सोचते हैं. जब मैं संघर्ष के बारे में सोचता हूं, तो मैं पाकिस्तान, आतंकवाद, चीन और हमारी सीमाओं के बारे में सोचता हूं. हमारा नज़रिया एक जैसा नहीं हो सकता." साक्षात्कारकर्ता ने एक जवाबी सवाल पूछा: "लेकिन एक तेज़ी से बहुध्रुवीय दुनिया में, निश्चित रूप से हम इस बात पर सहमत हो सकते हैं कि खेल के नियमों की निगरानी के लिए अंतर्राष्ट्रीय कानून का महत्व बढ़ रहा है? और रूस इसका उल्लंघन कर रहा है?"

Advertisement

रूस को लेकर जयशंकर ने सुना दिया

डॉ. जयशंकर ने जवाब दिया, "जैसे ही आप कोई नियम या मानदंड लागू करते हैं, यह फिर से उस स्थिति से जुड़ जाता है, जो आपकी प्राथमिकता है. आप नियमों की बात करते हैं और यूक्रेन के बारे में सोचते हैं. मैं नियमों की बात करता हूं और मैं अपनी सीमाओं के बारे में सोचता हूं, पाकिस्तान के बारे में, जिसने मेरी सीमाओं का उल्लंघन किया है, और चीन के बारे में, जिसने भी ऐसा ही किया है. इसलिए जब आप सीमाओं और क्षेत्रीय अखंडता के बारे में बात करते हैं, तो मैं आपसे पूछता हूं: मेरी सीमाओं के बारे में क्या?" साक्षात्कारकर्ता के दबाव डालने पर मंत्री ने कहा, "मेरे पड़ोसी पाकिस्तान ने दुनिया में हर संभव समस्या पैदा की है, परमाणु हथियार बनाने से लेकर गैर-जिम्मेदार साझेदारों को परमाणु प्रौद्योगिकी हस्तांतरित करने और आतंकवाद तक, लेकिन क्या जर्मनी भी पाकिस्तान के साथ व्यापार नहीं करता है?"

Advertisement
Featured Video Of The Day
Bihar Election 2025: आज बिहार को सौगात देंगे PM Modi, Patna में करेंगे रोड शो | Do Dooni Char