Ground Report: दिल्ली के ओखला में घरों पर लगे 'लाल निशान' से हड़कंप, चिंता में पड़े लोगों ने कहा- कहां जाएं हम?

दिल्ली के ओखला गांव के मुरादी रोड के मकानों और दुकानों पर लगे इस निशान से लोग दहशत में हैं. गली में लगभग हर जगह निशान और कहीं तो कहीं ऐसे नोटिस चस्पा हैं.जावेद ने छह महीना पहले ही इस दुकान को लिया है. रेडीमेड कपड़े के कारोबार पर लाखों का निवेश किया. लेकिन अब उनकी दुकान के बाहर भी यूपी सिंचाई विभाग का नोटिस चस्पा है.

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नई दिल्ली:

एक निशान ने दिल्ली के ओखला में रहने वाले लोगों की नींद उड़ा दी है. ओखला में रहने वाले 15 से 20 हजार लोगों को अपना आशियाना उजड़ने का खतरा महसूस हो रहा है. पहले यूपी के सिंचाई विभाग ने तो अब DDA यानी दिल्ली विकास प्राधिकरण ने नोटिस लगा दिया है. दिल्ली के ओखला गांव के मुरादी रोड के मकानों और दुकानों पर लगे इस निशान से लोग दहशत में हैं. गली में लगभग हर जगह निशान और कहीं तो कहीं ऐसे नोटिस चस्पा हैं.जावेद ने छह महीना पहले ही इस दुकान को लिया है. रेडीमेड कपड़े के कारोबार पर लाखों का निवेश किया. लेकिन अब उनकी दुकान के बाहर भी यूपी सिंचाई विभाग का नोटिस चस्पा है. 2 जून तक की मोहलत दी गई है. अभी छह महीना पहले ही लिया है.  अब इतना सामान ले कर कहां जाऊं.

'सामान को कहां लेकर जाएं?'
स्थानीय नागरिक हसन ने बताया कि 30 साल से तो मुझे देखते हो गया छह महीना पहले एक जगह हमने और लिया था. वहां गिरा दिया. पूरे दिल्ली में तोड़ फोड़ चल रही है. ऐसे में हमें दुकान भी नहीं मिलेगी. इस सामान को कहां लेकर जाएं. करोड़ों का नुकसान होगा.

250 मकानों पर नोटिस
यूपी सिंचाई विभाग ने खसरा नंबर 277 पर बने 450 मकानों पर नोटिस लगा दिया. उसके कुछ दिन बाद यानि 27 मई को दिल्ली विकास प्राधिकरण ने भी नोटिस चस्पा कर दिया. डीडीए ने खसरा नंबर 279 पर बने करीब 250 मकानों पर नोटिस चस्पां दी है. इसके पीछे सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का हवाला दिया गया है.

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ओखला में मुरादी रोड के इस इलाके में 100 गज की दुकान की कीमत एक करोड़ से ज़्यादा की है. यही वजह है कि लोग अब इस नोटिस के खिलाफ कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि मकान लाल डोरे पर बने हैं और उनके पास रजिस्ट्री और पॉवर ऑफ अटार्नी है

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डीडीए अब भले ही इस कार्रवाई के पीछे सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का हवाला दे रहा हो. लेकिन सवाल उठता है कि ये निर्माण रातो रात तो हुआ नहीं.. कहीं न कहीं सरकारी विभागों की लापरवाही और भूमाफियाओं की सांठ-गांठ इसके लिए ज़िम्मेदार है.

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