भारत में बांग्लादेश जैसे हालात, समाज को तोड़ने की कोशिश, RSS प्रमुख ने मोदी सरकार को कुछ यूं किया अलर्ट

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि आज हमारे देश के अंदर ही ऐसे कई लोग हैं जो हमारे यहां भी बांग्लादेश जैसे हालात पैदा करना चाहते हैं. कुछ बाहरी ताकतें भी ऐसा ही चाहती हैं.

विज्ञापन
Read Time: 2 mins

नई दिल्ली:

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) मोहन भागवत ने विजयादशमी के मौके पर नागपुर में अपना संबोधन दिया. इस मौके पर उन्होंने इशारों-इशारों मोदी सरकार को कई अहम चुनौतियों से अवगत भी करवाया. मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि भारत आज तेजी से आगे बढ़ रहा है लेकिन कई ऐसी शक्तियां हैं जो चाहतीं हैं कि भारत में भी बांग्लादेश जैसे हालात पैदा हो जाएं. ऐसी शक्तियां चाहती हैं कि भारत आगे न बढ़े. भारत आगे बढ़ रहा है ऐसे में समाज में अलगाव और टकराव बढ़ाने की साजिश की जा रही है.

"ये चुनौती पूरी दुनिया के सामने है"

मोहन भागवत ने आगे कहा कि ये चुनौती संघ या हिंदू समाज के सामने ही नहीं ये भारत वर्ष के सामने भी है.अब ये चुनौती पूरी दुनिया के सामने उठ रही है.इसकी चर्चा करना जरूरी है.भारत अपने स्वार्थ की बली देकर भी सबको आगे बढ़ाने का काम करते हैं. हम सबकी मदद करते हैं.शांति रहे इसके लिए हमने अपने हितों को बलिदान भी किया है.और करते भी है हैं. इसलिए भारत आगे बढ़ रहा है.ऐसे लोगों को लग रहा है कि भारत कल चलकर हमारा स्पर्धक बनेगा, मैं साफ बता दूं कि जिनको भी इसका डर लग रहा है वो गलत हैं.मेरा मानना है कि अपने निहित स्वार्थ ठीक रहने चाहिए अपनी सुरक्षा को धक्का नहीं लगना चाहिए.दूसरे देश में उत्पाद करना किसी चुनी सरकार को गिराना सही नही है. 

"बांग्लादेश में जो हो रहा है वो उदाहरण है"

हमारे पड़ोस में बांग्लादेश में जो हुआ वो उदाहरण है.जितना बड़ा उत्पाद वहां हुआ वो तो ऐसे ही नहीं होता है.पहली बात ये है कि उस उत्पाद के कारण वहां के हिन्दू समाज पर जो अत्याचार बार बार होते हैं उसे दोहराया गया है.पहली बार वहां का हिन्दू संगठित होकर सामने आया है इसलिए वो बच पाए.दुर्बलों पर अपना गुस्सा निकालने की कट्टरपंथियों की प्रवृत्ति सही नहीं है.ये कही सें भी सही नहीं है.उनको जरूरत है मदद की.भारत के सरकार की सहायता उनको मिले ये उनकी जरूरत है. दुर्बल रहना अपराध है. ये तो साफ है कि अगर हम दुर्बल हैं, असंगठित हैं तो हम अत्याचार को आमंत्रण दे रहे है.

Advertisement
Topics mentioned in this article