प्रचंड गर्मी के बीच देश भर में बिजली की मांग ने अप्रैल में रिकॉर्ड तोड़ा, 201 गीगावॉट तक पहुंची

Power Demand In April : मंत्रालय का कहना है कि देश भर में बिजली की अधिकतम मांग पूर्ति 201.66 गीगावॉट तक दोपहर 2.51 बजे हो पाई. इसने पिछले साल 7 जुलाई 2021 को पिछली की अधिकतम मांग 200.539 गीगावॉट को पीछे छोड़ दिया है.

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Power Crisis : गर्मी बढ़ने के साथ देश में कोयले के साथ बिजली संकट बढ़ता जा रहा
नई दिल्ली:

उत्तर भारत से लेकर महाराष्ट्र-तेलंगाना तक पड़ रही प्रचंड गर्मी से कई राज्य बिजली का संकट का सामना  कर रहे हैं और इस बीच बिजली की मांग रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है. ऊर्जा मंत्रालय (Power Ministry) ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी. मंत्रालय ने कहा कि देश भर में बिजली की मांग 26 अप्रैल 2022 को 201 गीगावॉट तक पहुंच गई. सरकार और अन्य संबंधित पक्ष लगातार बिजली की इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए सभी मोर्चों पर काम कर रहे हैं. मंत्रालय का कहना है कि देश भर में बिजली की अधिकतम मांग पूर्ति 201.66 गीगावॉट तक दोपहर 2.51 बजे हो पाई. इसने पिछले साल 7 जुलाई 2021 को पिछली की अधिकतम मांग 200.539 गीगावॉट को पीछे छोड़ दिया है.

कहा जा रहा है कि बिजली की बढ़ती खपत देश में आर्थिक विकास और बढ़ते औद्योगिक उत्पादन से देखा जा रहा है. इस साल मार्च में ही बिजली की मांग करीब 8.9 फीसदी बढ़ी है. मई-जून तक बिजली की खपत 215-220 गीगावॉट तक पहुंच सकती है. सरकार और बिजली उत्पादन से जुड़े अन्य पक्ष बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने में जुटे हैं और इसके लिए विभिन्न मोर्चों पर काम कर रही है. साथ ही मौजूदा संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल पर भी ध्यान दिया जा रहा है. 

गौरतलब है कि देश के कई बड़े बिजली संयंत्रों में कोयले का संकट बढ़ रहा है. सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी की रिपोर्ट के मुताबिक 24 अप्रैल 2022 तक देश के करीब 33% थर्मल पावर प्लांट के पास 10% या उससे भी कम कोयले का स्टॉक बचा था. इससे देश के कई हिस्सों में मांग बढ़ने की वजह से बिजली आपूर्ति पर बुरा असर पड़ रहा है.  दरअसल देश में बिजली की खपत बढ़ती जा रही है, लेकिन कोयले की सप्लाई में अड़चनों की वजह से बिजली का उत्पादन बाधित हो रहा है.

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डेली कोल स्टॉक रिपोर्ट के मुताबिक 24 अप्रैल २०२२ को देश के 165 बड़े थर्मल पावर प्लांट में से  24 थर्मल पावर प्लांट्स के पास 0% से 5% तक ही नोर्मेटिव स्टॉक के मुकाबले कोयला स्टॉक बचा था. जबकि 30 थर्मल पावर प्लांट्स के पास 6% से 10% तक नोर्मेटिव स्टॉक के मुकाबले कोयला स्टॉक बचा था. यानी देश के 165 बड़े थर्मल पावर प्लांट्स में से 54 यानी 32.72% के पास 10% या उससे भी कम कोयले का स्टॉक बचा था.  

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