मनरेगा पर आए नए बिल पर क्यों मचा है बवाल? एकजुट विपक्ष का हल्लाबोल, सरकार ने कही ये बात

केंद्र सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) की जगह लाए "विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) (VB–G Ram G) का बिल लेकर आई है. जिसका विपक्षी दल के नेता भरसक विरोध कर रहे हैं.

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मनरेगा पर आए नए बिल पर संसद में विपक्षी दलों के विरोध का दौर जारी है.
नई दिल्ली:

MGNREGA New Bill: "मनरेगा कानून की जगह जो नया बिल लाया गया है, इससे ग्रामीण वर्करों की रोजगार की गारंटी का कानूनी अधिकार कमजोर होगा. यह बिल संविधान की मूल भावना के विपरीत है. इससे पंचायती राज व्यवस्था कमजोर होगी, ग्राम सभाओं का अधिकार भी कमजोर होगा. अब तक मनरेगा पर कुल खर्च का 90 फीसदी केंद्र सरकार वहन करती थी, लेकिन अब देश के अधिकतर राज्यों में केंद्र सरकार सिर्फ 60 फीसदी खर्च का वहन करेगी. केंद्र का अनुदान घटाया गया है".  उक्त बातें कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने लोक सभा में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना की जगह लाए गए नए "विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)" (VB–G Ram G) बिल का विरोध करते उठाया.

प्रियंका गांधी बोले- नए बिल से केंद्र का नियंत्रण बढ़ाया जा रहा

मनरेगा को क्रन्तिकारी कानून बताते हुए प्रियंका गांधी ने कहा, इसकी वजह से देश के करोड़ों गरीब ग्रामीण मज़दूरों को रोज़गार मिला है. लेकिन नए बिल में जो नए प्रावधान हैं उससे प्रदेशों पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा, विशेषकर उनपर जिनका केंद्र सरकार के पास GST का बकाया पेंडिंग है. इसका असर रोज़गार की गारंटी पर पड़ेगा. इस नए बिल के ज़रिये केंद्र का नियंत्रण बढ़ाया जा रहा है, और जिम्मेदारी घटाई जा रही है.  

दरअसल संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लाए नए "विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)" बिल पर विपक्ष लामबंद होता नज़र आ रहा है. ये पहले मुद्दा है जिसपर अधिकतर विपक्षी दल एकजुट दिखाई दे रहे हैं.  

टीएमसी सांसद सौगात रे ने भी उठाए सवाल

तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा सांसद सौगात रे ने NDTV से कहा, "सरकार ने मनरेगा कानून को कमजोर करने के लिए नया बिल लाया है. मौजूदा मनरेगा कानून में रोजगार मांगने का कानून अधिकार वकर्स को दिया गया था. लेकिन अब सरकार ने 125 दिन की सीमा तय करके इसे सप्लाई ड्रिवन कर दिया है. कानून में राज्यों पर 40 फ़ीसदी खर्च का बोझ डालने का प्रस्ताव है, इससे मनरेगा देश भर में कमजोर होगा".

वाम दल भी मनरेगा पर आए नए बिल के खिलाफ

वाम दल भी इस बिल के खिलाफ हैं. सीपीएम के राज्य सभा सांसद जॉन ब्रिटास ने NDTV से कहा, "यह बिल मनरेगा को खत्म करने की साजिश है, यह मनरेगा का Death Knell है. इस बिल के जरिए सरकार राज्यों पर 50,000 करोड रुपए का अतिरिक्त बोझ डालना चाहती है. मुझे लगता है मनरेगा में वर्करों को जो अधिकार दिया गया था पुराने कानून में रोजगार को लेकर वह काफी कमजोर हो जाएगा. हम इस बिल का मजबूती से विरोध करेंगे".

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सरकार का दावा- मनरेगा कानून में बदलाव बेहद जरूरी

उधर सरकार ने विपक्षी दलों के इन आरोपों को सिरे से ख़ारिज कर दिया है. केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल ने एनडीटीवी से कहा, "मौजूदा मनरेगा कानून में बदलाव बेहद जरूरी है. समय-समय पर संविधान में भी संशोधन की आवश्यकता होती है. सरकार ने भविष्य की जरूरत को देखते हुए बड़ा बदलाव करने का फैसला किया है".

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