"RJD का कोई स्टैंड नहीं...", नई संसद की तुलना ताबूत से करने पर भड़के असदुद्दीन ओवैसी

एआईएमआईएम सांसद ने जोर देकर कहा कि वास्तव में एक नई इमारत की जरूरत थी. पुराने संसद भवन में दिवंगत समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव पर सीलिंग का एक हिस्सा गिर गया था. उस समय काफी आलोचना भी हुई थी.

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नई दिल्ली: PM नरेन्द्र मोदी ने आज संसद के नए भवन का उद्घाटन किया. कांग्रेस सहित देश की 20 विपक्षी पार्टियों ने नई संसद के भव्य उद्घाटन का बहिष्कार किया. लेकिन RJD ने संसद भवन की तुलना ताबूत से किये जाने पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने जमकर आलोचना की. असदुद्दीन ओवैसी ने नए संसद भवन को लेकर RJD द्वारा किए गए ट्वीट पर विरोध जताते हुए कहा कि वह संसद को ताबूत क्यों कह रहे हैं, कुछ और भी कह सकते थे.

असदुद्दीन ओवैसी ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, "RJD का कोई स्टैंड नहीं है. नए संसद भवन की जरुरत थी. हरेक बात में विरोध ठीक नहीं है. पुराने संसद भवन को दिल्ली अग्निशमन सेवा से भी मंजूरी नहीं थी. वे (राजद) संसद को ताबूत क्यों कह रहे हैं? वे कुछ और कह सकते थे, उन्हें इस एंगल को लाने की आवश्यकता नहीं है"

एआईएमआईएम सांसद ने जोर देकर कहा कि वास्तव में एक नई इमारत की जरूरत थी. पुराने संसद भवन में दिवंगत समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव पर सीलिंग का एक हिस्सा गिर गया था. उस समय काफी आलोचना भी हुई थी.

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असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष लोकसभा का संरक्षक होता है, न कि पीएम, यह कहते हुए कि लोकसभा लोगों के प्रति जवाबदेह है. बेहतर होता कि स्पीकर इसका उद्घाटन करते. लेकिन पीएम यह दिखाना चाहते हैं कि वह सब कुछ कर रहे हैं और कोई और नहीं कर सकता. जैसे कि 2014 से पहले भारत में कुछ भी नहीं हुआ था, और अब सब कुछ हो रहा है.

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बता दें कि नए संसद भवन के आकार की तुलना ताबूत से करने वाले एक ट्वीट को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने आज राष्ट्रीय जनता दल (RJD) पर निशाना साधते हुए कहा कि यह ट्विटर पोस्ट करने वालों पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिए. 

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RJD के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से की गई पोस्ट की व्याख्या करते हुए पार्टी नेता शक्ति सिंह यादव ने कहा, "हमारे ट्वीट में ताबूत लोकतंत्र को दफ़न किए जाने का प्रतिनिधित्व कर रहा है... संसद लोकतंत्र का मंदिर है, संवाद का स्थान है, लेकिन उसे अलग ही दिशा में ले जाना चाहते हैं... देश इसे स्वीकार नहीं करेगा... यह संविधान और परम्परा का उल्लंघन... संविधान के अनुसार राष्ट्रपति संसद के लिए सर्वोपरि होता है... हम प्रधानमंत्री से आग्रह करते हैं कि लोकतंत्र को ताबूत में डालें..."
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