रूस ने भारत सरकार से हेट्रो बायोफार्मा से उत्पादित स्पूतनिक लाइट टीके के निर्यात की इजाजत मांगी

रूस के राजदूत ने कहा कि उनके देश को टीके की खुराक का तब तक निर्यात करने की अनुमति दी जाए जब तक भारतीय औषधि नियामक इसे यहां आपात इस्तेमाल के लिए अधिकृत न कर दे

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प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

रूस के राजदूत ने भारत सरकार का आह्वान किया है कि वह हेट्रो बायोफार्मा द्वारा उत्पादित कोविड-19 टीके की एकल खुराक वाली स्पूतनिक लाइट के निर्यात की अनुमति दे. हेट्रो टीका उत्पादन के लिए आरडीआईएफ के साझेदारों में है. राजदूत ने कहा कि उनके देश को टीके की खुराक का तब तक निर्यात करने की अनुमति दी जाए जब तक भारतीय औषधि नियामक इसे यहां आपात इस्तेमाल के लिए अधिकृत न कर दे.

सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार को लिखे पत्र में रूस के राजदूत निकोले कुदाशेव ने कहा कि हेट्रो बायोफार्मा लिमिटेड पहले ही स्पूतनिक- V की 10 लाख खुराक और स्पूतनिक लाइट की 20 लाख खुराकों को बनाने में इस्तेमाल अवयव-1 को तैयार कर चुकी है, लेकिन अधिकतम छह महीने तक इन्हें रखने की अवधि इसके पंजीकरण से पहले ही खत्म हो सकती है जिसका नतीजा इन खुराकों की बर्बादी होगी.

उल्लेखनीय है कि स्पूतनिक लाइट में भी स्पूतनिक-V के अवयव-1 का ही इस्तेमाल होता है. सूत्रों ने बताया कि हाल में इस मुद्दे पर अधिकार प्राप्त समूह-5 में चर्चा हुई थी जिसके बाद इसे कोविड-19 के लिए टीका प्रशासन पर गठित राष्ट्रीय विशेष समूह के उप समूह को विचार के लिए भेज दिया गया ताकि विशेषज्ञ इस प्रस्ताव पर मंथन कर सके.

सूत्रों ने बताया कि पिछले महीने राजदूत द्वारा लिखे पत्र में कहा कि कुछ महीनों से रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (आरडीआईएफ) भारत में स्पूतनिक टीके के उत्पादन को बढ़ाने के लिए भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रहा है जिनका इस्तेमाल स्थानीय और वैश्विक बाजार में किया जा सकता है. इस समय आरडीआईएफ डॉ.रेड्डी लैब के साथ मिलकर भारत में स्पूतनिक लाइट का पंजीकरण कराने के लिए संबंधित अधिकारियों के साथ काम कर रहा है.

कोविड-19 के लिए टीका प्रशासन पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह के अध्यक्ष वीके पॉल को लिखी चिट्ठी में राजदूत ने कहा, ‘‘ हेट्रो बायोफार्मा लिमिटेड प्रमुख भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनियों में से है और स्पूतनिक लाइट के उत्पादन में आरडीआईएफ का साझेदार है जिसने पहले ही 10 लाख स्पूतनिक-V की खुराकों और 20 लाख स्पूतनिक लाइट खुराकों के लिए अवयव-1 तैयार कर ली है और आगे भी उत्पादन जारी रखने की मंशा रखती है.''

उन्होंने कहा, ‘‘इन टीकों के भंडारण की अधिकतम अवधि छह महीने ही है और जो पंजीकरण प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही खत्म हो सकती है जिसका नतीजा होगा कि महत्वपूर्ण स्पूतनिक टीके की लाखों खुराकों की बर्बादी.''

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राजदूत ने कहा, ‘‘हम रेखांकित करना चाहते हैं कि रूसी टीके के भारतीय उत्पादक मौजूदा प्रतिबंध से हतोत्साहित हैं, जो भारत में उत्पादित स्पूतनिक लाइट टीके के इस्तेमाल और दूसरे देशों को निर्यात करने से रोकता है.''

रूस ने कहा कि अगर स्थायी या समय-समय पर हेट्रो बायोफार्मा लिमिडटेड को उत्पादित स्पूतनिक लाइट टीके की खुराक भारत में पंजीकरण होने तक आरडीआईएफ को बेचकर निर्यात करने की अनुमति दी जाती है तो यह कंपनी को अपना उत्पादन बढ़ाने को प्रोत्साहित करेगा और जैसे ही नियामक से मंजूरी मिलेगी वह भारतीय बाजार को अधिक मात्रा में स्पूतनिक लाइट की आपूर्ति कर पाएगा.

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इस बीच, भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने डॉ. रेड्डी लेबोरेटरी लिमिटेड को भारत में तीसरे चरण का परीक्षण करने की अनुमति दी है.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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