रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के बीच रूसी विदेशमंत्री सर्गेई लावरोव की भारत यात्रा काफी चर्चा में है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आज अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ बातचीत की. ये उच्च स्तरीय वार्ता इस संकेत के बीच हुई कि भारत अधिक मात्रा में रियायती रूसी तेल खरीद सकता है और दोनों पक्ष द्विपक्षीय व्यापार के लिए रूबल-रुपये की व्यवस्था करने के इच्छुक थे.
रूसी विदेश मंत्री लावरोव ने कहा कि वह राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के संदेश को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को "व्यक्तिगत रूप से संदेश" देना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि "राष्ट्रपति (पुतिन) और पीएम मोदी एक दूसरे के साथ नियमित संपर्क में हैं. मैं राष्ट्रपति को अपनी बातचीत के बारे में रिपोर्ट करूंगा. वह जिस तरह से प्रधान मंत्री मोदी को अपना सम्मान देते हैं और मैं इस संदेश को देने के अवसर की सराहना करता हूं ."
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कई कठिनाइयों के बावजूद भारत और रूस के बीच संबंध मजबूत हैं. "हम उस संतुलन को खोजने में सक्षम हैं जो हमारे रिश्ते को टिकाऊ बनाता है. हमने उपयोगी बैठकें की हैं और साथ ही 2 + 2 वार्ता भी की है. जहां तक मैं समझता हूं, हम परियोजनाओं को लागू करना जारी रखते हैं ऊर्जा, विज्ञान, फार्मास्यूटिकल्स के क्षेत्रों के रूप में हम कोविड से लड़ने का प्रबंधन करते हैं. आप यूक्रेन पर हमारी स्थिति जानते हैं, हम कुछ भी नहीं छिपाते हैं.
जयशंकर एवं लावरोव के बीच यह बैठक ऐसे समय में हुई जब एक दिन पहले ही अमेरिका ने कहा कि रूस के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों में गतिरोध पैदा करने वाले देशों को अंजाम भुगतने पड़ेंगे. भारत और रूस के बीच यह उच्च-स्तरीय बैठक उन संकेतों की पृष्ठभूमि में हुई जिसमें व्यापक छूट पर रूस से बड़ी मात्रा में तेल खरीदने की भारत की संभवनाओं तथा द्विपक्षीय व्यापार के लिए रुपये-रूबल की विनिमय व्यवस्था की बात सामने आई .
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव बृहस्पतिवार को दो-दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर भारत पहुंचे. वह चीन की यात्रा समाप्त करने के बाद भारत आए हैं. जबकि इससे पहले अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (डिप्टी एनएसए) दलीप सिंह ने आगाह किया था कि रूस के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों में गतिरोध पैदा करने वाले देशों को अंजाम भुगतने पड़ेंगे.
अमेरिकी की प्रतिक्रिया के बाद भारत ने कहा कि रूस से भारत 1 फीसदी से कम कच्चा तेल खरीता है. जबकि वहीं यूरोपीय देश 15 प्रतिशत से अधिक तेल खरीदते हैं. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच रूस भारत को तेल की सीधी बिक्री पर भारी छूट दे रहा है.
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