खुशबू ऐसी कि मोहल्ला आ जाए! झारखंड के जंगलों की खुखड़ी मशरूम के आगे चिकन-मटन फेल

रुगड़ा और खुखड़ी दोनों ही पूरी तरह से प्राकृतिक रूप से उगते हैं, इनमें किसी तरह के केमिकल या कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं होता. यही वजह है कि ये न सिर्फ स्वाद में लाजवाब होते हैं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद हैं.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
रांची:

बरसात का मौसम आते ही झारखंड की गलियों और बाजारों में एक खास खुशबू फैल जाती है. यह खुशबू किसी मटन या चिकन की नहीं, बल्कि एक ऐसी मौसमी सब्जी की होती है, जिसके सामने बड़े से बड़े मांसाहारी व्यंजन भी फीके पड़ जाते हैं. यह है झारखंड का देसी बरसाती मशरूम... रुगड़ा और खुखड़ी. ये दोनों ही इतनी लजीज और पौष्टिक हैं कि इनके सीजन में लोग दूर-दूर से इन्हें खरीदने आते हैं. खास बात यह है कि यह स्वादिष्ट सब्जी साल में सिर्फ 1 महीने ही मिलती है, और इस दौरान स्थानीय बाजारों में इसकी भारी मांग रहती है.

Rugra Khukhri Mushrooms : रुगड़ा मशरूम क्या होता ?

रुगड़ा मशरूम आकार में छोटा, अंडाकार और सफेद होता है, जिसकी सतह खुरदुरी और अंदर का हिस्सा मखमली काले पदार्थ से भरा होता है. यह मुख्य रूप से साल के पेड़ों के नीचे प्राकृतिक रूप से उगता है. बारिश की नमी और पेड़ों की जड़ों के पास मौजूद उपजाऊ मिट्टी में इसका विकास होता है. रुगड़ा को खासतौर पर इसकी करी के लिए जाना जाता है, जिसका स्वाद कई लोग मटन के बराबर मानते हैं. गरमा-गरम चावल या चपाती के साथ इसका स्वाद बरसात की ठंडी शामों में किसी दावत से कम नहीं लगता.

खुखड़ी मशरूम क्या होता है?

खुखड़ी मशरूम.. झारखंड के सघन और नमी से भरे जंगलों में पाया जाता है. इसका स्वाद हल्का तीखा और बनावट मांस जैसी होती है, जो इसे मांसाहारी और शाकाहारी दोनों तरह के लोगों के बीच लोकप्रिय बनाता है. आधुनिक स्वादों के साथ इसका मेल इतना अच्छा बैठता है कि इसे अब पिज्जा, पास्ता और सैंडविच में भी इस्तेमाल किया जाने लगा है.

 मौसमी और ऑर्गेनिक

रुगड़ा और खुखड़ी दोनों ही पूरी तरह से प्राकृतिक रूप से उगते हैं, इनमें किसी तरह के केमिकल या कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं होता. यही वजह है कि ये न सिर्फ स्वाद में लाजवाब होते हैं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद हैं. मानसून में होने वाले इन मशरूमों की उपलब्धता बहुत सीमित होती है. आमतौर पर जुलाई से अगस्त के बीच, और वो भी महज दो से तीन हफ्तों तक.

पोषण से भरपूर

ये मशरूम प्रोटीन, फाइबर, आयरन और कैल्शियम से भरपूर होते हैं। इनके सेवन से इम्युनिटी मजबूत होती है और शरीर को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं. रुगड़ा और खुखड़ी में औषधीय गुण भी होते हैं, जो अस्थमा, कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ने में सहायक हो सकते हैं. हालांकि, इन दावों की वैज्ञानिक पुष्टि सीमित है, लेकिन स्थानीय समुदाय पीढ़ियों से इन्हें औषधीय आहार का हिस्सा मानते आए हैं.

झारखंड के आदिवासी समुदाय के लिए ये मशरूम न केवल खाने का खजाना हैं, बल्कि आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी हैं. बरसात में इन्हें जंगलों से इकट्ठा कर स्थानीय बाजारों में बेचा जाता है. सीमित उपलब्धता के कारण इनकी कीमतें अक्सर अच्छी रहती हैं, जिससे स्थानीय लोगों को अतिरिक्त आमदनी मिलती है.

Advertisement

स्वाद जो बरसात में ही मिलता है

बरसात के मौसम में रुगड़ा की करी या खुखड़ी की भुजिया, चावल के साथ खाना एक अलग ही आनंद देता है. बरसाती मिट्टी की खुशबू, ताजे मसालों का जायका और इन मशरूमों का अनोखा स्वाद मिलकर ऐसा अनुभव देते हैं जो पूरे साल याद रहता है. यही वजह है कि जब इनका सीजन आता है, लोग स्टेशनों, हाट-बाज़ार और गलियों में इन्हें खरीदने के लिए भीड़ लगा देते हैं.

नुस्खा और रेसिपी का जादू

स्थानीय रसोई में रुगड़ा और खुखड़ी को मसालेदार करी, सूखी भुजिया या यहां तक कि पिज्जा टॉपिंग में भी इस्तेमाल किया जाता है. इन्हें बनाते समय हल्के मसाले और प्याज-टमाटर का तड़का स्वाद में चार चांद लगा देता है. पकाने पर इनकी खुशबू दूर-दूर तक फैल जाती है.

Advertisement

आज ये देसी मशरूम सिर्फ झारखंड के गांव-शहरों तक सीमित नहीं हैं. अपने स्वाद और पौष्टिकता के कारण ये देश के अन्य हिस्सों और विदेशों में भी लोकप्रिय हो रहे हैं. लेकिन, इनका असली स्वाद और ताजगी केवल मानसून में, वहीं की मिट्टी और मौसम में ही मिलती है. बरसाती रुगड़ा और खुखड़ी झारखंड की मिट्टी का तोहफा हैं. एक ऐसा स्वाद और पोषण का मेल, जो सिर्फ कुछ दिनों के लिए मिलता है, लेकिन याद सालभर रहता है. हालांकि. इस तरह के मशरूम छत्तीसगढ़ के जंगली इलाके में भी पाए जाते हैं.

Featured Video Of The Day
Fatehpur मकबरे में तोड़फोड़ पर क्या बोला ये मुस्लिम युवक? | UP News | BJP | SP | Maqbara Controversy