नागपुर के सख्त संदेश के बाद अब गोरखपुर में योगी और भागवत की मुलाकात पर क्यों है सबकी नजर

नागपुर से बीजेपी को नसीहत देने के बाद संघ प्रमुख बुधवार दोपहर को गोरखपुर पहुंचे. वो वहां कार्यकर्ता विकास वर्ग कार्यक्रम को संबोधित करने के लिए पहुंचे हैं.पूर्वांचल को बीजेपी का गढ़ माना जाता है.लेकिन इस साल उसका प्रदर्शन पहले की तुलना काफी खराब रहा.

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नई दिल्ली:

केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी सरकार बनने के बाद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत गोरखपुर पहुंचे हैं. वहां उनका 16 जून तक रहने का कार्यक्रम है. इस दौरान आज उनकी मुलाकात उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हो सकती है. लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में बीजेपी को मिली करारी हार के बाद यह संभावित मुलाकात काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है. इससे पहले भागवत ने सोमवार को नागपुर से बीजेपी का नाम लिए बिना उसे कड़ा संदेश दिया था. इस दौरान उन्होंने मणिपुर का मामला भी उठाया था. इसे भागवत की बीजेपी को नसीहत के तौर पर देखा गया था. काफी दिनों बाद मोहन भागवत ने खरी-खरी बात की थी.

मोहन भागवत का गोरखपुर में कार्यक्रम

नागपुर से नसीहत देने के बाद संघ प्रमुख बुधवार दोपहर को गोरखपुर पहुंचे. वो वहां कार्यकर्ता विकास वर्ग कार्यक्रम को संबोधित करने के लिए पहुंचे हैं. अलग-अलग आयुवर्ग के कार्यकर्तांओं के लिए दो अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. तीन जून से शुरू हुए ये कार्यक्रम 23 जून तक चलेंगे. इस दौरान भागवत का किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में भाग लेने का कार्यक्रम नहीं है.प्रशिक्षण शिविर के अंतिम दो दिनों में संघ के पूर्व सरकार्यवाह भैयाजी जोशी भी शामिल हो सकते हैं. 

भागवत की शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात हो सकती है. इन दोनों नेताओं की मुलाकात लोकसभा चुनाव के दौरान प्रदेश में बीजेपी के प्रदर्शन को देखते हुए काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है. माना जा रहा है कि इस दौरान लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रदर्शन और उत्तर प्रदेश सरकार के कामकाज को लेकर भी चर्चा हो सकती है. नागपुर से निकली नसीहत के बाद से भागवत और योगी की यह मुलाकात काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है. खासकर तब जब यूपी में लोकसभा चुनाव में बीजेपी को शिकस्त खानी पड़ी है.

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पूर्वांचल में बीजेपी का प्रदर्शन

उत्तर प्रदेश ने पिछले दो लोकसभा चुनावों में बीजेपी को सबसे अधिक ताकत दी थी. साल 2014 के चुनाव में बीजेपी और उसके सहयोगियों ने प्रदेश की 80 में से 73 सीटों पर कब्जा जमाया था. वहीं 2019 के चुनाव में यह संख्या घटकर 64 रह गई थी. लेकिन इस महीने हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी उत्तर प्रदेश में 33 सीटों पर सिमट कर रह गई. इस हार का असर यह हुआ कि बीजेपी लोकसभा में अपना बहुमत नहीं जुटा पाई.उसे अब एनडीए के सहयोगी दलों के समर्थन से अपनी सरकार बनानी पड़ी है.

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उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल को बीजेपी का गढ़ माना जाता है. इस इलाके में 2019 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा था.लेकिन 2024 का परिणाम विपक्ष के लिए बहुत शानदार रहा.बीजेपी को करारी हार का सामना पूर्वांचल के इलाके में करना पड़ा. 

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आरएसएस नेताओं के निशाने पर बीजेपी

उन्होंने कहा,''राम सबके साथ न्याय करते हैं.2024 के लोकसभा चुनाव को ही देख लीजिए.जिन्होंने राम की भक्ति की, लेकिन उनमें धीरे-धीरे अंहकार आ गया.उस पार्टी को सबसे बड़ी पार्टी बना दिया.लेकिन जो उसको पूर्ण हक मिलना चाहिए, जो शक्ति मिलनी चाहिए थी, वो भगवान ने अहंकार के कारण रोक दी.''

नागपुर में भागवत की नसीहत के बाद आरएसएस के एक दूसरे नेता इंद्रेश कुमार ने भी गुरुवार को बीजेपी पर निशाना साध दिया. इंद्रेश कुमार के इस बयान को भी बीजेपी पर कटाक्ष माना जा रहा है.

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दरअसल लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के एक बयान के बाद इस बात की चर्चा तेज हो गई कि बीजेपी और आरएसएस में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है.अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' से नड्डा ने कहा था कि पहले बीजेपी को आरएसएस की जरूरत थी,लेकिन आज भाजपा सक्षम है.आज पार्टी खुद को चला रही है.नड्डा ने कहा था,''शुरू में हम अक्षम होंगे.थोड़ा कम होंगे. तब संघ की जरूरत पड़ती थी.आज हम बढ़ गए हैं और सक्षम हैं तो बीजेपी अपने आप को चलाती है.'' नड्डा से आज की बीजेपी और अटल बिहारी वाजपेयी के समय के बीच बीजेपी और आरएसएस के रिश्तों को लेकर सवाल किया गया था.

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